कैथल में हड़ताल के चलते आधी रोडवेज बसें बंद: बस स्टैंड पर कर्मचारियों का धरना-नारेबाजी, अन्य विभागों में असर देखने को बाकी

कैथल, Sahil Kasoon The Airnews — हरियाणा के कैथल जिले में बुधवार को रोडवेज कर्मचारियों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का व्यापक असर दिखाई दिया। सुबह से ही हरियाणा रोडवेज सांझा मोर्चा और सर्व कर्मचारी संघ से जुड़े संगठनों के कर्मचारी कैथल बस स्टैंड पर एकत्रित होकर हड़ताल पर बैठ गए। इस हड़ताल के कारण रोडवेज डिपो की लगभग 50 प्रतिशत बसों का संचालन पूरी तरह से ठप रहा, जिससे यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। वहीं, किलोमीटर स्कीम के तहत चलने वाली 19 बसें और कुछ प्राइवेट बसें ही सड़कों पर दौड़ती नजर आईं। डिपो प्रधान अमित कुमार कुंडू, कृष्ण गुलियाना और दी ट्रांसपोर्ट वर्कर्स यूनियन के कैशियर जसबीर सिंह ने बताया कि उनके संगठन से जुड़े कर्मचारी हड़ताल पर हैं, इसीलिए बसों का संचालन प्रभावित हुआ है। उन्होंने सरकार पर कर्मचारियों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि यह आंदोलन पूरे दिन चलेगा और सरकार को झुकना ही पड़ेगा। कर्मचारी सरकार की नीतियों के विरोध में जमकर नारेबाजी कर रहे हैं और अपनी मांगों को लेकर संघर्ष तेज कर दिया है। हड़ताल का समर्थन सर्व कर्मचारी संघ के साथ-साथ इंटक, कर्मचारी महासंघ, रिटायर्ड कर्मचारी संघ, अखिल भारतीय किसान सभा, नगरपालिका कर्मचारी संगठन और परियोजना कर्मियों ने भी किया है। अनुमान है कि दोपहर तक भारी संख्या में अन्य विभागों के कर्मचारी भी धरना स्थल पर पहुंच सकते हैं, जिससे हड़ताल का दायरा और प्रभाव और भी बढ़ सकता है। कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में सभी को महंगाई के अनुसार ₹5000 की अंतरिम राहत देना, सातवें वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर करना, हटाए गए कौशल कर्मचारियों को वापस लेना व नियमित करना, सभी तरह के कच्चे कर्मचारियों को पक्का करना, परियोजना कर्मियों को स्थायी कर्मचारी का दर्जा देना, पुरानी पेंशन योजना बहाल करना, कर्मचारियों के आश्रितों के मेडिकल बिलों का भुगतान बिना आय जोड़ने के करना, 10 लाख बेरोजगारों को आबादी व क्षेत्रफल के अनुसार रोजगार देना, परियोजना कर्मियों व मजदूरों को ₹26000 न्यूनतम मानदेय देना और जनता को सस्ती दरों पर शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराना शामिल हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि राज्य में लगातार तीसरी बार भाजपा की सरकार बनने के बावजूद कर्मचारियों, परियोजना कर्मियों, मजदूरों और आम जनता की लगातार उपेक्षा की जा रही है और उनसे किए गए वादों को नहीं निभाया गया है। ऐसे में यह आंदोलन मजबूरी में शुरू किया गया है और जब तक मांगे नहीं मानी जाएंगी, संघर्ष जारी रहेगा। फिलहाल अन्य सरकारी विभागों में हड़ताल का असर कार्यालय खुलने के बाद ही पूरी तरह स्पष्ट हो पाएगा, लेकिन रोडवेज में सेवाएं बाधित होने से आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।




