The Airnews | Amit Dalal : देश को नया मुख्य न्यायाधीश मिल गया है। जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समेत कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।
जस्टिस संजीव खन्ना की जगह ली
जस्टिस गवई ने यह जिम्मेदारी जस्टिस संजीव खन्ना के सेवानिवृत्त होने के बाद संभाली है। जस्टिस खन्ना एक दिन पहले रिटायर हुए थे। 30 अप्रैल को भारत सरकार के कानून मंत्रालय ने जस्टिस गवई की नियुक्ति की अधिसूचना जारी की थी। इससे पहले 16 अप्रैल को तत्कालीन CJI ने उनके नाम की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी थी।
कार्यकाल रहेगा छह महीने का
जस्टिस गवई का कार्यकाल करीब छह महीने का रहेगा। वे 23 दिसंबर 2025 को 65 वर्ष की आयु पूरी कर सेवानिवृत्त होंगे। हालांकि यह कार्यकाल छोटा है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठता के आधार पर CJI नियुक्त किया जाता है।
न्यायिक जीवन की शुरुआत और योगदान
जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। उन्होंने 16 मार्च 1985 को वकालत शुरू की। शुरू में वे वरिष्ठ वकील बैरिस्टर राजा भोंसले के साथ जुड़े रहे और फिर बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस की। वे मुख्य रूप से संवैधानिक और प्रशासनिक मामलों में विशेषज्ञ थे।
1992 में सहायक सरकारी वकील बने और 2000 में सरकारी वकील और लोक अभियोजक बनाए गए। 2003 में वे बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश और 2005 में स्थायी न्यायाधीश बने। 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
दलित समुदाय से आने वाले दूसरे CJI
जस्टिस गवई भारत के इतिहास में दलित समुदाय से आने वाले दूसरे मुख्य न्यायाधीश हैं। उनसे पहले जस्टिस के. जी. बालकृष्णन 2007 में इस पद पर नियुक्त हुए थे। उनका चयन भारत की न्यायपालिका में सामाजिक न्याय और समावेशिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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