( Sahil Kasoon )हरियाणा में एक अप्रैल से बिजली महंगी हो सकती है। बिजली निगम को हुए 4,520 करोड़ रुपये के घाटे को कम करने के लिए हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग (HERC) ने दरों में बढ़ोतरी की सिफारिश की है। सरकार की मंजूरी के बाद यह दरें लागू हो सकती हैं, जिससे प्रदेश के करीब 81 लाख उपभोक्ताओं को अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ेगा। आइए, विस्तार से समझते हैं कि यह बढ़ोतरी क्यों की जा रही है और इससे आम जनता पर क्या असर पड़ेगा।
बिजली दरों में बढ़ोतरी का कारण
हरियाणा सरकार ने पिछले तीन सालों में बिजली दरों में कोई वृद्धि नहीं की थी। हालांकि, बढ़ते फ्यूल सरचार्ज और बिजली निगमों के बढ़ते घाटे के चलते सरकार को अब टैरिफ बढ़ाने पर विचार करना पड़ा है। प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
- बिजली निगमों का घाटा – दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (DHBVN) और उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (UHBVN) को 4,520 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है।
- लाइन लॉस बढ़ना – DHBVN में 12.37% और UHBVN में 9.15% लाइन लॉस है।
- फ्यूल सरचार्ज में बढ़ोतरी – सरकार पहले ही 2026 तक के लिए फ्यूल सरचार्ज एडजस्टमेंट (FSA) लागू कर चुकी है।
- औसत आपूर्ति लागत (ACC) और औसत राजस्व वसूली (ARR) के बीच अंतर – HERC के चेयरमैन नंद लाल शर्मा ने इस अंतर को कम करने के लिए सुधारात्मक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
पिछली बढ़ोतरी का रिकॉर्ड
हरियाणा में अंतिम बार वर्ष 2022-23 में बिजली दरें बढ़ाई गई थीं। उस समय 150 यूनिट तक की खपत करने वाले उपभोक्ताओं के लिए प्रति यूनिट 25 पैसे की बढ़ोतरी की गई थी। इस बार, सरकार कुछ राहत देते हुए केवल आंशिक रूप से बिजली शुल्क में वृद्धि कर सकती है।
उपभोक्ताओं पर प्रभाव
बिजली दरों में वृद्धि से हरियाणा के 81 लाख उपभोक्ताओं पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। इनमें घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ता शामिल हैं।
1. घरेलू उपभोक्ता
- 200 यूनिट तक बिजली खपत करने वाले उपभोक्ताओं को FSA से राहत दी गई है।
- 200 यूनिट से अधिक खपत करने वालों को अतिरिक्त 94.47 रुपये का भुगतान करना होगा।
2. वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ता
- व्यापारिक और औद्योगिक इकाइयों के लिए बिजली दरों में बढ़ोतरी का असर उत्पादन लागत पर पड़ेगा।
- उच्च लागत का प्रभाव उपभोक्ताओं तक भी पहुंचेगा।
सरकार की राहत योजनाएं
हरियाणा सरकार ने उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए कुछ योजनाएं लागू की हैं:
- मासिक शुल्क माफी (2024) –
- जून 2024 में सरकार ने 2 किलोवाट तक के मीटर वाले उपभोक्ताओं के लिए मासिक शुल्क माफ किया।
- इस फैसले से करीब 9.5 लाख उपभोक्ताओं को लाभ मिला।
- पहले प्रति किलोवाट 115 रुपये मासिक शुल्क लिया जाता था।
- फ्यूल सरचार्ज में छूट –
- 200 यूनिट तक के उपभोक्ताओं को FSA नहीं देना होगा।
- इससे निम्न और मध्यम वर्ग के परिवारों को कुछ राहत मिलेगी।
विपक्ष और जनता की प्रतिक्रिया
बिजली दरों में वृद्धि को लेकर जनता और विपक्षी दलों ने नाराजगी जताई है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां सरकार पर बिजली निगमों की अक्षमता का ठीकरा फोड़ रही हैं। विपक्ष का तर्क है कि पहले सरकार ने बिजली सस्ती करने के वादे किए थे, लेकिन अब महंगाई बढ़ा रही है।
जनता का कहना है कि पहले ही महंगाई बढ़ रही है और अब बिजली दरों में वृद्धि से घरेलू बजट पर और दबाव पड़ेगा।