
कांग्रेस ने कैप्टन अजय यादव को OBC चेयरमैन पद से हटाया, हरियाणा के पूर्व मंत्री महाराष्ट्र में चीफ गेस्ट बनने गए थे, कार्यक्रम छोड़ लौटना पड़ा
कांग्रेस पार्टी ने हरियाणा के पूर्व मंत्री और ओबीसी विभाग के चेयरमैन, कैप्टन अजय यादव को अचानक पद से हटा दिया है। इस कदम से हरियाणा की राजनीति में हलचल मच गई है। कैप्टन अजय यादव का यह कद, कांग्रेस पार्टी के अंदर लंबे समय से उनके राजनीतिक संघर्ष और संघर्षों का हिस्सा रहा है, और इस फैसले ने उनके समर्थकों को हैरान कर दिया। इस मामले पर कैप्टन का गुस्सा खुलकर सामने आया है और उन्होंने इसे एक साजिश के रूप में देखा है, जो उनके खिलाफ कुछ नेताओं द्वारा रची गई है।
कैप्टन अजय यादव का गुस्सा और उनके आरोप
कैप्टन अजय यादव ने कहा, “मैंने अपने 40 साल के राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन जो हुआ, वह बिल्कुल अप्रत्याशित था। मुझे जब महाराष्ट्र के सोलापुर में ओबीसी विभाग के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया गया, तो मैं वहां गया। उसी दौरान अचानक मुझे पद से हटा दिया गया। यह पूरी तरह से अपमानजनक था।”
उनका यह आरोप है कि कुछ लोगों ने उनके खिलाफ साजिश रची और उन्हें अपमानित करने का प्रयास किया। कैप्टन ने यह भी कहा कि उन्हें पद से हटाने का कोई आधिकारिक सूचना या संदेश नहीं दिया गया, और उन्हें यह जानकारी मीडिया से मिली।
कैप्टन की 4 बड़ी बातें:
-
पद से हटाने का संदेश नहीं मिला:
कैप्टन ने यह स्पष्ट किया कि उन्होंने सोलापुर में आयोजित ओबीसी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की थी, और उन्हें अचानक ही पद से हटा दिया गया। उन्हें न तो कोई संदेश भेजा गया, और न ही इसकी कोई पूर्व सूचना दी गई। यही कारण था कि उन्हें कार्यक्रम बीच में छोड़कर लौटना पड़ा। -
14 राज्यों में ओबीसी विभाग को मजबूत किया:
कैप्टन ने अपने कार्यकाल के दौरान ओबीसी विभाग के लिए कई अहम कदम उठाए थे। उन्होंने 14 राज्यों में ओबीसी विभाग को मजबूत करने के लिए काम किया था। वह कहते हैं कि इतने बड़े स्तर पर काम करने के बाद इस तरह से बिना किसी कारण के उन्हें पद से हटा दिया गया। -
मेरे नेता केवल सोनिया गांधी हैं:
कैप्टन ने कहा कि उनकी नेता केवल सोनिया गांधी हैं, जिनकी वजह से उन्हें पार्टी में कई अहम पद मिले थे। लेकिन अब पार्टी में मल्लिकार्जुन खड़गे की नेतृत्व में पुरानी राजनीति की बजाय नई नीति लागू की जा रही है, जिसमें वह खुद को दरकिनार महसूस करते हैं। -
12 वर्षों में संगठन का निर्माण नहीं हुआ:
कैप्टन अजय यादव ने 2024 के विधानसभा चुनाव में हार के लिए केसी वेणुगोपाल राय को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि महासचिव के तौर पर वेणुगोपाल को हरियाणा में संगठन खड़ा करना चाहिए था, लेकिन वे इसमें नाकाम रहे। इसके कारण कांग्रेस पार्टी का इस राज्य में बुरा हाल हुआ।
कैप्टन अजय यादव को हटाने के तीन बड़े कारण
-
पार्टी को असहज करना:
कैप्टन अजय यादव ने कई बार पार्टी को असहज किया। वह अपनी मनमर्जी चलाने के लिए जाने जाते हैं। 2014 में, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से खटपट के बाद उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया था, हालांकि बाद में उन्हें मना लिया गया। इसके बाद, 2024 के लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर भी उन्होंने इस्तीफा दे दिया था, लेकिन फिर हाईकमान ने उन्हें वापस मना लिया। -
2019 में हार का सामना:
कैप्टन अजय यादव को 2019 के विधानसभा चुनाव में राव इंद्रजीत सिंह से करारी हार का सामना करना पड़ा। वह गुरुग्राम सीट पर राव इंद्रजीत सिंह के खिलाफ 3 लाख 86 हजार वोटों से हार गए थे। उनकी हार ने पार्टी को अहीरवाल क्षेत्र में बुरी स्थिति में डाल दिया। -
भा.ज.पा. का ओबीसी वोट बैंक मजबूत होना:
कैप्टन अजय यादव के नेतृत्व में ओबीसी वोटरों को आकर्षित करने में कांग्रेस नाकाम रही। भाजपा ने हरियाणा में ओबीसी समुदाय में सेंधमारी की है, और ओबीसी वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा भाजपा की ओर खिसक गया है। यही कारण है कि कांग्रेस को ओबीसी वोटों के मामले में भाजपा के खिलाफ मुकाबला करने में कठिनाई हो रही है।
कैप्टन अजय यादव का बिहार से संबंध
यह भी महत्वपूर्ण है कि कैप्टन अजय यादव बिहार के आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के समधी हैं। उनकी बेटी अनुष्का राव से शादी हुई है और यह संबंध भी राजनीति में गहरा प्रभाव डाल सकता है। बिहार में इस साल चुनाव होने वाले हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि कैप्टन के इस फैसले का क्या असर बिहार में हो सकता है।
कैप्टन अजय यादव की प्रतिक्रिया पर पार्टी का रुख
कांग्रेस पार्टी ने इस फैसले के बारे में कोई खास बयान जारी नहीं किया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि पार्टी का नेतृत्व अब पुराने नेताओं की बजाय नए चेहरों को तरजीह दे रहा है। मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में पार्टी ने कई बदलाव किए हैं, और यह बदलाव कैप्टन अजय यादव को नापसंद आ रहे हैं। उनका मानना है कि अब पार्टी में पुराने नेताओं की आवाज़ को दबाया जा रहा है।