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Saturday, November 8, 2025

कैथल में झूठी जमानत देने वाला गिरफ्तार: कोर्ट में गलत हलफनामा देकर बोला- पहली बार बना रहा हूं जमानतदार

जानकारी देते सिविल लाइन थाना प्रभारी शिवकुमार

कैथल में झूठी जमानत देने वाला गिरफ्तार: कोर्ट में गलत हलफनामा देकर बोला- पहली बार बना रहा हूं जमानतदार

कैथल: हरियाणा के कैथल जिले में कोर्ट को गुमराह कर झूठी जमानत देने के मामले में पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। आरोपी ने कोर्ट में फर्जी हलफनामा देकर खुद को पहली बार जमानतदार बताया, जबकि वह पहले भी किसी अन्य मामले में जमानतदार बन चुका था। इस धोखाधड़ी का खुलासा अदालत में जांच के दौरान हुआ, जिसके बाद आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान जिला जींद के गांव झील निवासी मोनू के रूप में हुई है। पुलिस ने उसके खिलाफ केस दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी है।

कैसे हुआ मामला उजागर?

यह मामला तब सामने आया जब कैथल की अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (ACJM) की अदालत में कार्यरत रीडर ने शिकायत दर्ज करवाई।

  • 2024 में थाना सदर, कैथल में दर्ज एक धोखाधड़ी केस में आरोपी मोहित की रेगुलर बेल के लिए 2 अप्रैल को जमानत बांड प्रस्तुत किए जाने थे।

  • इस दौरान मोनू ने कोर्ट में जमानत बांड जमा करवाए और खुद को जमानतदार बताया।

  • हलफनामे में उसने यह झूठा बयान दिया कि वह पहली बार किसी की जमानत ले रहा है।

जब अदालत ने मामले की पड़ताल की, तो सामने आया कि मोनू पहले भी किसी अन्य केस में जमानतदार रह चुका था।

कोर्ट से की धोखाधड़ी

किसी आरोपी को जमानत देने के लिए जमानतदार का सत्यनिष्ठ और भरोसेमंद होना अनिवार्य होता है। लेकिन जब अदालत ने मोनू के हलफनामे की जांच की, तो यह साफ हो गया कि उसने कोर्ट को गुमराह करने के लिए झूठे दस्तावेज प्रस्तुत किए।

अदालत के संज्ञान में मामला आने के बाद, थाना सिविल लाइन, कैथल में मोनू के खिलाफ धोखाधड़ी और झूठी गवाही देने का मामला दर्ज किया गया।

क्या है जमानत प्रक्रिया और क्यों जरूरी है जमानतदार की सत्यता?

भारतीय कानून के तहत, जमानत प्राप्त करने के लिए एक जमानतदार की आवश्यकता होती है, जो यह आश्वासन देता है कि आरोपी जमानत मिलने के बाद कोर्ट में पेश होगा और कानून का पालन करेगा।

लेकिन, यदि जमानतदार की पहचान फर्जी निकलती है, तो:

  1. न्यायिक प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है।

  2. आरोपी को बचाने के लिए गलत तरीके अपनाए जा सकते हैं।

  3. न्यायपालिका में विश्वास को नुकसान पहुंचता है।

  4. ऐसे मामले भविष्य में धोखाधड़ी को बढ़ावा दे सकते हैं।

इसलिए, अदालतें जमानतदार की पूरी पृष्ठभूमि की जांच करती हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह कानूनी रूप से सही और जिम्मेदार व्यक्ति है।

पुलिस की प्रतिक्रिया और आगे की कार्रवाई

सिविल लाइन थाना प्रभारी शिवकुमार ने बताया कि आरोपी मोनू को गिरफ्तार कर लिया गया है और अब उसके खिलाफ विस्तृत जांच की जा रही है।

  • पुलिस यह भी पता लगाने का प्रयास कर रही है कि क्या मोनू ने अन्य मामलों में भी इसी तरह की फर्जी जमानतें दी हैं।

  • यह भी देखा जा रहा है कि क्या इस फर्जी जमानत नेटवर्क में और भी लोग शामिल हैं।

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