कुमारी सैलजा का निजी स्कूलों पर तीखा हमला: कहा- दोनों हाथों से लूट रहे हैं स्कूल, सरकार बनी तमाशबीन

कुमारी सैलजा का निजी स्कूलों पर तीखा हमला: कहा- दोनों हाथों से लूट रहे हैं स्कूल, सरकार बनी तमाशबीन
Source: The Air News | Edit by: Yash
हरियाणा में निजी स्कूलों द्वारा की जा रही मनमानी और शिक्षा के नाम पर भारी भरकम फीस वसूली पर सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने सरकार को जमकर घेरा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार मूकदर्शक बनी हुई है और निजी स्कूल बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। सैलजा ने निजी स्कूलों पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये संस्थान अब शिक्षा के केंद्र नहीं बल्कि मुनाफा कमाने के संस्थान बन चुके हैं।
शिक्षा के नाम पर हो रही खुली लूट
कुमारी सैलजा ने कहा कि निजी स्कूल यूनिफॉर्म, किताबें और एक्स्ट्रा एक्टिविटीज के नाम पर बच्चों और अभिभावकों से मनमानी फीस वसूल रहे हैं। अभिभावकों को स्कूलों द्वारा संचालित दुकानों से ही किताबें और ड्रेस खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है, जो बाज़ार मूल्य से कहीं अधिक होती हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि यह पूरा सिस्टम एक सुनियोजित नेटवर्क का हिस्सा है जिसमें स्कूल प्रबंधन, प्रकाशक और कुछ प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हैं। शिक्षा को व्यापार बनाने का यह तरीका समाज के लिए खतरनाक संकेत है।
निजी स्कूलों की मनमानी पर कोई नियंत्रण नहीं
कुमारी सैलजा ने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि राज्य में शिक्षा नियंत्रण बोर्ड होते हुए भी निजी स्कूलों पर लगाम क्यों नहीं लगाई जा रही? क्या सरकार खुद इस लूट का हिस्सा बन चुकी है? उन्होंने कहा कि जब तक कोई पारदर्शी नियामक प्रणाली नहीं बनेगी, तब तक यह लूट चलती रहेगी।
कमीशन के खेल में पिस रहा बच्चों का भविष्य
सैलजा ने कहा कि शिक्षा विभाग और निजी स्कूलों के बीच कमीशन का खेल चल रहा है, जिससे बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है। स्कूलों द्वारा अभिभावकों पर जबरन शुल्क थोपना, बच्चों को फालतू गतिविधियों के नाम पर परेशान करना आम बात हो गई है। स्कूल के नाम पर चल रहे इस व्यापार से आम नागरिकों की आय पर सीधा असर पड़ रहा है।
शिक्षा विभाग की नाकामी या मिलीभगत?
उन्होंने सवाल उठाया कि यदि शिक्षा विभाग को इन बातों की जानकारी है तो फिर कार्रवाई क्यों नहीं होती? क्या यह विभागीय नाकामी है या सबकुछ जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है? उन्होंने कहा कि यह स्थिति साफ करती है कि सरकार और प्रशासन दोनों ही इस खेल में शामिल हैं या जानबूझकर चुप हैं।
सरकार से की कार्रवाई की मांग
कुमारी सैलजा ने मुख्यमंत्री से मांग की कि निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाया जाए। उन्होंने कहा कि स्कूलों की फीस संरचना, किताबों की बिक्री, और अन्य शुल्कों की जांच के लिए विशेष टीम गठित की जाए ताकि शिक्षा को व्यवसाय बनने से रोका जा सके। इसके साथ ही दोषी पाए जाने वाले स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
बच्चों की शिक्षा नहीं, पैसे का खेल बन गई है व्यवस्था
उन्होंने कहा कि आज की शिक्षा व्यवस्था बच्चों की पढ़ाई से ज्यादा, उनकी जेब पर आधारित हो गई है। बेहतर शिक्षा पाने के लिए एक मध्यमवर्गीय परिवार को अपनी आय का बड़ा हिस्सा खर्च करना पड़ रहा है। यह आर्थिक अन्याय है और सरकार को इसके विरुद्ध तुरंत कदम उठाने चाहिए।
शिक्षा व्यवस्था की तुलना पुरानी सरकारों से
सैलजा ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों के समय शिक्षा का स्तर बेहतर था और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलती थी। अब निजीकरण के नाम पर सरकार शिक्षा से भाग रही है और आम जनता को निजी स्कूलों के हवाले कर रही है।
जनता को बताया जागरूक होने की जरूरत
उन्होंने कहा कि जब तक जनता इन मामलों में चुप रहेगी, तब तक यह व्यवस्था नहीं सुधरेगी। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे मिलकर इस लूट के खिलाफ आवाज उठाएं और कानूनी तरीके से अपना विरोध दर्ज कराएं।
विपक्ष भी उठा चुका है मुद्दा
यह पहली बार नहीं है जब निजी स्कूलों की मनमानी का मुद्दा उठा हो। विपक्षी दल लंबे समय से इस पर सवाल खड़े कर रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इससे साफ है कि सरकार की प्राथमिकता शिक्षा नहीं, बल्कि निजी हितों की रक्षा करना है।
सामाजिक संगठनों ने भी किया समर्थन
इस मुद्दे पर कई सामाजिक संगठनों ने भी कुमारी सैलजा के बयान का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का निजीकरण एक खतरनाक प्रवृत्ति है, जो समाज में असमानता को बढ़ावा देती है। सरकार को अविलंब इस पर अंकुश लगाना चाहिए।




