नीरज चोपड़ा का देशभक्ति का सबूत: पहलगाम आतंकी हमले के बाद क्यों सामने आईं चुनौतियाँ

नीरज चोपड़ा का देशभक्ति का सबूत: पहलगाम आतंकी हमले के बाद क्यों सामने आईं चुनौतियाँ
April 25, 2025 (Updated: 12:45 PM)
Pahalgam Terror Attack: भारत के सबसे चमकते सितारे, ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा, आज देश को अपनी देशभक्ति का सबूत देने के लिए मजबूर हैं। जिस खिलाड़ी ने तिरंगे को टोक्यो और वर्ल्ड चैंपियनशिप में ऊंचा किया, आज वही सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग और नफरत का शिकार बन गया है, सिर्फ इसलिए क्योंकि उसने एक इंटरनेशनल एथलेटिक्स इवेंट में पाकिस्तानी जैवलिन थ्रोअर अर्शद नदीम को न्योता दिया।
नीरज चोपड़ा ने पहली बार भारत में वर्ल्ड एथलेटिक्स A-लेवल जैवलिन इवेंट ‘नीरज चोपड़ा क्लासिक’ आयोजित करने का निर्णय लिया था। इसका मुख्य उद्देश्य भारत को वर्ल्ड-क्लास खेल आयोजनों का केंद्र बनाना था। इस सोच के तहत उन्होंने दुनिया भर के टॉप जैवलिन थ्रोअर्स को इनवाइट किया था, जिसमें पाकिस्तान के ओलंपिक चैंपियन अर्शद नदीम भी शामिल थे।
अर्शद नदीम को न्योता देने का विवाद
नीरज चोपड़ा के इस इवेंट में अर्शद नदीम को आमंत्रित करने का निर्णय एक विशेष कारण से लिया गया था, क्योंकि दोनों खिलाड़ी जैवलिन थ्रो में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर चुके हैं। हालांकि, यह निर्णय उस समय विवादित हो गया जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक बर्बर आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 निर्दोष लोग मारे गए थे। इस हमले के बाद देश भर में गुस्से की लहर दौड़ पड़ी, और नीरज चोपड़ा पर देशविरोधी होने के आरोप लगने लगे।
देशभक्ति पर सवाल उठाना और नफरत का सामना करना
इस दुखद घटना के बाद सोशल मीडिया पर नीरज चोपड़ा को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। कुछ लोग यह मानने लगे कि एक पाकिस्तानी खिलाड़ी को भारत बुलाना देशभक्ति के खिलाफ है, और इसके कारण नीरज चोपड़ा पर हमले होने लगे। हालांकि, नीरज चोपड़ा ने हमेशा खेल को एकता और मित्रता का प्रतीक माना है, और उन्होंने अपने इवेंट के माध्यम से दुनिया भर के खिलाड़ियों के बीच अच्छे रिश्तों की स्थापना की कोशिश की थी।
नीरज चोपड़ा का जवाब
नीरज चोपड़ा ने इस मुद्दे पर चुप्पी नहीं साधी और अपनी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने बताया कि उन्होंने इस इवेंट में अर्शद नदीम को न्योता खेल भावना के तहत दिया था, न कि किसी राजनीतिक या राष्ट्रवाद से प्रेरित होकर। उन्होंने कहा, “हमारे बीच खेल की भावना और प्रतिस्पर्धा है, न कि नफरत और राजनीति।”
अंत में क्या होगा?
नीरज चोपड़ा ने इस मुश्किल दौर में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी, लेकिन यह सवाल अब भी बना हुआ है कि क्या भारत में खेल और राजनीति को अलग किया जा सकता है? क्या किसी खेल इवेंट के दौरान दूसरे देश के खिलाड़ियों को आमंत्रित करना देशद्रोह माना जाएगा? नीरज चोपड़ा का प्रयास खेल को राष्ट्रीयता से ऊपर उठाने और एकता की ओर बढ़ने का था, लेकिन इस घटनाक्रम ने यह सवाल खड़ा कर दिया कि क्या खेल को इस तरह से देखने की स्वतंत्रता अभी भी भारतीय समाज में मौजूद है?




