थानेसर नगरपरिषद पर युवा नेता का तीखा हमला, कहा— अधिकारी और जयचंद ठेकेदारों की मिलीभगत से शहर का विकास हो रहा ठप
कुरुक्षेत्र, 10 मई | The Airnews
कुरुक्षेत्र की थानेसर नगरपरिषद एक बार फिर विवादों में घिर गई है। युवा समाजसेवी और राजनीतिक कार्यकर्ता योगेश शर्मा ने नगरपरिषद पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने और कुछ खास ठेकेदारों को फ़ायदा पहुंचाने का गंभीर आरोप लगाया है। शुक्रवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में योगेश शर्मा ने दस्तावेज़ी सबूतों के साथ कहा कि नगरपरिषद द्वारा लाखों-करोड़ों के टेंडर मनमाने ढंग से उन्हीं ठेकेदारों को दिए जा रहे हैं, जो पहले से ही विकास कार्यों को अधूरा छोड़ चुके हैं।
“काम शुरू नहीं, फिर भी टेंडर जारी” – योगेश शर्मा ने लगाए गंभीर आरोप
सेक्टर 3 कार्यालय में मीडिया से बात करते हुए योगेश शर्मा ने बताया कि कई टेंडर ठेकेदारों को सालभर पहले दिए गए थे, लेकिन आज तक उन पर काम तक शुरू नहीं हुआ। न कोई जुर्माना, न कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई – अधिकारियों की चुप्पी इस भ्रष्टाचार को प्रमाणित करती है। वहीं दूसरी ओर कुछ नए ठेकेदारों द्वारा प्राप्त टेंडरों को रद्द करके उन्हें फिर से री-टेंडरिंग की प्रक्रिया में डाल दिया गया ताकि अपने पसंदीदा ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया जा सके।
“जयचंद ठेकेदारों की वापसी विकास में रोड़ा”
योगेश शर्मा ने कहा कि ऐसे ठेकेदार, जिन्हें उन्होंने ‘जयचंद’ की संज्ञा दी, चुनाव के समय भाजपा के खिलाफ सक्रिय थे और चुनाव के बाद अब अधिकारियों के साथ मिलकर नगर विकास में अड़चन पैदा कर रहे हैं। उन्होंने मांग की कि इन ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।
पूर्व मंत्री पर सीधा तंज – “क्या आप जयचंदों से नगरपरिषद को बचा पाएंगे?”
पूर्व मंत्री सुभाष सुधा को भी योगेश ने आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि सुधा जी स्वयं कहते थे कि भाजपा को हराने वालों को वापिस नहीं लिया जाएगा, लेकिन आज वही लोग वापिस आकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं। यदि मंत्री जी वाकई ईमानदार हैं तो वे खुद सामने आकर इस मामले को रोकें, अन्यथा सोमवार को वे स्वयं नगरपरिषद कार्यालय जाकर चेयरमैन व अधिकारियों से बात करेंगे।
अवैध फर्म को टेंडर देने की तैयारी पर भी सवाल
योगेश शर्मा ने एक और बड़ा खुलासा किया कि नगर की सफाई व्यवस्था का टेंडर एक ऐसी फर्म को दिया जा रहा है, जिसे फर्म रजिस्ट्रार ने अवैध घोषित किया है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह फैसला वापस नहीं लिया गया, तो वे इस मुद्दे को मुख्यमंत्री, गृहमंत्री और यहां तक कि प्रधानमंत्री तक पहुंचाएंगे।
“पार्षद दुकान रद्द नहीं कर सकते, मामला विजिलेंस में”
नगरपरिषद की दुकान नंबर 152 को लेकर उठे विवाद पर योगेश शर्मा ने स्पष्ट किया कि किसी दुकान को पार्षद या हाउस रद्द नहीं कर सकता। यह मामला पहले से ही विजिलेंस जांच में है और इसके बावजूद हाउस में प्रस्ताव पास करना कानून की अवहेलना है।
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