
हांसी में किसानों की महापंचायत का ऐलान: रामायण टोल पर 4 जिलों के किसानों की एकजुटता, फसल सुरक्षा पर होगा मंथन
स्रोत: The Air News | संपादन: यश
हिसार जिले के हांसी क्षेत्र में स्थित रामायण टोल प्लाजा एक बार फिर किसानों के आक्रोश और संगठन शक्ति का केंद्र बनने जा रहा है। शनिवार को यहां विभिन्न किसान संगठनों की अहम बैठक आयोजित हुई, जिसमें अप्रैल महीने के अंतिम सप्ताह में एक विशाल महापंचायत बुलाने का निर्णय लिया गया। इस महापंचायत में भिवानी, फतेहाबाद, सिरसा और हिसार जिलों के किसान बड़ी संख्या में भाग लेंगे। बैठक की अध्यक्षता भारतीय किसान नौजवान यूनियन के जिला प्रधान दशरथ मलिक ने की।
आंदोलन के पीछे की चिंता: फसल सुरक्षा और किसान अधिकार
दशरथ मलिक ने बैठक के बाद मीडिया को बताया कि किसानों की समस्याएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं, और सरकार की ओर से कोई ठोस समाधान सामने नहीं आ रहा। खास तौर पर प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के कारण फसलें लगातार खराब हो रही हैं, मगर न तो समय पर मुआवजा मिलता है और न ही फसल बीमा योजना का समुचित लाभ। उन्होंने कहा, “अब हमारे पास केवल आंदोलन का ही रास्ता बचा है। सरकार को मजबूर करना होगा कि वह हमारी समस्याओं को गंभीरता से ले।”
चार जिलों की एकता की मिसाल
महापंचायत में भाग लेने वाले चारों जिलों के किसानों को एकजुट करने के लिए संगठन के कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर जनसंपर्क अभियान चलाएंगे। बैठक में मौजूद नेताओं ने कहा कि किसान अब राजनीतिक दलों की वोट बैंक राजनीति से ऊब चुके हैं और केवल अपने अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए संघर्षरत रहेंगे।
प्रमुख मांगें और प्रस्तावित एजेंडा
महापंचायत में निम्नलिखित मुद्दों पर चर्चा और प्रस्ताव पारित किए जाएंगे:
- एमएसपी की कानूनी गारंटी: सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दी जाए।
- फसल बीमा योजना की समीक्षा: योजना की खामियों को दूर कर उसे किसान हितैषी बनाया जाए।
- प्राकृतिक आपदाओं का मुआवजा: समय पर और पारदर्शी तरीके से मुआवजा प्रदान किया जाए।
- किसानों की गिरफ्तारी पर रोक: आंदोलन कर रहे किसानों पर दर्ज केस रद्द किए जाएं।
- कृषि यंत्रों पर सब्सिडी: छोटे और मध्यम किसानों के लिए आधुनिक कृषि यंत्रों पर सरकारी सब्सिडी सुनिश्चित की जाए।
टोल प्लाजा बना रणनीति का केंद्र
रामायण टोल प्लाजा केवल एक मार्ग शुल्क केंद्र नहीं रह गया है, बल्कि यह अब किसानों के लिए रणनीति और संघर्ष का मुख्य स्थल बन चुका है। पिछले आंदोलन के दौरान भी यह स्थान मुख्य केंद्र रहा था। यहां आए दिन किसान बैठकें करते हैं और आगामी योजनाओं पर चर्चा करते हैं।
प्रशासनिक तैयारी और ज्ञापन सौंपने की योजना
महापंचायत से पहले जिला प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा जाएगा, जिसमें उपरोक्त मांगों को शामिल किया जाएगा। किसानों की योजना है कि ज्ञापन सौंपने के बाद यदि प्रशासन की ओर से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिलता है, तो महापंचायत के बाद चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया जाएगा।
युवाओं की भूमिका अहम
दशरथ मलिक ने विशेष रूप से युवाओं को आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “किसान आंदोलन की ऊर्जा हमारे युवा हैं। वे ही गांवों में जागरूकता फैलाएंगे, सोशल मीडिया के माध्यम से संदेशों को दूर-दराज तक पहुंचाएंगे और जनसमर्थन को बढ़ाएंगे।”
राजनैतिक तटस्थता की घोषणा
बैठक में उपस्थित किसानों और नेताओं ने यह भी स्पष्ट किया कि महापंचायत और आंदोलन पूरी तरह से गैर-राजनैतिक होंगे। किसी भी राजनैतिक दल को मंच साझा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उद्देश्य केवल और केवल किसानों के हितों की रक्षा करना है।
महिला किसानों की भागीदारी भी सुनिश्चित
इस बार की महापंचायत में महिला किसानों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी। महिला किसान नेताओं ने कहा कि वे न केवल भोजन और व्यवस्था में सहयोग करेंगी, बल्कि मुख्य मंच से भी अपनी बात रखेंगी।