कैथल में हुआ संविधान बचाओ-अधिकार बचाओ सम्मेलन: कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सुरजेवाला ने भाजपा पर बोला हमला, कहा- खत्म किया जा रहा है आरक्षण
The Airnews | कैथल, 13 अप्रैल 2025 | रिपोर्टर: यश
हरियाणा के कैथल जिले में संविधान बचाओ-अधिकार बचाओ सम्मेलन का आयोजन करके एक बार फिर राजनीतिक माहौल गरमा गया है। बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 135वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित इस सम्मेलन में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला मुख्य अतिथि रहे। उनके साथ कैथल के विधायक आदित्य सुरजेवाला भी मंच पर मौजूद रहे। यह सम्मेलन महर्षि वाल्मीकि सामुदायिक भवन में संपन्न हुआ। कार्यक्रम के केंद्र में भारतीय संविधान, आरक्षण की वर्तमान स्थिति और भाजपा सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े करना रहा।
बाबा साहेब की जयंती पर उठा संविधान का मुद्दा
डॉ. अंबेडकर की 135वीं जयंती पर यह सम्मेलन न केवल श्रद्धांजलि देने का अवसर था, बल्कि यह मंच एक राजनीतिक विमर्श का केंद्र भी बन गया। सुरजेवाला ने अपने भाषण में भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा और कहा कि संविधान पर हमला हो रहा है। उन्होंने कहा, “भाजपा संविधान से मिले एससी समुदाय के अधिकारों और आरक्षण को योजनाबद्ध तरीके से खत्म कर रही है। यह बाबा साहेब के सपनों का भारत नहीं है।”
निर्णायक लड़ाई का ऐलान
रणदीप सुरजेवाला ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी। उन्होंने कहा, “यह केवल एक सम्मेलन नहीं बल्कि एक चेतावनी है। संविधान पर हमले और एससी-एसटी समुदाय के अधिकारों को खत्म करने की साजिश अब और बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हमारी लड़ाई संविधान और अधिकारों की रक्षा के लिए है।”
उन्होंने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि वह बजट में कटौती करके एससी-एसटी वर्ग की कल्याणकारी योजनाओं को कमजोर कर रही है और उन्हें सरकार की निर्णय प्रक्रिया से बाहर कर रही है। यह सारा प्रयास उन्हें सामाजिक और राजनीतिक रूप से हाशिए पर लाने का है।
भाजपा की रणनीति पर खुला आरोप
रणदीप सुरजेवाला ने वर्ष 1998 में केंद्र में भाजपा के सत्ता में आने के बाद हुए घटनाक्रमों को भी उठाया। उन्होंने कहा कि सत्ता में आते ही भाजपा ने संविधान की समीक्षा के लिए आयोग का गठन किया था। लेकिन कांग्रेस के तीव्र विरोध के चलते यह मंसूबा सफल नहीं हो पाया।
उन्होंने कहा, “2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा नेताओं ने ‘400 पार’ का नारा देकर संविधान बदलने की अपनी मंशा उजागर कर दी थी। जनता ने उन्हें करारा जवाब देते हुए सिर्फ 240 सीटों तक सीमित कर दिया। यह इस बात का संकेत है कि देश संविधान से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेगा।”
संविधान को बदलना क्यों चाहती है भाजपा?
सुरजेवाला ने अपने भाषण में यह सवाल खड़ा किया कि भाजपा आखिर संविधान को क्यों बदलना चाहती है? उन्होंने इसका जवाब भी खुद ही देते हुए कहा, “भाजपा जानती है कि जब तक यह संविधान है, तब तक गरीबों, दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के अधिकार सुरक्षित हैं। भाजपा इन अधिकारों को खत्म करना चाहती है ताकि देश पर केवल एक वर्ग का प्रभुत्व कायम किया जा सके।”
उन्होंने कहा कि भाजपा की मंशा साफ है – वह आरक्षण को खत्म करके सामाजिक न्याय की पूरी संरचना को ध्वस्त करना चाहती है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने योजनाबद्ध तरीके से दलित वर्ग को सरकारी तंत्र और प्रशासनिक निर्णयों से दूर रखा है।
संविधान की रक्षा का संकल्प
सम्मेलन में हजारों की संख्या में लोग उपस्थित थे, जिनमें अधिकतर दलित, पिछड़े, महिला और युवा शामिल थे। सुरजेवाला ने सभी से संविधान की रक्षा का संकल्प लेने की अपील की। उन्होंने कहा, “हम सबको मिलकर इस देश के संविधान, इसकी धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक न्याय और आरक्षण प्रणाली की रक्षा करनी होगी। यदि आज हम चुप रहे, तो कल हमारी आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी।”
आदित्य सुरजेवाला का संबोधन
कैथल के विधायक आदित्य सुरजेवाला ने भी अपने संबोधन में संविधान और बाबा साहेब अंबेडकर के विचारों को याद किया। उन्होंने कहा, “संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि एक जीवनदर्शन है, जिसने करोड़ों भारतीयों को समानता, स्वतंत्रता और सम्मान का अधिकार दिया है। आज जब उस संविधान पर हमला हो रहा है, तब हमें एकजुट होकर इसके पक्ष में खड़ा होना होगा।”
भाजपा की चुप्पी पर सवाल
सुरजेवाला ने भाजपा की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब देश में एससी-एसटी पर अत्याचार होते हैं, तब भाजपा नेताओं की चुप्पी क्यों होती है? उन्होंने हाल ही में देशभर में हुए दलित उत्पीड़न के मामलों का भी हवाला दिया और कहा कि सरकार ने इन मामलों में कोई कठोर कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि यह मौन सहमति नहीं बल्कि एक साजिश है।
आगामी रणनीति की घोषणा
सुरजेवाला ने घोषणा की कि आने वाले महीनों में देशभर में ‘संविधान बचाओ यात्रा’ निकाली जाएगी, जिसमें युवाओं, महिलाओं, मजदूरों, किसानों और छात्रों को जोड़ा जाएगा। यह यात्रा बाबा साहेब के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने और संविधान की रक्षा के लिए जनजागरण का माध्यम बनेगी।