जींद में खाद-बीज के नए कानून के विरोध में जोरदार प्रदर्शन: विक्रेताओं ने कहा- हम आतंकी नहीं, कानून में सुधार जरूरी
जींद | रिपोर्ट: Sahil Kasoon
हरियाणा के जींद जिले में खाद, बीज और कीटनाशक विक्रेताओं ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने कृषि उपनिदेशक कार्यालय के बाहर एकत्र होकर अपनी नाराजगी जाहिर की और डिप्टी स्पीकर डॉ. कृष्ण मिड्ढा को ज्ञापन सौंपा। उनका कहना है कि वे व्यापारी हैं, न कि आतंकवादी, जिन्हें कठोर और गैर-जमानती धाराओं के अंतर्गत कानून की जद में लाया गया है।
क्या है नया कानून और क्यों हो रहा विरोध?
बीज, खाद और कीटनाशक के सब-स्टैंडर्ड पाए जाने पर अब विक्रेताओं को कारावास और गैर-जमानती अपराध के तहत दंडित किया जा सकता है। यह प्रावधान नए कृषि कानूनों के तहत किया गया है। विक्रेताओं का कहना है कि यह नियम न केवल कठोर है, बल्कि यह उनकी आजीविका और व्यवसाय दोनों को खत्म करने जैसा है।
डीलर एसोसिएशन का मानना है कि इस कानून को बनाते समय किसानों, विक्रेताओं और उत्पादकों से कोई सलाह नहीं ली गई। यह पूरी तरह से एकतरफा निर्णय है।
जिलेभर से जुटे खाद-बीज विक्रेता
प्रदर्शन के दौरान जिलेभर के खाद-बीज विक्रेता, उत्पादक और व्यापारी उपस्थित रहे। जिला प्रधान पवन गर्ग के नेतृत्व में यह विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया। कृषि उपनिदेशक कार्यालय के बाहर सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने हाथों में बैनर और पोस्टर लेकर नारेबाजी की और अपने गुस्से का इजहार किया।
पवन गर्ग ने स्पष्ट रूप से कहा कि, “हम कोई अपराधी नहीं हैं। यदि कोई उत्पाद सब-स्टैंडर्ड पाया भी जाता है, तो उसकी जिम्मेदारी पूरी सप्लाई चेन की होनी चाहिए, न कि सिर्फ अंतिम विक्रेता की।”
डिप्टी स्पीकर को सौंपा ज्ञापन
प्रदर्शन के बाद खाद-बीज डीलर एसोसिएशन ने डिप्टी स्पीकर डॉ. कृष्ण मिड्ढा को एक मांग पत्र सौंपा, जिसमें नए कानून को निरस्त करने या उसमें संशोधन करने की मांग की गई। ज्ञापन में कहा गया कि अगर सरकार ने यह कानून वापस नहीं लिया, तो पूरे राज्य में विक्रेता हड़ताल पर चले जाएंगे और कृषि व्यवस्था पूरी तरह ठप हो जाएगी।
ज्ञापन सौंपते समय मौजूद प्रमुख सदस्य:
- किशनलाल रेढू
- अनुज
- बबलू गोयल
- अनिल बागड़ी
- सुरेश नरवाल
- सोनू जैन
- नवीन गर्ग
- रामू दालमवाला
बेरोजगारी का खतरा
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर यह कानून ऐसे ही लागू रहा, तो लाखों लोग जो इस व्यवसाय से जुड़े हैं, बेरोजगार हो जाएंगे। केवल जींद जिले में ही सैकड़ों खाद-बीज विक्रेताओं की दुकानें हैं, जिन पर हजारों परिवार निर्भर हैं। यह कानून उनके लिए आर्थिक आपदा का कारण बन सकता है।
व्यापारियों का पक्ष
डीलरों का यह भी कहना है कि अधिकांश विक्रेता तो कंपनियों से सीधा माल खरीदते हैं और उसे आगे बेचते हैं। अगर उत्पाद में कोई खामी होती है तो उसकी जिम्मेदारी निर्माता की होनी चाहिए, न कि विक्रेता की।
क्या कहता है प्रशासन?
प्रदर्शन के बाद डॉ. कृष्ण मिड्ढा ने आश्वासन दिया कि वे किसानों और विक्रेताओं की समस्याएं विधानसभा में उठाएंगे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सबकी आवाज जरूरी है और किसी भी वर्ग को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने ज्ञापन को गंभीरता से लेने और संबंधित विभागों तक पहुंचाने की बात कही।