loader image
Saturday, November 8, 2025

करनाल रेलवे ने किया गांव का रास्ता बंद: रातों रात खड़ी कर दी पक्की दीवार, ग्रामीणों में आक्रोश

करनाल रेलवे ने किया गांव का रास्ता बंद: रातों रात खड़ी कर दी पक्की दीवार, ग्रामीणों में आक्रोश

(Yash)

हरियाणा के करनाल जिले के डींगा खेड़ा गांव में रेलवे प्रशासन द्वारा फाटक नंबर 68 सी को अचानक और बिना पूर्व सूचना के पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। रेलवे ने इस फाटक को बंद करने के लिए गांव की ओर एक पक्की कंक्रीट की दीवार खड़ी कर दी, जिसके बाद से गांव के लोग अत्यधिक परेशान हैं। यह निर्णय न केवल ग्रामीणों की दैनिक गतिविधियों में रुकावट डाल रहा है, बल्कि उनके लिए कई आपातकालीन स्थितियों को भी जटिल बना रहा है।

ग्रामीणों के अनुसार, यह फाटक वर्षों से उनके लिए एक महत्वपूर्ण रास्ता था, जिससे वे रेलवे ट्रैक को आसानी से पार कर पाते थे। इस फाटक का बंद होना ग्रामीणों के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है। अब उन्हें रेलवे ट्रैक को पार करने के लिए अन्य रास्तों का सहारा लेना पड़ रहा है, जो समय और मेहनत की दृष्टि से बेहद कठिन है।

ग्रामीणों का रोष

इस घटना के बाद से डींगा खेड़ा गांव के लोगों का गुस्सा उबाल मार रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि रेलवे द्वारा अचानक इस रास्ते को बंद करने से उनका जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि रेलवे प्रशासन ने बिना किसी पूर्व सूचना के यह कदम उठाया है, और न ही कोई वैकल्पिक रास्ता दिया गया है। कई लोग तो यह भी कह रहे हैं कि रेलवे द्वारा की गई यह कार्रवाई उनके जीवन में एक गंभीर समस्या उत्पन्न कर रही है।

ग्रामीणों का कहना है कि इस रास्ते के बंद होने से न केवल उनकी दिनचर्या में दिक्कतें आ रही हैं, बल्कि आपातकालीन स्थितियों में भी उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एक ग्रामीण ने बताया, “हमारा रास्ता पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। अब हमें अपने घरों से बाहर जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है, जो न केवल समय की बर्बादी है, बल्कि हमारे लिए शारीरिक रूप से भी कठिन है।”

अर्थी ले जाने में भी होगी समस्या

डींगा खेड़ा गांव के लोग विशेष रूप से इस बात से चिंतित हैं कि यदि कोई व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार हो जाता है या किसी दुर्घटना में घायल हो जाता है, तो उन्हें अस्पताल ले जाने में भी दिक्कत हो सकती है। इसके अलावा, एक गंभीर मुद्दा यह भी है कि इस रास्ते के बंद होने से गांव के लोग अब अपने परिजनों की अर्थी को भी गांव से बाहर नहीं ले जा पाएंगे। एक ग्रामीण ने दुख व्यक्त करते हुए कहा, “हमारे पास अब कोई रास्ता नहीं बचा है। यदि किसी का निधन हो जाता है, तो हम उसकी अर्थी कैसे ले जाएंगे? यह हमारे लिए एक बहुत बड़ा संकट है।”

ग्रामीणों की मांग

इस परिप्रेक्ष्य में, गांव के लोग रेलवे प्रशासन से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि रेलवे ने इस रास्ते को बंद किया है, तो उसे खोलने के लिए एक वैकल्पिक रास्ते की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि ग्रामीणों को इस तरह की समस्या का सामना न करना पड़े। ग्रामीणों का कहना है कि उनके पास पहले से ही सीमित रास्ते हैं, और इस तरह के फैसलों से उनकी मुश्किलें और बढ़ जाती हैं।

इसके अलावा, कई ग्रामीणों ने प्रशासन से यह भी मांग की है कि रेलवे द्वारा की गई इस कार्रवाई को तत्काल रोका जाए और फाटक को फिर से खोला जाए। उनका कहना है कि यदि ऐसा नहीं किया गया, तो वे आगे की कार्यवाई करने के लिए मजबूर होंगे।

रेलवे प्रशासन की चुप्पी

हालांकि, इस मामले में रेलवे प्रशासन की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट बयान सामने नहीं आया है। न ही रेलवे ने यह स्पष्ट किया है कि इस फाटक को क्यों बंद किया गया है और क्या इसके लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। यह भी अज्ञात है कि क्या रेलवे प्रशासन इस समस्या का समाधान करने के लिए कोई कदम उठाने वाला है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!