लव मैरिज की कीमत — ज़िंदा बेटी को घोषित किया गया मृत!
हरियाणा के रोहतक जिले से एक बेहद चौंकाने वाली और समाज को झकझोर देने वाली खबर सामने आई है। यहां महम क्षेत्र की एक बेटी ने अपने प्रेमी के साथ लव मैरिज की तो परिजनों ने ऐसा कदम उठाया, जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया। लड़की के माता-पिता ने बेटी की नाराजगी में उसका मृत्यु प्रमाण पत्र (Death Certificate) बनवा दिया और फैमिली आईडी से भी उसे मृत घोषित कर दिया।
ये मामला ना केवल सामाजिक भेदभाव और परंपराओं की जकड़न को दिखाता है बल्कि प्रशासनिक तंत्र की खामियों को भी उजागर करता है।
मामला विस्तार से:
महम निवासी निशा और उनके पति अजय ने 20 सितंबर 2024 को आपसी सहमति से विवाह किया। विवाह के बाद जब दोनों दंपत्ति ने वैध तरीके से शादी का रजिस्ट्रेशन करवाने का प्रयास किया, तब महम तहसील में कुछ ऐसा पता चला जिसने उनके पैरों तले ज़मीन खिसका दी।
शादी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में आया सच सामने:
जब दोनों तहसील में शादी रजिस्टर्ड करवाने पहुंचे तो वहां मौजूद कर्मचारियों ने उन्हें बताया कि लड़की के पिता की फैमिली आईडी में निशा का नाम जरूरी है। लेकिन जब जांच की गई, तो यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि निशा को फैमिली आईडी में मृत घोषित किया जा चुका है और उसका मृत्यु प्रमाण पत्र भी बनवाया जा चुका है।
RTI से हुआ खुलासा:
अजय और निशा ने जब इस मामले में RTI के माध्यम से जानकारी प्राप्त की, तो उनकी आशंका सही निकली। RTI से साफ़ हुआ कि निशा को कृत्रिम रूप से मृत घोषित किया गया है, जबकि वह पूरी तरह से जीवित है और एक सामान्य विवाहित जीवन जी रही है।
7 महीनों से न्याय की तलाश में भटक रहे हैं दंपत्ति:
निशा और अजय ने बताया कि वह करीब 7 महीनों से न्याय की गुहार लगा रहे हैं। वे महम तहसील से लेकर ज़िला प्रशासन, पंचायत, समाजिक संगठनों तक — हर दरवाज़ा खटखटा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई।
उनका कहना है कि शादी के बाद उन्होंने वैध तरीके से विवाह प्रमाण-पत्र बनवाने का प्रयास किया, जो हर नागरिक का अधिकार है। लेकिन पारिवारिक रंजिश और प्रशासनिक मिलीभगत ने उन्हें “कानूनी तौर पर मृत” बना दिया।
पुलिस ने FIR दर्ज करने से किया इनकार:
जब पीड़ित दंपत्ति ने पुलिस से शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की तो उन्हें यह कहकर टाल दिया गया कि मामला भिवानी क्षेत्र से संबंधित है। पुलिस ने jurisdiction का हवाला देकर FIR दर्ज करने से इनकार कर दिया।
यह घटना साफ़ दर्शाती है कि किस प्रकार प्रशासनिक तंत्र भी कभी-कभी आम नागरिकों को न्याय दिलाने में असफल हो जाता है।
इस मामले से उठते हैं कई बड़े सवाल:
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कैसे एक जीवित इंसान को मरा हुआ घोषित किया जा सकता है?
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क्या बिना मृत्यु प्रमाण पत्र सत्यापन के इसे जारी किया गया?
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कौन से अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार हैं?
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क्या यह कानूनन अपराध नहीं है?
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क्या यह महिला अधिकारों का हनन नहीं?
समाज के लिए एक बड़ा संदेश:
यह मामला केवल एक परिवार तक सीमित नहीं है। यह उस सामाजिक सोच को दर्शाता है जहां आज भी बेटी की मर्जी से की गई शादी को समाज और परिवार “इज़्ज़त पर दाग़” मानते हैं। ऐसे मामलों में सिर्फ बेटियां ही नहीं, बल्कि उनका हक़, उनकी पहचान और उनका सम्मान तक मिटा दिया जाता है।