शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की जीवनी
( Sahil Kasoon ) भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अमर नायक थे। इन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ संघर्ष किया और अपने प्राणों की आहुति दे दी। इनकी जयंती प्रत्येक वर्ष मनाई जाती है ताकि नई पीढ़ी इनके बलिदान से प्रेरणा ले सके। यह वेबसाइट इन महान क्रांतिकारियों के जीवन, विचारों और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को समर्पित है।
जीवनी
भगत सिंह
भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के बंगा गाँव में हुआ था। वे बचपन से ही क्रांतिकारी विचारों के थे और जलियांवाला बाग हत्याकांड ने उनके मन पर गहरा प्रभाव डाला। लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए उन्होंने सांडर्स की हत्या की और दिल्ली की असेंबली में बम फेंकने की घटना को अंजाम दिया।
राजगुरु
राजगुरु का पूरा नाम शिवराम हरि राजगुरु था। उनका जन्म 24 अगस्त 1908 को महाराष्ट्र में हुआ। वे बचपन से ही ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ थे और भगत सिंह के साथ मिलकर आज़ादी की लड़ाई में शामिल हुए। सांडर्स हत्या कांड में उनकी भी अहम भूमिका रही।
सुखदेव
सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब के लुधियाना में हुआ था। वे भगत सिंह और राजगुरु के करीबी साथी थे और हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के सक्रिय सदस्य थे। उन्होंने देश को आज़ाद कराने के लिए कई आंदोलनों का नेतृत्व किया।
विचार
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने न केवल ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ हथियार उठाए, बल्कि समाज को भी जागरूक करने का प्रयास किया। उनके कुछ प्रमुख विचार इस प्रकार हैं:
- “क्रांति की तलवार विचारों की शान पर तेज होती है।”
- “देशभक्ति कोई दिखाने की चीज नहीं, बल्कि एक एहसास है जिसे हर व्यक्ति को अपने दिल में रखना चाहिए।”
- “अगर हमें अपने देश को आज़ाद कराना है, तो हमें एकजुट होकर लड़ना होगा।”