नारनौल में हटाए गए टीचरों ने किया प्रदर्शन:MLA व एसडीएम को दिया ज्ञापन
हरियाणा ( Sahil Kasoon) नारनौल में एक ऐसा दृश्य सामने आया जिसने शिक्षा व्यवस्था के हालात और शिक्षकों की तकलीफों को बयां कर दिया। एचकेआरएन (हरियाणा कौशल रोजगार निगम) से हटाए गए टीजीटी व पीजीटी शिक्षकों ने जब सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया, तो यह सिर्फ एक नौकरी की मांग नहीं थी, बल्कि भविष्य की सुरक्षा और शिक्षा के सम्मान की लड़ाई थी।
आज के इस विशेष रिपोर्ट में हम आपको उस पूरे घटनाक्रम से रूबरू कराएंगे, जहां नारनौल में शिक्षकों ने प्रदर्शन किया, विधायक व एसडीएम को ज्ञापन सौंपा और सरकार से मांग की कि उन्हें अन्य स्कूलों के रिक्त पदों पर समायोजित किया जाए।
एचकेआरएन से निकाले गए शिक्षक – क्यों हुआ ऐसा?
एचकेआरएन के तहत टीजीटी (प्रशिक्षित स्नातक अध्यापक) और पीजीटी (प्रवक्ता) अध्यापकों की नियुक्ति अस्थायी आधार पर की जाती है। पिछले कुछ महीनों से सरकार द्वारा नियमित शिक्षकों की नियुक्ति, पदों के रेशनलाइजेशन, और प्रमोशन जैसी प्रक्रियाओं के चलते बड़ी संख्या में एचकेआरएन शिक्षकों को हटाया गया है।
प्रभावित अध्यापकों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है
हरियाणा कौशल अध्यापक एसोसिएशन के अनुसार, इन निर्णयों से हजारों शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं। अकेले नारनौल में सैकड़ों शिक्षक हैं, जिनकी सेवाएं अचानक समाप्त कर दी गईं।
प्रदर्शन की शुरुआत: जब नाराजगी ने लिया आंदोलन का रूप
शिक्षकों का सब्र का बांध तब टूटा जब बार-बार अनुरोध और ज्ञापन देने के बावजूद सरकार की ओर से समायोजन को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। नारनौल के मुख्य चौराहे से लेकर एसडीएम कार्यालय तक शिक्षकों की कतारें यह संदेश दे रही थीं कि वे अब चुप नहीं बैठेंगे।
प्रदर्शन की प्रमुख बातें:
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स्थान: नारनौल, जिला मुख्यालय
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समय: सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक
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आयोजक: हरियाणा कौशल अध्यापक एसोसिएशन
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नेतृत्व: विनोद कुमार (एसोसिएशन प्रतिनिधि)
ज्ञापन सौंपा गया विधायक और एसडीएम को
प्रदर्शन के बाद शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल ने नारनौल के विधायक ओमप्रकाश यादव और एसडीएम रमित यादव को अलग-अलग ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में साफ तौर पर सरकार से यह मांग की गई:
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हटाए गए शिक्षकों को दोबारा बहाल किया जाए।
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जब तक समायोजन नहीं होता, उन्हें उनके वर्तमान स्कूलों से रिलीव न किया जाए।
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जिले के खाली पड़े पदों, खासकर कस्तूरबा गांधी स्कूल और आरोही मॉडल स्कूलों में उन्हें समायोजित किया जाए।
खाली पड़े हैं हजारों पद – तो क्यों हो रही है बेरोजगारी?
एसोसिएशन का दावा है कि विभाग के पास अभी भी 15,659 रिक्त पद मौजूद हैं। इसके अलावा, हाल ही में अपग्रेड किए गए 36 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और आरोही मॉडल स्कूलों में भी शिक्षकों की भारी कमी है।
यह सवाल उठता है कि जब सरकार के पास पद हैं, जरूरत है, तो फिर इन प्रशिक्षित शिक्षकों को क्यों हटाया जा रहा है?
शिक्षकों का पक्ष: “हमारे साथ अन्याय हुआ है”
एक प्रभावित टीजीटी अध्यापक संगीता देवी ने कहा:
“हमने मेहनत से पढ़ाया, बच्चों का भविष्य संवारा और अब अचानक कहा जा रहा है कि हमारी जरूरत नहीं। ये हमारा नहीं, बच्चों का नुकसान है।”
वहीं पीजीटी गणित के शिक्षक अजय सिंह बोले:
“जब तक हमें वैकल्पिक समायोजन नहीं दिया जाता, तब तक हमें रिलीव करना अमानवीय है। सरकार को समझना चाहिए कि शिक्षक सिर्फ नौकरी नहीं करता, वह समाज का निर्माण करता है।”
धरने की चेतावनी: “अगर नहीं सुनी गई तो…”
शिक्षकों ने प्रशासन से स्पष्ट रूप से कहा है कि अगर उनकी मांगें जल्द नहीं मानी गईं, तो वे शांतिपूर्ण धरने पर बैठेंगे। उनका कहना है कि यह केवल नारनौल तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि राज्यभर में शिक्षक सड़कों पर उतर सकते हैं।
प्रशासन की प्रतिक्रिया: फिलहाल चुप्पी
इस पूरे घटनाक्रम के बाद अब तक प्रशासन की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, एसडीएम रमित यादव ने ज्ञापन लेने के बाद आश्वासन दिया कि वह इसे उच्च अधिकारियों तक पहुंचाएंगे।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और समर्थन
राजनीतिक दलों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों में भी इस मुद्दे पर मतभेद हैं। कुछ विपक्षी नेताओं ने शिक्षकों का समर्थन करते हुए सरकार पर आरोप लगाए हैं कि:
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“सरकार युवाओं को रोजगार देने के वादे पर खरी नहीं उतरी है।”
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“एचकेआरएन के नाम पर अस्थायी रोजगार देकर सरकार युवाओं को भ्रमित कर रही है।”
विश्लेषण: क्या ये शिक्षा व्यवस्था की बड़ी खामी का संकेत है?
एचकेआरएन मॉडल शिक्षा विभाग के लिए एक प्रयोग था जो कई शिक्षकों के लिए एक उम्मीद लेकर आया था। लेकिन अस्थायी नियुक्तियों और अनिश्चित भविष्य ने इस मॉडल को सवालों के घेरे में ला दिया है।
विशेषज्ञों की राय:
शिक्षा नीति विशेषज्ञ डॉ. सुमन का कहना है:
“जब तक स्थायी नियुक्तियों का सिस्टम नहीं सुधरेगा, तब तक एचकेआरएन जैसे विकल्प युवाओं को भ्रमित करेंगे। शिक्षक का कार्य मन से होता है, न कि ठेके पर।”
आगे की राह: समाधान क्या हो सकता है?
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समायोजन की पारदर्शी नीति: सरकार को तत्काल रिक्त पदों पर समायोजन के लिए स्पष्ट प्रक्रिया बनानी चाहिए।
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स्थायी नियुक्ति: हरियाणा में शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति की संख्या बढ़ाई जाए।
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शिक्षकों का मनोबल बनाए रखने के उपाय: प्रदर्शन और विरोध की नौबत न आए, इसके लिए संवाद को प्राथमिकता दी जाए।