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Saturday, November 8, 2025

पंचकूला में देहरादून के एक ही परिवार के 7 लोगों ने की सामूहिक आत्महत्या: धीरेंद्र शास्त्री की कथा से लौटते समय कार में खाया ज़हर, सुसाइड नोट में लिखा – “मैं बैंक से करप्ट हो चुका हूं”

पंचकूला | 27 मई (The Airnews | रिपोर्टर: Sahil Kasoon)

पंचकूला शहर की शांत फिजा सोमवार रात उस वक्त दहल गई जब सेक्टर-27 से एक दर्दनाक खबर सामने आई। देहरादून से आए एक ही परिवार के 7 सदस्यों ने कार में जहर खाकर आत्महत्या कर ली। परिवार बागेश्वर धाम के बाबा धीरेंद्र शास्त्री की कथा में शामिल होने पंचकूला आया था।

सुसाइड नोट में लिखा: “मैं बैंक से करप्ट हो चुका हूं, मेरी वजह से सब हुआ”

पुलिस को मौके से दो पन्नों का सुसाइड नोट मिला है, जिसमें परिवार के मुखिया प्रवीण मित्तल ने लिखा –

“मैं बैंक से करप्ट हो चुका हूं। मेरी वजह से ही यह सब हुआ है। मेरे ससुर को कुछ मत कहना। अंतिम संस्कार की सभी रस्में मामा का लड़का निभाएगा।”

इससे स्पष्ट है कि आत्महत्या का कारण आर्थिक तंगी और बैंक कर्ज था।

कार में ली अंतिम सांस: होटल न मिलने पर गाड़ी में रुके, वहीं खाया जहर

जानकारी के अनुसार, देहरादून निवासी प्रवीण मित्तल अपने परिवार के साथ धीरेंद्र शास्त्री की कथा में शामिल होने पंचकूला आए थे। कथित रूप से होटल न मिलने पर वे रात को अपनी हुंडई ऑरा कार में ही रुके। यहीं पर सभी ने ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली।

प्रत्यक्षदर्शी की आंखों देखी

सेक्टर 27 निवासी हर्ष के मुताबिक, रात करीब 10:30 बजे उनके मकान मालिक ने गाड़ी में संदिग्ध स्थिति में लोगों को देखा। हर्ष और अन्य लोगों ने मौके पर पहुंचकर कार के अंदर देखा, तो सभी बेसुध अवस्था में थे।

  • ड्राइवर सीट पर प्रवीण मित्तल जीवित थे, लेकिन कांप रहे थे।

  • फ्रंट सीट पर बुजुर्ग मां और उनके पैरों में बेटा मृत पड़ा था।

  • पीछे की सीट पर प्रवीण की पत्नी, पिता और दो बेटियां मृत अवस्था में थीं।

पुलिस की कार्रवाई

112 नंबर पर कॉल के बाद पुलिस और DCP हिमाद्री कौशिक मौके पर पहुंचे। मृतकों के शव पंचकूला के अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेजे गए हैं। पुलिस ने कार को कब्जे में ले लिया है।

प्रवीण मित्तल का बैकग्राउंड: व्यवसाय में नुकसान, बढ़ते कर्ज से टूट गया परिवार

पुलिस जांच में सामने आया है कि प्रवीण मित्तल ने कुछ समय पहले देहरादून में टूर एंड ट्रैवल्स का व्यवसाय शुरू किया था, लेकिन भारी घाटे और कर्ज के कारण वे मानसिक तनाव में थे।

  • बच्चों की उम्र 10 से 15 वर्ष थी

  • वे चंडीगढ़ के मॉडल स्कूल, सेक्टर 28-डी में पढ़ते थे

मानवता को झकझोर देने वाली घटना

धार्मिक कथा में मानसिक शांति की तलाश में आया यह परिवार कर्ज के बोझ से दबकर टूट गया। यह घटना समाज के लिए एक करारी चेतावनी है कि मानसिक तनाव और आर्थिक दबाव किस हद तक इंसान को मजबूर कर सकता है।

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