हिसार का वाइल्ड लाइफ सेंटर बना मौत का घर: जीव रक्षा बिश्नोई सभा ने खोली हकीकत, बोले – जानवर तड़प-तड़पकर मर रहे हैं
(Yash)
हरियाणा के हिसार जिले में स्थित वाइल्ड लाइफ ट्रीटमेंट सेंटर की हालत इन दिनों चिंताजनक होती जा रही है। जिस केंद्र को घायल, बीमार और असहाय वन्य जीवों के उपचार और संरक्षण के लिए स्थापित किया गया था, वह अब “मौत का घर” बनता जा रहा है। इस गंभीर स्थिति का खुलासा हाल ही में अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा ने एक प्रेसवार्ता के माध्यम से किया। सभा का कहना है कि वन विभाग और सरकार की लापरवाही से यह केंद्र वन्य जीवों के लिए अभिशाप बन गया है।
बिश्नोई सभा का आरोप: “यह ट्रीटमेंट सेंटर नहीं, कत्लखाना है”
प्रेसवार्ता में सभा के पदाधिकारियों ने बताया कि यह सेंटर अब जीवों की सेवा का स्थान नहीं, बल्कि उनके लिए एक यातनास्थल बन गया है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि न तो यहां डॉक्टर उपलब्ध हैं, न ही कोई प्रशिक्षित स्टाफ। दवाइयों की भारी कमी है और जानवरों के लिए पीने के पानी तक का इंतजाम नहीं है।
सभा के प्रदेश महासचिव ने भावुक होते हुए कहा:
“हमने नीलगायों को खून से लथपथ हालत में तड़पते हुए देखा है, जिनका समय पर इलाज नहीं हो पाया। मोर, खरगोश और अन्य पक्षी पिंजरे में भूखे-प्यासे पड़े थे। यह दृश्य देखकर किसी भी संवेदनशील व्यक्ति का दिल दहल जाए।”
ग्राउंड रियलिटी: अंदर की तस्वीर डरावनी है
जब समाजसेवियों और मीडिया प्रतिनिधियों ने वाइल्ड लाइफ ट्रीटमेंट सेंटर का दौरा किया, तो वहां की स्थिति बेहद खराब पाई गई:
- कई घायल जानवर बिना किसी उपचार के खुले में पड़े थे।
- मर चुके जानवरों को कई घंटों तक हटाया नहीं गया।
- केंद्र में गंदगी और बदबू का आलम था।
- पानी की टंकियां खाली पड़ी थीं और जानवर प्यास से बेहाल थे।
- वहां कार्यरत स्टाफ ने जवाब दिया कि उन्हें ऊपर से कोई दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं।
वन्य जीवों के लिए यह कैसा न्याय?
वाइल्ड लाइफ ट्रीटमेंट सेंटर की यह हालत दर्शाती है कि सरकार और वन विभाग वन्य जीवों के संरक्षण को लेकर कितने गंभीर हैं। यह विडंबना ही है कि जिस राज्य में वन्य जीवों के लिए प्रचार-प्रसार और संवेदनशीलता की बातें की जाती हैं, वहां धरातल पर इतनी लापरवाही दिखाई देती है।
बिश्नोई सभा की मांगें:
सभा ने सरकार और वन विभाग से निम्नलिखित मांगें की हैं:
- सेंटर में फुल-टाइम अनुभवी पशु चिकित्सकों की नियुक्ति की जाए।
- दवाइयों, उपकरणों और प्राथमिक उपचार सामग्री की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
- घायल पशुओं के लिए 24×7 इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम गठित की जाए।
- वन्य जीवों के लिए अलग वार्ड बनाए जाएं जहां उन्हें उचित देखभाल मिल सके।
- एक स्वतंत्र निगरानी समिति बनाई जाए जो हर महीने सेंटर का निरीक्षण करे।
समाज और सरकार की जिम्मेदारी
हरियाणा जैसे राज्य में, जहां वन्य जीवन की विविधता है, वहां इस तरह की लापरवाही बेहद खतरनाक संकेत है। यह केवल एक सेंटर की बात नहीं है, यह हमारी सोच, हमारी व्यवस्थाओं और हमारी प्राथमिकताओं का आईना है। सरकार को चाहिए कि वह तुरंत कार्रवाई करे और ऐसे केंद्रों को सही मायनों में ‘उपचार केंद्र’ बनाए।
बिश्नोई समाज, जो सदियों से पर्यावरण और जीवों की रक्षा करता आ रहा है, ने बार-बार यह दिखाया है कि जीवों की सेवा करना केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं बल्कि नैतिक जिम्मेदारी भी है। ऐसे में उनकी बातों को अनदेखा करना एक गंभीर भूल हो सकती है।