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Saturday, November 8, 2025

खून से लिखा प्रधानमंत्री को पत्र करनाल के आकाश ने आतंकवाद के खिलाफ उठाई मांग ?

खून से लिखा प्रधानमंत्री को पत्र: करनाल के आकाश ने आतंकवाद के खिलाफ उठाई निर्णायक कार्रवाई की मांग”

अंबेडकर चौक पर युवाओं का उबाल, लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की शहादत से मचा आक्रोश

The Airnews | करनाल | रिपोर्टर: Yash

हरियाणा के करनाल में देशभक्ति और आक्रोश की अनूठी मिसाल देखने को मिली। लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में शहादत के बाद युवाओं में गुस्सा फूट पड़ा है। इसी क्रम में ऑल इंडिया वाल्मीकि यूथ ब्रिगेड के सदस्य आकाश सिरसवाल ने अपने खून से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पत्र लिखा और करनाल के विधायक जगमोहन आनंद को सौंपा।

“अब बहुत हो गया, पाकिस्तान को करारा जवाब मिलना चाहिए” — आकाश सिरसवाल

रविवार को करनाल के अंबेडकर चौक पर युवा संगठनों की उपस्थिति में आकाश सिरसवाल ने अपने शरीर से रक्त निकालकर प्रधानमंत्री को संबोधित एक भावनात्मक और आक्रोशपूर्ण पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत सरकार से निर्णायक और आक्रामक नीति अपनाने की अपील की।

आकाश ने स्पष्ट शब्दों में कहा:

“पाकिस्तान देश के जवानों को बार-बार निशाना बना रहा है। अब वक्त आ गया है कि उसकी जड़ों में तेजाब डाल दिया जाए। हम युवाओं को अब और सहन नहीं है। देश का हर युवा अब राष्ट्र के लिए मर-मिटने को तैयार है।”

विधायक जगमोहन आनंद को सौंपी गई अपील

आकाश सिरसवाल ने यह पत्र करनाल विधायक जगमोहन आनंद को सौंपते हुए कहा कि वे इसे प्रधानमंत्री तक पहुंचाएं। विधायक ने इस साहसिक कदम की सराहना करते हुए भरोसा दिलाया कि भारत सरकार जल्द आतंकवाद के खिलाफ कड़ा और निर्णायक प्रहार करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि जो बलिदान लेफ्टिनेंट विनय नरवाल ने दिया, वह व्यर्थ नहीं जाएगा।

विनय नरवाल की शहादत से युवाओं में उबाल

पहल्गाम हमले में लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की शहादत ने पूरे हरियाणा और विशेषकर करनाल में जन आक्रोश को जन्म दिया है। लोग सोशल मीडिया से लेकर धरनों तक पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ गुस्सा जता रहे हैं। युवा संगठन अब भारत सरकार से ठोस कदम की मांग कर रहे हैं, और इस लड़ाई को सिर्फ कूटनीतिक मोर्चे तक सीमित न रखने की वकालत कर रहे हैं।

आकाश की पहल बनी चर्चा का विषय

खून से लिखा गया यह पत्र न केवल एक प्रतीकात्मक विरोध है, बल्कि यह आज के युवाओं की देशभक्ति और जागरूकता का जीता-जागता प्रमाण भी है। यह संदेश केवल एक नेता तक नहीं, बल्कि पूरे देश और सरकार तक पहुंचाने की कोशिश है कि अब सहनशक्ति की सीमा पार हो चुकी है।

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