कैथल में नहर में मिला नवजात बच्ची का शव: थैले में डालकर फेंका, नहाने गए बच्चों ने देखा; गर्भवती महिलाओं का डेटा होगा चेक
कैथल, हरियाणा – हरियाणा के कैथल जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक नहर में नवजात बच्ची का शव एक प्लास्टिक के थैले में फेंका हुआ मिला। इस घटना ने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया है। बच्ची के शव के साथ ईंट भी डाली गई थी, जिससे यह प्रतीत होता है कि किसी ने जानबूझकर उसे नहर में फेंक दिया था। यह घटना उस वक्त सामने आई जब नहाने गए बच्चों ने शव को देखा और तुरंत गांव जाकर इसकी सूचना दी। इसके बाद ग्रामीणों ने पुलिस को सूचित किया और मामले की जांच शुरू की गई।
घटना का विवरण:
घटना कैथल जिले के तितरम थाना क्षेत्र के पास स्थित एक नहर की है। नहाने के लिए नहर में आए कुछ बच्चों ने प्लास्टिक के थैले में एक नवजात बच्ची का शव देखा। थैले में बच्ची के साथ ईंट भी डाली गई थी, जिससे शव को नहर में बहाने के प्रयास को नजरअंदाज किया गया था। बच्चों ने जैसे ही शव को देखा, उन्होंने तुरंत गांव में जाकर इसकी सूचना दी, जिससे गांव में सनसनी फैल गई। इसके बाद स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और पुलिस को सूचित किया।
पुलिस की कार्रवाई:
तितरम थाना पुलिस ने घटना की सूचना मिलते ही तुरंत कार्रवाई की। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को पोस्टमॉर्टम के लिए नागरिक अस्पताल भेज दिया। तितरम थाना प्रभारी कृष्ण कुमार ने बताया कि बच्ची के शव को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह केवल 1-2 दिन की बच्ची थी। उन्होंने कहा कि यह घटना पूरी तरह से हत्या की ओर इशारा करती है, क्योंकि किसी ने बच्ची को पैदा होते ही मरने के लिए फेंक दिया।
प्रारंभिक जांच:
पुलिस ने घटना की प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। नहर के पास पानी का स्तर कम था, जिसके कारण शव आगे नहीं बह सका और वहीं रुक गया। थैले में ईंट भी डाली गई थी, जिससे यह संकेत मिलता है कि शव को जानबूझकर फेंका गया था। पुलिस ने इस घटना की गंभीरता को समझते हुए स्वास्थ्य विभाग और आंगनबाड़ी के रिकॉर्ड को चेक करने का फैसला किया है। इसके जरिए यह जांचने की कोशिश की जाएगी कि इस क्षेत्र में कौन सी महिलाएं गर्भवती थीं और उनकी डिलीवरी हुई है या नहीं।
आरोपी की पहचान और कार्रवाई:
इस मामले में पुलिस ने जांच को और गहरा करने का निर्णय लिया है। तितरम थाना प्रभारी ने बताया कि पुलिस यह पता लगाएगी कि कौन सी महिला गर्भवती थी और उसके बाद बच्चे का जन्म हुआ या नहीं। साथ ही, पुलिस गर्भवती महिलाओं के डेटा को चेक करेगी, ताकि आरोपी की पहचान की जा सके। पुलिस ने इस मामले को लेकर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है और जल्द ही आरोपी को पकड़ने की कोशिश करेगी।
गर्भवती महिलाओं के डेटा की जांच:
पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस डेटा के आधार पर यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि कौन सी महिलाएं इस क्षेत्र में गर्भवती थीं और उनके प्रसव के बारे में क्या जानकारी प्राप्त होती है। इस प्रकार की जांच से पुलिस को आरोपी तक पहुंचने में मदद मिल सकती है। इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इस प्रकार के अपराधों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं।
नवजात बच्चियों के मामलों में बढ़ती चिंता:
यह घटना न केवल एक मानवता के खिलाफ अपराध है, बल्कि यह समाज में नवजात बच्चियों की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर सवाल खड़ा करती है। ऐसे मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है, जहां नवजात शिशुओं को abandon किया जा रहा है। यह अपराध न केवल कानून की अवहेलना है, बल्कि यह समाज की संवेदनशीलता को भी दर्शाता है। पुलिस और सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन गई है कि ऐसे मामलों में कठोर सजा और सुरक्षा उपायों को लागू किया जाए ताकि इस तरह के जघन्य अपराधों पर काबू पाया जा सके।
समाज और पुलिस की जिम्मेदारी:
समाज और पुलिस दोनों की जिम्मेदारी बनती है कि वे ऐसे मामलों को गंभीरता से लें और दोषियों को कड़ी सजा दिलवाने के लिए काम करें। इस तरह की घटनाओं से समाज में डर और असुरक्षा का माहौल पैदा होता है, जो किसी भी समाज के लिए खतरनाक है। पुलिस को चाहिए कि वे अपराधियों को शीघ्र गिरफ्तार करें और इस प्रकार के अपराधों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें ताकि अन्य लोग ऐसा करने की हिम्मत न जुटा सकें।
कानूनी प्रावधान और सजा:
भारत में महिला और बाल संरक्षण के लिए कई कानूनी प्रावधान हैं। जिनमें ‘बाल संरक्षण अधिनियम’ और ‘मातृ एवं शिशु सुरक्षा कानून’ जैसे महत्वपूर्ण कानून शामिल हैं। इन कानूनों के तहत किसी भी नवजात बच्चे के साथ शोषण या हत्या करने वाले को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। पुलिस और प्रशासन को इस तरह के मामलों में त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए और कानूनी प्रावधानों का पालन सुनिश्चित करना चाहिए।
समाज में जागरूकता की आवश्यकता:
इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए समाज में जागरूकता फैलाना अत्यंत आवश्यक है। लोगों को यह समझाना होगा कि बच्चों का जीवन सबसे कीमती है और उन्हें किसी भी प्रकार के नुकसान से बचाने के लिए हर किसी को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। परिवारों को भी अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर जागरूक रहना चाहिए और इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए हर संभव कदम उठाने चाहिए।