अवार्ड राशि पर गुरु का भी होता है अधिकार, लेकिन विनेश ने…
महावीर फोगाट ने भतीजी विनेश फोगाट पर उठाए सवाल
The Airnews | Haryana Desk
हरियाणा की धरती से जुड़ा एक और पारिवारिक और खेल जगत से जुड़ा मामला सुर्खियों में है। द्रोणाचार्य अवार्डी और देश के नामी पहलवान महावीर फोगाट ने एक बार फिर अपनी भतीजी और जुलाना से विधायक विनेश फोगाट के खिलाफ नाराजगी जताई है। इस बार उनका आरोप है कि विनेश ने उन्हें कभी गुरु का सम्मान नहीं दिया और अवार्ड राशि में उनका हिस्सा तक नहीं माना। यह मुद्दा केवल पारिवारिक विवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि हरियाणा की खेल संस्कृति, परंपराओं और नीतियों से भी जुड़ गया है। आइए जानते हैं इस पूरे प्रकरण की विस्तार से:
महावीर फोगाट का बयान: “गुरु का भी होता है अधिकार”
महावीर फोगाट ने मीडिया से बातचीत करते हुए साफ कहा कि किसी भी खिलाड़ी की सफलता में गुरु की भूमिका सबसे अहम होती है। जब खिलाड़ी को अवार्ड राशि दी जाती है तो उसमें गुरु का भी हक होता है। उन्होंने कहा, “अगर विनेश को रुपयों का लालच नहीं था, तो उसने मुझे अब तक गुरु का सम्मान क्यों नहीं दिया? मैंने अपने मन से उसके फॉर्म भरवाए, उसकी ट्रेनिंग में सालों लगाए और उसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया।”
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की खेल नीति के अनुसार जब खिलाड़ी को इनाम मिलता है तो गुरु को भी सम्मान राशि मिलती है, लेकिन विनेश ने ऐसा कुछ नहीं किया।
पारिवारिक रिश्तों में खटास
महावीर फोगाट और विनेश फोगाट के बीच यह कोई पहली बार नहीं है जब सार्वजनिक तौर पर मतभेद सामने आए हैं। इससे पहले भी कई बार विनेश और उनके परिवार के बीच दूरी की खबरें आई हैं। विनेश के राजनीति में आने के बाद यह दूरी और अधिक बढ़ती दिखाई दी है।
महावीर फोगाट ने कहा, “मेरे सिवा विनेश का कोई दूसरा गुरु नहीं है, लेकिन आज तक उसने मुझे न तो सार्वजनिक मंच पर सम्मानित किया और न ही निजी तौर पर कोई मान्यता दी। ऐसा क्यों?”
हरियाणा सरकार की भूमिका और नीति
महावीर फोगाट ने इस दौरान हरियाणा सरकार की खेल नीति की भी तारीफ की, लेकिन एक खास अपवाद की ओर भी इशारा किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने विनेश फोगाट को जो सम्मान दिया है, वह खेल नीति से हटकर है। उन्होंने कहा, “सरकार ने जो विनेश के लिए किया है, वह दुनिया में आज तक किसी के लिए नहीं हुआ। एक स्वर्ण पदक विजेता को भी इतना सम्मान नहीं मिलता।”
इसका अर्थ यह भी निकाला जा सकता है कि महावीर फोगाट सरकार से नाराज नहीं हैं, बल्कि उनके निशाने पर केवल विनेश हैं। हालांकि इस बात को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं जरूर तेज हो गई हैं कि क्या यह मामला सिर्फ व्यक्तिगत है या इसके पीछे राजनीतिक वजहें भी हैं।
गुरु-शिष्य परंपरा पर उठते सवाल
भारतीय खेल संस्कृति में गुरु का स्थान अत्यंत उच्च माना गया है। विशेषकर कुश्ती जैसे पारंपरिक खेलों में गुरु का सम्मान सर्वोपरि होता है। ऐसे में महावीर फोगाट जैसे सम्मानित द्रोणाचार्य अवार्डी का यह बयान कई सवाल खड़े करता है:
- क्या आज की पीढ़ी गुरु-शिष्य परंपरा को भूल रही है?
- क्या सफलता के बाद खिलाड़ी अपने गुरु को पीछे छोड़ देते हैं?
- क्या खेल नीति में गुरु को मिलने वाली राशि और सम्मान पर्याप्त रूप से लागू हो रहा है?
इन सवालों पर मंथन जरूरी है, क्योंकि केवल खेल में जीत ही नहीं, उस जीत के पीछे खड़े लोगों का भी मूल्यांकन होना चाहिए।
विनेश फोगाट की ओर से प्रतिक्रिया?
इस मामले में अभी तक विनेश फोगाट की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। न ही उन्होंने किसी सार्वजनिक मंच पर इस विषय पर बयान दिया है। हालांकि इससे पहले के विवादों में उन्होंने यह जरूर कहा था कि उनके जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए हैं और उन्होंने अपने दम पर अपनी जगह बनाई है।
खेल नीति में सुधार की मांग?
महावीर फोगाट की टिप्पणी के बाद यह मांग भी उठ सकती है कि हर राज्य की खेल नीति में गुरु को मिलने वाले अधिकारों और सम्मान को स्पष्ट और बाध्यकारी किया जाए। ताकि भविष्य में किसी भी गुरु को यह न कहना पड़े कि उन्हें उनका हक नहीं मिला।