जींद में आंधी में गिरे 100 से ज्यादा पेड़: 10 गांवों में बिजली गुल, मंडियों में भीगा गेहूं, फायर ब्रिगेड को नहीं मिला रास्ता
The Airnews | जींद, हरियाणा
हरियाणा के जींद जिले में शुक्रवार देर शाम मौसम ने अचानक करवट ली और तेज आंधी के साथ बारिश शुरू हो गई। इस प्राकृतिक आपदा के कारण जिले भर में भारी नुकसान हुआ है। 100 से अधिक पेड़ सड़कों और बिजली की तारों पर गिर गए, जिससे न केवल यातायात बाधित हुआ बल्कि 10 से ज्यादा गांवों की बिजली आपूर्ति भी पूरी तरह ठप हो गई। इसके अतिरिक्त, मंडियों में खुले में पड़ी गेहूं की फसल भीग गई, जिससे किसानों और आढ़तियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा।
आंधी का कहर: सड़कों पर गिरे पेड़
शुक्रवार शाम करीब 6 बजे तेज हवाओं के साथ बारिश शुरू हुई। जींद से लेकर ग्रामीण इलाकों तक, तेज आंधी ने तबाही मचा दी। सड़कों पर लगे पेड़ एक के बाद एक गिरते चले गए, जिससे मुख्य मार्गों के साथ-साथ लिंक रोड भी बंद हो गए। कई जगहों पर पेड़ बिजली की लाइनों पर गिर गए, जिससे आपूर्ति बाधित हो गई। जींद शहर के साथ-साथ जीतगढ़, अहिरका, कंडेला, लिजवाना और आसपास के गांवों में बिजली आपूर्ति रातभर के लिए ठप रही।
फायर ब्रिगेड को नहीं मिला रास्ता, आठ किलोमीटर दूर से जाना पड़ा
जींद से जीतगढ़ की ओर जा रही फायर ब्रिगेड को रास्ते में पेड़ गिरने के कारण रुकना पड़ा। फायर ब्रिगेड को अहिरका के रास्ते जाना था, लेकिन वहां पेड़ों की वजह से रास्ता बंद हो गया। इसके बाद वाहन को मजबूरी में कंडेला होते हुए आठ किलोमीटर लंबा चक्कर लगाकर गांव तक पहुंचना पड़ा। यह स्थिति प्रशासन की आपदा प्रबंधन तैयारियों पर सवाल खड़े करती है।
मंडियों में भिगा गेहूं, किसानों की बढ़ी चिंता
तेज बारिश के कारण जींद की नई अनाज मंडी सहित विभिन्न मंडियों में खुले में पड़ी गेहूं की फसल और बैग भीग गए। इससे न केवल फसल की गुणवत्ता पर असर पड़ा है बल्कि खरीद, तोल और उठान के कार्य भी प्रभावित हुए हैं। किसानों और आढ़तियों का कहना है कि वे पहले से ही मंडियों में बढ़े दबाव से जूझ रहे थे, और अब बारिश ने स्थिति और बिगाड़ दी है।
गेहूं की खरीद और उठान में आई रुकावट
शुक्रवार शाम तक जिले में कुल 48,33,862 क्विंटल गेहूं मंडियों में पहुंच चुका था, जिसमें से 36,87,022 क्विंटल की खरीद की जा चुकी थी। हालांकि, उठान का कार्य अब भी सुस्त चल रहा है। अब तक सिर्फ 5,77,956 क्विंटल गेहूं का उठान हो सका है। शुरुआत में उठान की प्रक्रिया धीमी थी, लेकिन प्रशासन की सख्ती के बाद इसमें कुछ तेजी आई है। फिर भी बारिश ने इस प्रक्रिया को फिर से प्रभावित कर दिया है।
लोडिंग के लिए जींद रेलवे स्टेशन पर लगी स्पेशल ट्रेन
गंभीर हालात को देखते हुए प्रशासन ने गेहूं के उठान को गति देने के लिए जींद सिटी रेलवे स्टेशन पर स्पेशल ट्रेन लगवाई है। एफसीआई अधिकारियों के अनुसार, इस ट्रेन में करीब 35,000 क्विंटल यानी 70,000 बैग गेहूं लोड किए गए हैं। यह गेहूं सीधे पश्चिम बंगाल भेजा जाएगा। शुक्रवार रात तक एक लाख 77 हजार 913 क्विंटल गेहूं का उठान हो चुका था और यह कार्य रात भर जारी रहा।
दो दिन में दूसरी बार मौसम ने डाला असर
गौरतलब है कि 10 और 11 अप्रैल को भी जिले में तेज बारिश और ओलावृष्टि हुई थी, जिससे गेहूं की कटाई और मंडियों में खरीद कार्य बाधित हुए थे। अब सप्ताह के अंत में फिर से खराब मौसम ने किसानों और आढ़तियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। मंडियों में गेहूं के पहाड़नुमा ढेर लगे हुए हैं और लिफ्टिंग की प्रक्रिया बेहद धीमी है।
प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल
स्थानीय लोगों और किसानों ने प्रशासन की तैयारियों पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि हर साल इस मौसम में ऐसी स्थिति बनती है, लेकिन इसके बावजूद मंडियों में अनाज ढकने के पर्याप्त इंतजाम नहीं होते। बिजली आपूर्ति को लेकर भी नाराजगी है क्योंकि कई गांवों में 12 घंटे से ज्यादा समय तक बिजली नहीं आई।
The Airnews | जींद, हरियाणा
हरियाणा के जींद जिले में शुक्रवार देर शाम मौसम ने अचानक करवट ली और तेज आंधी के साथ बारिश शुरू हो गई। इस प्राकृतिक आपदा के कारण जिले भर में भारी नुकसान हुआ है। 100 से अधिक पेड़ सड़कों और बिजली की तारों पर गिर गए, जिससे न केवल यातायात बाधित हुआ बल्कि 10 से ज्यादा गांवों की बिजली आपूर्ति भी पूरी तरह ठप हो गई। इसके अतिरिक्त, मंडियों में खुले में पड़ी गेहूं की फसल भीग गई, जिससे किसानों और आढ़तियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा।
आंधी का कहर: सड़कों पर गिरे पेड़
शुक्रवार शाम करीब 6 बजे तेज हवाओं के साथ बारिश शुरू हुई। जींद से लेकर ग्रामीण इलाकों तक, तेज आंधी ने तबाही मचा दी। सड़कों पर लगे पेड़ एक के बाद एक गिरते चले गए, जिससे मुख्य मार्गों के साथ-साथ लिंक रोड भी बंद हो गए। कई जगहों पर पेड़ बिजली की लाइनों पर गिर गए, जिससे आपूर्ति बाधित हो गई। जींद शहर के साथ-साथ जीतगढ़, अहिरका, कंडेला, लिजवाना और आसपास के गांवों में बिजली आपूर्ति रातभर के लिए ठप रही।
फायर ब्रिगेड को नहीं मिला रास्ता, आठ किलोमीटर दूर से जाना पड़ा
जींद से जीतगढ़ की ओर जा रही फायर ब्रिगेड को रास्ते में पेड़ गिरने के कारण रुकना पड़ा। फायर ब्रिगेड को अहिरका के रास्ते जाना था, लेकिन वहां पेड़ों की वजह से रास्ता बंद हो गया। इसके बाद वाहन को मजबूरी में कंडेला होते हुए आठ किलोमीटर लंबा चक्कर लगाकर गांव तक पहुंचना पड़ा। यह स्थिति प्रशासन की आपदा प्रबंधन तैयारियों पर सवाल खड़े करती है।
मंडियों में भिगा गेहूं, किसानों की बढ़ी चिंता
तेज बारिश के कारण जींद की नई अनाज मंडी सहित विभिन्न मंडियों में खुले में पड़ी गेहूं की फसल और बैग भीग गए। इससे न केवल फसल की गुणवत्ता पर असर पड़ा है बल्कि खरीद, तोल और उठान के कार्य भी प्रभावित हुए हैं। किसानों और आढ़तियों का कहना है कि वे पहले से ही मंडियों में बढ़े दबाव से जूझ रहे थे, और अब बारिश ने स्थिति और बिगाड़ दी है।
गेहूं की खरीद और उठान में आई रुकावट
शुक्रवार शाम तक जिले में कुल 48,33,862 क्विंटल गेहूं मंडियों में पहुंच चुका था, जिसमें से 36,87,022 क्विंटल की खरीद की जा चुकी थी। हालांकि, उठान का कार्य अब भी सुस्त चल रहा है। अब तक सिर्फ 5,77,956 क्विंटल गेहूं का उठान हो सका है। शुरुआत में उठान की प्रक्रिया धीमी थी, लेकिन प्रशासन की सख्ती के बाद इसमें कुछ तेजी आई है। फिर भी बारिश ने इस प्रक्रिया को फिर से प्रभावित कर दिया है।
लोडिंग के लिए जींद रेलवे स्टेशन पर लगी स्पेशल ट्रेन
गंभीर हालात को देखते हुए प्रशासन ने गेहूं के उठान को गति देने के लिए जींद सिटी रेलवे स्टेशन पर स्पेशल ट्रेन लगवाई है। एफसीआई अधिकारियों के अनुसार, इस ट्रेन में करीब 35,000 क्विंटल यानी 70,000 बैग गेहूं लोड किए गए हैं। यह गेहूं सीधे पश्चिम बंगाल भेजा जाएगा। शुक्रवार रात तक एक लाख 77 हजार 913 क्विंटल गेहूं का उठान हो चुका था और यह कार्य रात भर जारी रहा।
दो दिन में दूसरी बार मौसम ने डाला असर
गौरतलब है कि 10 और 11 अप्रैल को भी जिले में तेज बारिश और ओलावृष्टि हुई थी, जिससे गेहूं की कटाई और मंडियों में खरीद कार्य बाधित हुए थे। अब सप्ताह के अंत में फिर से खराब मौसम ने किसानों और आढ़तियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। मंडियों में गेहूं के पहाड़नुमा ढेर लगे हुए हैं और लिफ्टिंग की प्रक्रिया बेहद धीमी है।
प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल
स्थानीय लोगों और किसानों ने प्रशासन की तैयारियों पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि हर साल इस मौसम में ऐसी स्थिति बनती है, लेकिन इसके बावजूद मंडियों में अनाज ढकने के पर्याप्त इंतजाम नहीं होते। बिजली आपूर्ति को लेकर भी नाराजगी है क्योंकि कई गांवों में 12 घंटे से ज्यादा समय तक बिजली नहीं आई।