जामनगर जगुआर क्रैश में शहीद हुए पायलट सिद्धार्थ यादव, 10 दिन पहले हुई थी सगाई

जामनगर जगुआर क्रैश में शहीद हुए पायलट सिद्धार्थ यादव, 10 दिन पहले हुई थी सगाई
रेवाड़ी का लाल देश के लिए शहीद
( Sahil Kasoon )
गुजरात के जामनगर में भारतीय वायुसेना के जगुआर फाइटर जेट क्रैश में हरियाणा के रेवाड़ी के रहने वाले फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव शहीद हो गए। 28 वर्षीय सिद्धार्थ यादव देश के लिए समर्पित एक वीर योद्धा थे, जिन्होंने अपनी अंतिम सांस तक कर्तव्य निभाया। उनकी शहादत से पूरा रेवाड़ी शोक में डूबा हुआ है।
10 दिन पहले हुई थी सगाई, नवंबर में होनी थी शादी
सिद्धार्थ यादव की 23 मार्च को सगाई हुई थी और उनकी शादी 2 नवंबर को तय थी। लेकिन इस दुर्घटना ने उनके परिवार के सपनों को चकनाचूर कर दिया। 31 मार्च को वह अपनी छुट्टी पूरी कर जामनगर एयरफोर्स स्टेशन लौटे थे। पूरे परिवार में शादी की तैयारियां चल रही थीं, लेकिन अब वहां शोक की लहर दौड़ गई है।
कैसे हुआ हादसा?
यह हादसा 2 अप्रैल की रात को हुआ जब फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव एक रूटीन सॉर्टी मिशन पर थे। उनके विमान में अचानक तकनीकी खराबी आ गई। सिद्धार्थ ने विमान को सुरक्षित लैंड करने की पूरी कोशिश की, लेकिन जब स्थिति बेकाबू हो गई, तो उन्होंने अपने साथी को इजेक्ट कराया और खुद विमान को घनी आबादी से दूर खुले मैदान की ओर मोड़ा। यह उनकी वीरता थी कि उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों को बचाने के लिए अंतिम क्षण तक संघर्ष किया।
शहीद की पार्थिव देह रेवाड़ी पहुंचेगी
शहीद पायलट सिद्धार्थ यादव की पार्थिव देह रेवाड़ी के सेक्टर-18 स्थित उनके घर लाई जाएगी। इसके बाद पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव भालखी-माजरा ले जाया जाएगा, जहां पूरे सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनके परिवार और गाँव में शोक की लहर है। परिजन और रिश्तेदार सांत्वना देने के लिए उनके घर पहुंच रहे हैं।
चार पीढ़ियों से सेना में सेवा
सिद्धार्थ यादव का परिवार पीढ़ियों से देश की सेवा करता आ रहा है। उनके परदादा ब्रिटिश सेना के अधीन बंगाल इंजीनियर्स में थे। दादा पैरा मिलिट्री फोर्स में थे और पिता सुशील यादव भी भारतीय वायुसेना में सेवा दे चुके हैं। सिद्धार्थ इस परंपरा की चौथी कड़ी थे, जिन्होंने अपने जीवन को देश के नाम कर दिया।
2016 में हुआ था NDA में चयन
सिद्धार्थ यादव का भारतीय वायुसेना में चयन 2016 में NDA के जरिए हुआ था। तीन साल की कड़ी ट्रेनिंग के बाद उन्होंने फाइटर पायलट के रूप में वायुसेना जॉइन की। उनकी काबिलियत को देखते हुए उन्हें फ्लाइट लेफ्टिनेंट का पद मिला। उनका सपना था कि वह देश के लिए कुछ बड़ा करें, और उन्होंने अपनी शहादत से इसे पूरा भी किया।
पिता ने बेटे के लिए बनाया था नया घर
सिद्धार्थ के पिता सुशील यादव मूल रूप से रेवाड़ी के भालखी-माजरा गांव के रहने वाले हैं, लेकिन लंबे समय से रेवाड़ी में रह रहे थे। बेटे की शादी को देखते हुए उन्होंने सेक्टर-18 में नया घर बनाया था। इसी घर में बेटे की शादी की खुशियां मनाने की योजना थी, लेकिन अब वहां मातम पसरा हुआ है। सिद्धार्थ अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे और उनकी एक छोटी बहन है।
कैसे हुआ हादसा?
2 अप्रैल की रात 9:30 बजे, भारतीय वायुसेना का जगुआर फाइटर जेट जामनगर एयरफोर्स स्टेशन से उड़ान भरने के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान जामनगर शहर से लगभग 12 किलोमीटर दूर सुवरदा गांव के एक खुले मैदान में क्रैश हुआ। क्रैश के तुरंत बाद विमान में आग लग गई।
गाँव वालों ने की मदद
घटना की सूचना मिलते ही गाँव के लोग मौके पर पहुंचे। उन्होंने देखा कि विमान के कई टुकड़े हो गए हैं और उसमें आग लग गई है। ग्रामीणों ने घायल पायलट मनोज कुमार सिंह को अस्पताल पहुंचाने में मदद की।
देश ने खोया एक होनहार पायलट
फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव न सिर्फ एक बेहतरीन पायलट थे, बल्कि एक नेक इंसान भी थे। उनके जाने से देश को एक बहादुर योद्धा की कमी हमेशा खलेगी। उनका परिवार, दोस्त और साथी जवान उनकी बहादुरी को सलाम कर रहे हैं।
अंतिम संस्कार में उमड़ेगा पूरा क्षेत्र
रेवाड़ी के लोग अपने वीर सपूत को अंतिम विदाई देने के लिए उमड़ने की तैयारी कर रहे हैं। अंतिम संस्कार में वायुसेना के उच्च अधिकारी, स्थानीय प्रशासन, सैनिक संगठन, और हजारों की संख्या में ग्रामीणों के पहुंचने की उम्मीद है। सिद्धार्थ की शहादत को सलाम करने के लिए पूरा क्षेत्र एकजुट हो गया है।
शहीद सिद्धार्थ यादव को देश का सलाम!
सिद्धार्थ यादव की शहादत से पूरा देश गर्व महसूस कर रहा है। उनकी बहादुरी और बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उनके अदम्य साहस ने यह साबित कर दिया कि भारत के वीर जवान किसी भी परिस्थिति में अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटते। सिद्धार्थ की वीरता आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।




