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Monday, December 1, 2025

पराली के अवशेष ना जलाने बारे गांव गांव जाकर किसानों को पुलिस द्वारा किया जा रहा जागरूक

कैथल, 12 नवंबर – एसपी उपासना के दिशा-निर्देशानुसार जिला पुलिस द्वारा पराली जलाने से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण को रोकने तथा किसानों को इसके दुष्परिणामों से अवगत कराने के उद्देश्य से गांव-गांव जाकर लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। जिला के सभी डीएसपी, थाना प्रबंधक व चौकी प्रभारियों द्वारा अपने-अपने क्षेत्र के गांवों और खेतों में जाकर किसानों को व्यक्तिगत रूप से समझाया जा रहा है कि वे फसल के अवशेषों को आग न लगाएं।
एसपी उपासना ने बताया कि धान की कटाई के बाद खेतों में बचे पराली के अवशेषों को जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है, जिससे मानव स्वास्थ्य, पशुओं और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही भूमि की उर्वरकता भी कम होती है। उन्होंने कहा कि किसान पराली प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए कस्टम हायरिंग सेंटरों व फसल अवशेष प्रबंधन कृषि यंत्रों का अधिक से अधिक उपयोग करें। इन यंत्रों की सहायता से फसल के अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर भूमि की उर्वरकता को बढ़ाया जा सकता है।
एसपी उपासना ने कहा कि पराली जलाना न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है बल्कि यह कानूनन अपराध भी है। जिला प्रशासन और पुलिस द्वारा ऐसे किसानों की सख्त निगरानी की जा रही है जो पराली जलाने की घटना को अंजाम देते हैं। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे फसल अवशेष जलाने की बजाय इसका वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करें और स्वच्छ व प्रदूषण मुक्त वातावरण बनाए रखने में सहयोग करें।
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि पुलिस टीमों द्वारा गांवों में जाकर किसानों से बातचीत की जा रही है और उन्हें बताया जा रहा है कि पराली जलाने से न केवल वातावरण दूषित होता है बल्कि यह आसपास के लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है। पुलिस अधिकारियों ने किसानों से यह भी कहा कि वे अपने आस-पास के अन्य किसानों को भी जागरूक करें ताकि कोई भी व्यक्ति पराली के अवशेषों को आग लगाने जैसी गलती न करे।
Sahil Kasoon

The Air News (Writer/Editer)

Sahil Kasoon

The Air News (Writer/Editer)

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