हरियाणा कांग्रेस के नए अध्यक्ष का विरोध:पूर्व मंत्री बोले- राहुल गांधी की इच्छा के उलट नियुक्ति हुई
हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार के एक साल बाद आखिरकार कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष बदल दिया। चौधरी उदयभान को हटाकर राव नरेंद्र सिंह को यह जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके साथ ही, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को फिर से विधायक दल का नेता चुना गया। मगर, घोषणा के साथ ही इसका विरोध भी शुरू हो गया है।
पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता कैप्टन अजय सिंह यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा- “हरियाणा में कांग्रेस पार्टी के लगातार गिरते ग्राफ को देखते हुए आज लिए गए निर्णय पर पार्टी को आत्म निरीक्षण करने की आवश्यकता है। राहुल गांधी जी की इच्छा थी कि हरियाणा कांग्रेस का अध्यक्ष एक ऐसे व्यक्ति को बनाया जाए जिसकी छवि पूरी तरह साफ-सुथरी, बेदाग और युवा नेतृत्व की पहचान रखने वाली हो।
मगर, यह निर्णय इसके ठीक उलट दिखाई देता है। इस वजह से पार्टी कार्यकर्ताओं और कैडर का मनोबल बिल्कुल गिर गया है।” कैप्टन ने इसके पोस्ट के साथ राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल और बीके हरि प्रसाद को भी टैग किया है।
उधर, मंगलवार को नव नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह ने दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला और भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मुलाकात की। इसके बाद वह पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह से भी मिले।
कैप्टन अजय यादव की ओर से की गई पोस्ट…

विधानसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस 3 बड़े बदलाव कर चुकी….
9 जून 2023 को दीपक बाबरिया को हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई थी। कांग्रेस ने उनके नेतृत्व में 2024 का लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ा। लोकसभा में कांग्रेस 10 में से 5 सीट जीतने में कामयाब रही। जबकि, विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का माहौल होने के बावजूद कांग्रेस 37 सीट तक सिमट गई।
कांग्रेस की हार के बाद दीपक बाबरिया ने इसकी जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ने तक की पेशकश कर दी थी। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि पार्टी किसी और नेता को यह जिम्मेदारी दे दे। स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा था कि मैं ज्यादा समय नहीं दे सकता।15 फरवरी 2025 को कांग्रेस ने दीपक बाबरिया को हटाकर बीके हरि प्रसाद को प्रभारी बना दिया। बीके हरी प्रसाद 2013 में भी हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी रहे चुके हैं।
विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस का दूसरा बड़ा फैसला 11 साल बाद संगठन बनाने का रहा। इसके लिए 4 जून को राहुल गांधी हरियाणा दौरे पर आए थे। चंडीगढ़ में उन्होंने कांग्रेस की ओर से नियुक्त किए गए AICC और PCC पर्यवेक्षकों से मीटिंग की और संगठन बनाने का टास्क दिया।
इसके बाद केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने सभी 22 जिलों का दौरा किया। नेताओं और कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेकर उन नामों को शॉर्ट-लिस्ट किया, जिन्होंने जिलाध्यक्ष के लिए आवेदन किया था। 6-6 नेताओं के नाम के पैनल बनाकर प्रदेश प्रभारी को भेजे गए। इसके बाद केसी वेणुगोपाल और बीके हरिप्रसाद ने केंद्रीय पर्यवेक्षकों के साथ वन-टू-वन मीटिंग कर एक-एक पैनल पर चर्चा की और छंटनी के बाद फाइनल पैनल बनाए गए।
12 अगस्त को कांग्रेस ने 32 जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की। इनमें 3 नाम वे भी थे, जो 2024 में विधानसभा चुनाव हार गए थे। इनमें अंबाला कैंट से परविंदर परी, भिवानी रूरल से अनिरुद्ध चौधरी और गुरुग्राम रूरल से वर्धन यादव शामिल हैं। परविंदर परी अंबाला कैंट, अनिरुद्ध चौधरी भिवानी की तोशाम सीट और वर्धन यादव गुरुग्राम जिले की बादशाहपुर सीट से चुनाव हार गए थे। तीनों को भाजपा उम्मीदवारों ने हराया था।
विधानसभा चुनाव हारने के बाद तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी उदयभान पर खूब सवाल उठे। तभी से उन्हें बदलने की चर्चा चलने लगी थी। राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला, विधायक गीता भुक्कल, विधायक अशोक अरोड़ा, अंबाला से सांसद वरुण चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह और पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव के नाम की प्रदेश अध्यक्ष के लिए चर्चा हुई।
तब कांग्रेस के सह प्रभारी जितेंद्र बघेल ने भी यह कहा था कि प्रदेश अध्यक्ष का बदलना तय है। कांग्रेस में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव होगा। इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। 23 सितंबर को पूर्व मंत्री राव नरेंद्र सिंह और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को 24 सितंबर को बिहार में होने वाले कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग का न्योता मिला। इसमें हैरान करने वाली यह बात थी कि दोनों ही नेता CWC के मेंबर नहीं हैं।
तब चर्चा चल पड़ी कि राव नरेंद्र सिंह का नाम प्रदेश अध्यक्ष और भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम विधायक दल के लिए चुना जाना है। चर्चा है कि दोनों नामों पर मीटिंग में सहमति बनी। इसके बाद 29 सितंबर को कांग्रेस हाईकमान ने दोनों नेताओं के नाम का ऐलान कर दिया।




