खुशखबरी! हरियाणा के कच्चे कर्मचारियों को मिली बड़ी राहत ?

खुशखबरी! हरियाणा के कच्चे कर्मचारियों को मिली बड़ी राहत, सैनी सरकार का ऐतिहासिक फैसला
The AirNews | Chandigarh
हरियाणा की नई सैनी सरकार ने प्रदेश के हजारों कच्चे कर्मचारियों को लेकर एक बड़ा और राहत भरा निर्णय लिया है, जो ना केवल उनकी नौकरी की सुरक्षा सुनिश्चित करता है बल्कि आने वाले वर्षों के लिए भी स्थिरता का रास्ता खोलता है। सरकार के इस फैसले से उन कर्मचारियों को सीधा लाभ मिलेगा, जो अनुबंध (Contract) के तहत विभागों, बोर्डों, निगमों व विश्वविद्यालयों में काम कर रहे हैं।
पृष्ठभूमि: हड़ताल और कर्मचारियों की मांगें
वर्ष 2023 में, 20 जुलाई से 3 अगस्त तक हरियाणा के विभिन्न विभागों में कार्यरत कच्चे कर्मचारियों ने अपनी कई वर्षों से लंबित मांगों को लेकर हड़ताल की थी। यह हड़ताल पूरे राज्य में व्यापक रूप से प्रभावी रही और इसमें हरियाणा कौशल रोजगार निगम (HKRN), जलदाय विभाग, बिजली निगम, स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, और अन्य सरकारी विभागों के कर्मचारी शामिल हुए थे।
उनकी मुख्य मांगों में शामिल थीं:
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सेवा स्थायित्व (Job Security)
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नियमितीकरण (Regularization)
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समान कार्य के लिए समान वेतन
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पीएफ और ईएसआई जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाएं
इस हड़ताल के चलते उस समय की सरकार ने कई चेतावनियां जारी की थीं, परंतु अब सैनी सरकार ने इन कर्मचारियों के पक्ष में निर्णय लेते हुए एक साहसिक कदम उठाया है।
सैनी सरकार का आदेश: क्या है नया फैसला?
हरियाणा सरकार के मानव संसाधन विभाग (Department of Human Resources) ने एक अहम आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि:
“हड़ताल के दिनों के लिए कोई पारिश्रमिक नहीं दिया जाएगा, लेकिन यह कर्मचारियों की सेवा की निरंतरता में बाधा नहीं बनेगा और ना ही उनके कार्यकाल की गणना पर कोई प्रभाव डालेगा।”
इस आदेश को निम्नलिखित विभागों व संस्थानों तक पहुंचाया गया है:
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सभी प्रशासनिक सचिव
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विभागाध्यक्ष
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बोर्ड और निगमों के प्रमुख
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सरकारी कंपनियों के प्रबंध निदेशक
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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार
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सभी विश्वविद्यालयों के कुलसचिव (Registrar)
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उपायुक्त, एसडीएम व मंडलायुक्त
किन कर्मचारियों को मिलेगा सीधा लाभ?
इस आदेश का सबसे बड़ा लाभ उन HKRN (Haryana Kaushal Rozgar Nigam) के अंतर्गत कार्यरत कर्मचारियों को होगा, जिनके कार्यदिवस 240 दिन पूरे नहीं हो पा रहे थे। चूंकि सरकारी नीति के अनुसार, किसी भी कर्मचारी की सेवा की सुरक्षा तब ही सुनिश्चित की जाती है जब वह साल में न्यूनतम 240 दिन कार्य करे, ऐसे में हड़ताल के दिनों को “गैर-कमाई दिन” मानते हुए कर्मचारियों की सेवा अवधि पर प्रभाव नहीं डाला जाएगा।
सेवा की सुरक्षा: सेवानिवृत्ति तक नौकरी का भरोसा
सैनी सरकार ने पहले ही एक आदेश में यह स्पष्ट किया था कि:
“जो कच्चे कर्मचारी पिछले पांच वर्षों से कार्यरत हैं और हर साल कम से कम 240 दिन की सेवा पूरी करते हैं, उनकी सेवाएं सेवानिवृत्ति तक सुरक्षित रहेंगी।”
इस निर्णय से हजारों कच्चे कर्मचारियों को न केवल मानसिक संतोष मिलेगा बल्कि वे अपनी नौकरी को लेकर आत्मविश्वास के साथ कार्य कर सकेंगे।
कर्मचारी संगठनों की प्रतिक्रिया
राज्यभर में कच्चे कर्मचारियों से जुड़े संगठनों ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है। HKRN कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेंद्र दहिया ने कहा:
“यह निर्णय लंबे समय से संघर्ष कर रहे कर्मचारियों के लिए न्याय की शुरुआत है। अब जरूरत है कि बाकी लंबित मांगों जैसे नियमितीकरण और वेतन समानता पर भी सरकार स्पष्ट निर्णय ले।”
अनुमानित लाभार्थी: कितने होंगे प्रभावित?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा में विभिन्न विभागों, बोर्डों और निगमों में लगभग 1.2 लाख कच्चे कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें से:
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करीब 55,000 HKRN के अंतर्गत
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लगभग 20,000 स्वास्थ्य व शिक्षा विभागों में
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15,000 से अधिक बिजली निगमों में
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बाकी अन्य बोर्ड व निगमों में
इनमें से लगभग 30% कर्मचारी ऐसे हैं जिनकी वार्षिक सेवा 240 दिन से कम होती है, जो हड़ताल व अन्य कारणों से प्रभावित होती रही है। अब ये सभी कर्मचारी सरकार के नए आदेश से सुरक्षित माने जाएंगे।
सैनी सरकार का रुख: कर्मचारियों के हित में स्पष्ट नीति
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में बनी सरकार ने शुरुआत से ही यह संकेत दिया है कि वह कर्मचारियों के साथ संवाद और समाधान के माध्यम से समस्याओं को सुलझाना चाहती है। इस आदेश के ज़रिए उन्होंने यह भी दर्शा दिया है कि सरकार संवेदनशील है और कड़ी मेहनत करने वाले कर्मचारियों के साथ खड़ी है।
क्या अब नियमित होंगे कर्मचारी?
भले ही वर्तमान आदेश से नियमितीकरण की बात नहीं की गई हो, परंतु यह स्पष्ट है कि सरकार अब कर्मचारियों के प्रदर्शन, सेवा अवधि और विभागीय आवश्यकताओं के आधार पर स्थायी भर्ती प्रक्रिया पर विचार कर रही है।
इसके संकेत मानव संसाधन विभाग की आंतरिक बैठकों में भी मिल चुके हैं, जहां विभागीय प्रमुखों को यह निर्देश दिए गए हैं कि वे आवश्यक पदों की सूची तैयार करें और कार्यरत कर्मचारियों का आंकलन करें।
पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर
सरकार ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि सभी विभागों को यह सुनिश्चित करना होगा कि:
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कर्मचारियों की उपस्थिति और सेवा रिकॉर्ड पारदर्शी रूप से ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध हों
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कार्य दिवसों की गणना में हड़ताल के दिनों को नकारात्मक न गिना जाए
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किसी भी प्रकार की रिपोर्टिंग में कर्मचारियों के हितों की अनदेखी न हो




