हरियाणा को जोड़ने वाली 6 सड़कें राजस्थान ने बंद कीं: CM को चिट्ठी लिख राजस्थान सरकार ने जताई चिंता
(Yash)
हरियाणा और राजस्थान के बीच चल रहे खनन विवाद ने अब नया मोड़ ले लिया है। राजस्थान सरकार ने अरावली पर्वतमाला क्षेत्र में हरियाणा को जोड़ने वाली छह अवैध सड़कों को बंद करने का आदेश दिया है। ये सड़कें खनन माफियाओं द्वारा अवैध तरीके से बनाई गई थीं ताकि खनिज संसाधनों का अवैध रूप से परिवहन किया जा सके। अब राजस्थान सरकार ने इन सड़कों पर सख्त कार्रवाई करते हुए मुख्यमंत्री नायब सैनी को चिट्ठी लिखकर स्थिति की जानकारी दी है।
राजस्थान सरकार की सख्ती
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जो भी सड़कें बिना स्वीकृति के बनाई गई हैं, उन्हें तुरंत बंद किया जाए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि ये रास्ते पर्यावरण के लिए खतरा हैं और खनन माफिया इनका उपयोग कर अवैध खनिज सामग्री हरियाणा में भेज रहे हैं।
सीएम भजनलाल शर्मा ने हरियाणा के सीएम नायब सैनी को पत्र भेजकर अवैध खनन पर नियंत्रण के लिए समन्वय स्थापित करने का आग्रह भी किया है। उन्होंने लिखा:
“हमारी सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है और हम खनन माफियाओं को किसी भी हाल में बख्शने वाले नहीं हैं।”
अवैध खनन पर बढ़ती चिंता
अरावली क्षेत्र में अवैध खनन का मुद्दा काफी समय से विवादित रहा है। सुप्रीम कोर्ट तक इस पर कई बार सुनवाई कर चुका है। बावजूद इसके, माफिया ने जगह-जगह अवैध सड़कें बनाकर खनिज संपदा का दोहन जारी रखा हुआ है। इन सड़कों का इस्तेमाल कर ट्रक और ट्रैक्टर-ट्रॉलियां सीधे हरियाणा पहुंचती हैं, जिससे दोनों राज्यों की सीमा पर न तो टैक्स लिया जा पाता है और न ही रिकॉर्ड में आता है।
राजस्थान प्रशासन की कार्रवाई:
- 6 अवैध सड़कों को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।
- संबंधित इलाकों में पुलिस और वन विभाग की गश्त बढ़ाई गई है।
- जिन इलाकों में इन रास्तों का निर्माण हुआ है, वहां जिम्मेदार अधिकारियों से जवाबतलबी की जा रही है।
हरियाणा की प्रतिक्रिया
हरियाणा की तरफ से अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय से सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार अवैध खनन पर नियंत्रण के लिए अब राजस्थान के साथ तालमेल बैठाने की कोशिश में है। आने वाले दिनों में दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों की बैठक भी हो सकती है।
क्या कहते हैं पर्यावरणविद?
पर्यावरण संरक्षण में काम कर रहे विशेषज्ञों का कहना है कि अरावली क्षेत्र जैव विविधता के लिहाज से बहुत संवेदनशील है। यहां खनन गतिविधियां नियंत्रित नहीं की गईं तो आने वाले वर्षों में इसका सीधा असर हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली-एनसीआर के पर्यावरण पर पड़ेगा।