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Saturday, November 8, 2025

हिसार में अंबेडकर की प्रतिमा का चेहरा-चश्मा तोड़ा

हिसार में अंबेडकर की प्रतिमा का चेहरा-चश्मा तोड़ा: ग्रामीणों में गुस्सा, 2 साल पहले चंदे से बनी थी, पुलिस बोली- जल्द होगी गिरफ्तारी

परिचय: हिसार जिले के गांव नंगथला में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना सामने आई है, जहां अज्ञात व्यक्तियों ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया। यह प्रतिमा उस गांव के स्कूल में स्थापित थी, जहां के स्थानीय ग्रामीणों ने इसे दो साल पहले अपने सामूहिक प्रयासों और चंदे से स्थापित किया था। प्रतिमा के चेहरे और चश्मे को तोड़ा गया, जिससे स्थानीय समुदाय में गुस्से का माहौल है। यह घटना विशेष रूप से डॉ. अंबेडकर जयंती के दिन हुई, जब देशभर में अंबेडकर के योगदान को सम्मानित किया जा रहा था। घटना के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और जल्द ही आरोपियों की गिरफ्तारी की बात कही है।

घटना का विवरण: गांव नंगथला के प्राइमरी स्कूल में स्थापित डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने तोड़ा। प्रतिमा का चेहरा और चश्मा पूरी तरह से खंडित कर दिया गया था, जिससे गांव के लोग बेहद नाराज हो गए। गांव के लोग यह देखकर चौंक गए, क्योंकि यह प्रतिमा दो साल पहले गांव के सामाजिक और धार्मिक समुदाय की मदद से स्थापित की गई थी।

प्रतिमा तोड़े जाने की सूचना मिलते ही आसपास के ग्रामीण मौके पर पहुंच गए। यह घटना उस दिन हुई थी जब डॉ. अंबेडकर की जयंती मनाई जा रही थी, और ऐसी घटना ने अंबेडकर के विचारों और उनके योगदान को नुकसान पहुंचाने जैसा महसूस कराया। सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय बुद्धिजीवियों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया: घटना के बाद, अग्रोहा थाना प्रभारी रिसाल सिंह पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। इस घटना की गंभीरता को देखते हुए डीएसपी किशोरी लाल भी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी है। उन्होंने आसपास के सीसीटीवी फुटेज की जांच करने का आश्वासन दिया है और कहा है कि आरोपियों को जल्द पकड़ लिया जाएगा।

डीएसपी किशोरी लाल ने ग्रामीणों से भी बातचीत की और उनकी चिंताओं को सुना। उन्होंने ग्रामीणों को विश्वास दिलाया कि पुलिस इस मामले में उचित कदम उठाएगी और आरोपियों को सजा दिलाई जाएगी।

समुदाय की प्रतिक्रिया: घटना के बाद, गांव के लोग एकजुट हो गए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। स्थानीय सामाजिक संगठनों और बुद्धिजीवियों ने इस घटना की निंदा की और प्रशासन से अपील की कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

ग्रामीणों का कहना था कि यह घटना न केवल डॉ. अंबेडकर के योगदान का अपमान है, बल्कि समाज में सद्भाव और एकता की भावना को भी चोट पहुंचाती है। वे चाहते हैं कि दोषियों को कड़ी सजा दी जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

प्रतिमा का इतिहास: यह प्रतिमा गांव के लोगों द्वारा सामूहिक प्रयासों से स्थापित की गई थी। दो साल पहले, गांव के युवा और स्थानीय समुदाय ने एकत्रित होकर चंदे से इस प्रतिमा को स्थापित करने का निर्णय लिया था। प्रतिमा का उद्देश्य डॉ. अंबेडकर के योगदान को सम्मानित करना था और गांव में उनके विचारों को फैलाना था।

समाज में समानता, न्याय और शिक्षा के अधिकार की दिशा में डॉ. अंबेडकर का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह प्रतिमा गांव के लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन गई थी, और उनके द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों का प्रतीक थी।

डॉ. अंबेडकर का योगदान: डॉ. भीमराव अंबेडकर ने भारतीय समाज में जातिवाद और असमानता के खिलाफ संघर्ष किया। उनका योगदान भारतीय संविधान के निर्माण में था, जिससे सभी नागरिकों को समान अधिकार मिल सके। उनके विचारों ने भारतीय समाज को जागरूक किया और उन्हें समानता, शिक्षा और न्याय के अधिकारों के प्रति संवेदनशील बनाया।

डॉ. अंबेडकर की जयंती पर हर साल देशभर में उनकी प्रतिमाओं और उनके योगदान को सम्मानित किया जाता है। इस तरह की घटनाएं समाज में एकता और समरसता की भावना को कमजोर करती हैं और लोगों के दिलों में नफरत का बीजारोपण करती हैं।

कार्यवाही की आवश्यकता: स्थानीय समुदाय ने प्रशासन से यह मांग की है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और समाज में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

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