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Saturday, November 8, 2025

पुलिस का कारनामा: गोरक्षक की चोटी खींचकर सड़क पर पीटा, तस्करों को भी छोड़ने का आरोप

पानीपत, हरियाणा ( Sahil Kasoon ): हरियाणा के पानीपत जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें अवैध पशु तस्करी की सूचना देने वाले एक गोरक्षक को पुलिस द्वारा बीच सड़क पर मारपीट का शिकार बनाया गया। यह घटना हरियाणा में गोरक्षकों और पुलिस के बीच बढ़ते तनाव को उजागर करती है और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिससे इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा शुरू हो गई है। इस विस्तृत रिपोर्ट में हम घटना के घटनाक्रम, आरोपी पुलिसकर्मियों की भूमिका, गोरक्षकों के अधिकार, और इस पूरे मामले की संभावित कानूनी और सामाजिक परिणामों पर चर्चा करेंगे।

1. घटना का प्रारंभ और गोरक्षक की भूमिका

16 अप्रैल को पानीपत के सनौली रोड निवासी गोरक्षक करण ने अवैध पशु तस्करी की सूचना पुलिस को दी। करण ने पुलिस को बताया कि दो गाड़ियाँ जिनमें जानवर ठूंसकर भरे हुए थे, यमुना नाका पर रोकी गईं। गाड़ियों में जानवरों के लिए न चारा था, न पानी, और न ही कोई वैध दस्तावेज। करण ने पुलिस को सूचित किया कि ये गाड़ियाँ अवैध तरीके से तस्करी कर रही हैं और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

गोरक्षकों का यह कर्तव्य है कि वे पशुओं की तस्करी और उनकी क्रूरता के खिलाफ जागरूकता फैलाएं और पुलिस को इन गतिविधियों की सूचना दें। ऐसे कई उदाहरण हैं जहां गोरक्षकों ने अवैध पशु तस्करी की सूचना दी है, लेकिन इस मामले में करण को पुलिस द्वारा जो प्रतिक्रिया मिली, उसने पूरे मामले को एक नई दिशा दी। करण का दावा है कि पुलिस ने पहले तो कार्रवाई की, लेकिन बाद में डायल-112 की टीम आई और तस्करों को छोड़ने का आदेश दिया।

2. पुलिस द्वारा गोरक्षक के साथ हिंसा

घटना के बाद गोरक्षक करण ने सवाल उठाया कि यदि गाड़ी थाने में ले जाई गई थी, तो वह यूपी बॉर्डर की ओर कैसे चली गई? करण का यह सवाल पुलिस को चुभ गया और उन्होंने गोरक्षक के साथ गाली-गलौज शुरू कर दी। इसके बाद आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने गोरक्षक के साथ मारपीट की, उसकी चोटी पकड़कर खींची और उसे सरेआम अपमानित किया।

यह घटना गोरक्षकों और पुलिस के बीच बढ़ती खींचतान का एक उदाहरण है, जहां पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जा रहे हैं। पुलिसकर्मियों द्वारा गोरक्षक के साथ हिंसा करना और उसे अपमानित करना, न केवल इस विशेष घटना का, बल्कि पूरे राज्य में गोरक्षकों के अधिकारों का उल्लंघन है। पुलिस के इस तरह के व्यवहार से समाज में एक नकारात्मक संदेश जाता है, और इससे गोरक्षकों के अधिकारों की सुरक्षा की आवश्यकता पर सवाल खड़े होते हैं।

3. घटना का वीडियो और सोशल मीडिया पर वायरल होना

घटना के बाद, जिस वक्त गोरक्षक के साथ मारपीट हो रही थी, उसका वीडियो किसी ने मोबाइल फोन से रिकॉर्ड कर लिया और इसे सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। वीडियो के वायरल होने के बाद यह घटना पूरे राज्य और देश भर में चर्चा का विषय बन गई। वीडियो में पुलिसकर्मियों का आक्रामक व्यवहार साफ दिखाई दे रहा था, जो इस घटना को और भी गंभीर बना देता है।

सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद, कई सामाजिक संगठनों, गोरक्षकों और नागरिकों ने पुलिस की इस कार्यप्रणाली पर विरोध जताया और इसे एक गंभीर उल्लंघन माना। कई लोगों ने वीडियो देखकर पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। गोरक्षकों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने जानबूझकर इस घटना को दबाने की कोशिश की और मामले को किसी भी प्रकार से सार्वजनिक नहीं होने देना चाहा।

4. गोरक्षकों के अधिकार और समाज में उनकी भूमिका

गोरक्षकों का कार्य समाज में पशु संरक्षण और तस्करी की रोकथाम से जुड़ा हुआ है। वे समाज में एक अहम भूमिका निभाते हैं, खासकर जब बात अवैध पशु तस्करी की होती है। हरियाणा जैसे राज्यों में जहां पशु तस्करी एक बड़ा मुद्दा है, गोरक्षकों का कार्य बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। गोरक्षक अक्सर अपनी जान जोखिम में डालकर अवैध तस्करी के खिलाफ काम करते हैं, लेकिन कई बार उन्हें पुलिस की ओर से सहयोग नहीं मिलता, बल्कि उन्हें डर और धमकी का सामना करना पड़ता है।

गोरक्षकों के अधिकारों का उल्लंघन इस घटना में स्पष्ट रूप से हुआ है। यह घटना इस बात को भी दर्शाती है कि गोरक्षकों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों को निभाने के लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण प्रदान नहीं किया जा रहा है। पुलिस और गोरक्षकों के बीच सामंजस्य की आवश्यकता है, ताकि समाज में पशु तस्करी और उनके शोषण को रोका जा सके।

5. पुलिस की कार्यप्रणाली और सुधार की आवश्यकता

इस घटना से यह स्पष्ट हो जाता है कि पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। पुलिस का मुख्य कार्य जनता की सुरक्षा करना है, लेकिन जब पुलिस खुद ही कानून का उल्लंघन करती है और नागरिकों के साथ हिंसा करती है, तो यह एक गंभीर मामला बन जाता है। पुलिसकर्मियों को न केवल कानून का पालन करना चाहिए, बल्कि उन्हें अपनी भूमिका का सही निर्वहन करना चाहिए और नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए।

हरियाणा में गोरक्षकों और पुलिस के बीच विश्वास की कमी को दूर करने के लिए पुलिस सुधारों की आवश्यकता है। पुलिसकर्मियों को गोरक्षकों और समाज के अन्य वर्गों के प्रति संवेदनशील बनाना होगा। पुलिस को यह समझना होगा कि गोरक्षकों का कार्य अवैध पशु तस्करी और शोषण को रोकने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और उन्हें हर संभव सहयोग प्रदान किया जाना चाहिए।

6. कानूनी दृष्टिकोण और संभावित परिणाम

इस घटना के बाद पुलिस द्वारा गोरक्षक के साथ की गई हिंसा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। गोरक्षक करण ने मामले की शिकायत पुलिस को दी है, और अब यह देखना होगा कि पुलिस इस मामले में किस प्रकार की कार्रवाई करती है। अगर पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती, तो यह संदेश जाएगा कि पुलिस किसी भी प्रकार की हिंसा को उचित मानती है।

साथ ही, गोरक्षकों के लिए कानून और सुरक्षा की आवश्यकता है, ताकि वे अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए बिना किसी डर के कार्य कर सकें। गोरक्षकों को अपनी जान की सुरक्षा की चिंता किए बिना पशुओं की तस्करी और शोषण के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। सरकार और पुलिस को गोरक्षकों के लिए बेहतर सुरक्षा प्रावधान और कानूनी उपायों की घोषणा करनी चाहिए।

7. इस घटना के बाद की स्थिति

पानीपत की इस घटना ने एक बार फिर से गोरक्षकों और पुलिस के बीच बढ़ते संघर्ष को उजागर किया है। घटना के बाद गोरक्षकों ने पुलिस के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है, और इस मामले में न्याय की मांग की है। हालांकि, पुलिस ने अब तक इस मामले में कोई स्पष्ट बयान जारी नहीं किया है, लेकिन यह मामला लगातार सुर्खियों में बना हुआ है।

अब यह देखना होगा कि इस मामले में पुलिस किस तरह से कार्रवाई करती है और क्या गोरक्षक को न्याय मिलेगा या नहीं। साथ ही, गोरक्षकों और पुलिस के बीच संवाद और समझ बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।

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