पराली के अवशेष ना जलाएं किसान, पुलिस की गांव-गांव जागरूकता मुहिम जारी खेतों में जाकर व गांव में मीटिंग आयोजित करके किसानों का पराली ना जलाने बारे किया जा रहा जागरूक
कैथल, 16 नवंबर – एसपी उपासना के दिशा-निर्देशानुसार जिला पुलिस द्वारा पराली जलाने से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के उद्देश्य से गांव-गांव जाकर किसानों को लगातार जागरूक किया जा रहा है। पुलिस की टीमें खेतों में व गांवों में जाकर किसानों से सीधा संवाद कर रही हैं और उन्हें पराली जलाने से होने वाले नुकसान बारे विस्तार से समझा रही हैं। एसपी उपासना ने कहा कि धान की कटाई के बाद खेतों में बची पराली को आग लगाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है, जो न केवल मानव स्वास्थ्य बल्कि पशुओं व पर्यावरण के लिए भी बेहद हानिकारक है। उन्होंने बताया कि पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरकता घटती है और भूमि की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है।
एसपी ने किसानों से अपील की कि वे सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए कस्टम हायरिंग सेंटरों व फसल अवशेष प्रबंधन कृषि यंत्रों का अधिक से अधिक उपयोग करें। इन यंत्रों की मदद से फसल के अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर भूमि की उर्वरकता को बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पराली जलाना न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है बल्कि यह कानूनन अपराध भी है। जिला प्रशासन व पुलिस ऐसे किसानों पर सख्त नजर रखे हुए है जो पराली जलाने की कोशिश करते हैं। एसपी उपासना ने किसानों से अनुरोध किया कि वे पराली का वैज्ञानिक निस्तारण कर स्वच्छ व प्रदूषण-मुक्त वातावरण बनाने में अपना योगदान दें।
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि सभी डीएसपी व थाना प्रबंधको सहित पुलिस टीमें गांवों में जाकर किसानों से बातचीत कर रही हैं और उन्हें पराली जलाने के दुष्परिणामों से अवगत करवा रही हैं। टीमों द्वारा किसानों को समझाया जा रहा है कि पराली जलाने से आसपास का वातावरण दूषित होता है और सांस से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। प्रवक्ता ने बताया कि यह मुहिम लगातार जारी रहेगी और पुलिस गांवों, चौपालों व खेतों में जाकर किसानों को जागरूक करती रहेगी। साथ ही, किसानों से यह भी आग्रह किया जा रहा है कि वे अपने आस-पास के अन्य किसानों को भी समझाएं ताकि कोई भी व्यक्ति पराली को आग लगाने जैसी गलती न करे।




