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Saturday, November 8, 2025

सिरसा कोऑपरेटिव बैंक घोटाला: चौटाला पैक्स में 3.3 करोड़ के गबन पर शाखा प्रबंधक निलंबित

सिरसा कोऑपरेटिव बैंक घोटाला: चौटाला पैक्स में 3.3 करोड़ के गबन पर शाखा प्रबंधक निलंबित

डबवाली | रिपोर्ट: Sahil Kasoon | 5 अप्रैल 2025

हरियाणा के सिरसा जिले के गांव चौटाला में सामने आए 3.3 करोड़ रुपये के गबन के मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है। सिरसा सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के जनरल मैनेजर ने चौटाला शाखा के प्रबंधक सुभाष चंद्र को निलंबित कर दिया है। इससे पहले इसी मामले में पैक्स प्रबंधक और दो सेल्समैन को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। अब विभागीय जांच भी तेज़ हो गई है।


कब और कैसे हुआ गबन?

27 दिसंबर 2024 को हुई प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि खाद, फीड और दवाइयों का स्टॉक 2.64 करोड़ रुपये कम पाया गया। इसके अलावा प्रबंधक के पास 53 लाख रुपये से अधिक की ‘कैश इन हैंड’ राशि मिली, जिसने जांच अधिकारियों को और सतर्क कर दिया। बाद में सामने आया कि चौटाला खाद बिक्री केंद्र पर 16.15 लाख रुपये और आसाखेड़ा बिक्री केंद्र पर 4.14 लाख रुपये की राशि का गबन किया गया।


शाखा प्रबंधक पर कार्रवाई

गबन के आरोपों की पुष्टि के बाद सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के जनरल मैनेजर ने शाखा प्रबंधक सुभाष चंद्र को निलंबित कर दिया है। निलंबन पत्र भी जारी कर दिया गया है। जांच में यह भी पाया गया कि खाद सप्लायरों को अनियमित भुगतान किए गए थे और समिति के रिकॉर्ड में नकद बिक्री की कोई प्रविष्टि नहीं की गई थी।


जिम्मेदारियों की अनदेखी और मनमानी

सेल प्वाइंट की जिम्मेदारी पूरी तरह शाखा प्रबंधक की थी, लेकिन प्रबंधक और विक्रेताओं ने रिकॉर्ड में मनमर्जी से प्रविष्टियां कीं और बाद में उन्हें हटा दिया गया। इस पूरे मामले में समिति की निरीक्षण प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े हुए हैं क्योंकि विभागीय या सरकारी अधिकारियों ने कभी नियमित निरीक्षण नहीं किया।


रिकवरी नोटिस और संपत्ति की जानकारी मांगी

डबवाली सहकारी समिति रजिस्ट्रार ने पैक्स प्रबंधक और सेल्समैन की चल-अचल संपत्तियों की जानकारी मांगी है। सभी आरोपियों को गबन की राशि की वसूली के लिए नोटिस जारी किए गए हैं। यदि एक सप्ताह में राशि जमा नहीं हुई तो आगे की सख्त कार्रवाई की जाएगी।


निजी लाभ के लिए सरकारी धन का दुरुपयोग

जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी प्रबंधक और सेल्समैन ने वेतन के अतिरिक्त किराया और अंतरिम राहत जैसे लाभ भी लिए, जो नियमों के खिलाफ हैं। वे खाद की नकद बिक्री करते थे लेकिन इसका कोई रिकॉर्ड नहीं रखा गया। इससे स्पष्ट है कि सरकारी धन का दुरुपयोग निजी फायदे के लिए किया गया।


प्रारंभिक जांच और कमेटी गठन

डबवाली के सहायक रजिस्ट्रार नरेश कुमार ने चार सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी, जिसमें दो इंस्पेक्टर भी शामिल थे। जांच में सामने आया कि लगभग 3.5 करोड़ रुपये का गबन हुआ है। अभी यह विभागीय जांच प्रक्रिया जारी है और आगे और गिरफ्तारियां संभव हैं।


प्रशासनिक उदासीनता पर सवाल

इस घोटाले ने सहकारी समितियों और बैंकिंग व्यवस्था की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। विभागीय अधिकारियों की अनदेखी और निरीक्षण की कमी के चलते इतना बड़ा घोटाला संभव हो पाया। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से सख्त कार्रवाई और जवाबदेही की मांग की है।

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