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Saturday, November 8, 2025

पोलियो का टीका या मौत का कारण ?

 

पोलियो का टीका या मौत का कारण? महेंद्रगढ़ में 5 महीने के मासूम की संदिग्ध मौत ने उठाए स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल”

स्थान: महेंद्रगढ़, हरियाणा
रिपोर्टर: Yash, The Airnews
प्रकाशन तिथि: 18 अप्रैल 2025
श्रेणी: स्वास्थ्य | क्राइम | प्रशासन


घटना का पूरा विवरण: पोलियो टीकाकरण के बाद बेहोश हुआ बच्चा, रात भर नहीं आया होश

महेंद्रगढ़ जिले के गांव देवास से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें मात्र 5 माह के मासूम शिशु की पोलियो का टीका लगवाने के कुछ घंटों बाद मौत हो गई। यह मामला केवल एक परिवार की निजी पीड़ा नहीं बल्कि हरियाणा की स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रति कई सवालों को जन्म देता है।

बच्चे के दादा बलबीर ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि 16 अप्रैल की दोपहर लगभग 3 बजे गांव के पीएचसी सेंटर से एएनएम शकुंतला ने उनके बेटे साहिल को फोन करके कहा कि वह अपने पुत्र आरव को पोलियो का टीका लगवाने के लिए लाए। साहिल की पत्नी काजल अपने 5 महीने के बेटे को लेकर पीएचसी सेंटर गईं। वहां एएनएम शकुंतला ने बच्चे को पोलियो ड्रॉप पिलाई और टीका लगाया, जिसके बाद वे घर लौट आए।

लेकिन कुछ ही देर बाद आरव की तबीयत बिगड़ने लगी। वह अचानक बेहोश हो गया। परिवार ने पहले इसे टीका लगने के बाद का सामान्य असर माना और उसे आराम करने दिया। लेकिन जैसे-जैसे रात बीती, बच्चे को होश नहीं आया।

रात करीब 2 से 3 बजे के बीच, चिंतित परिवार उसे महेंद्रगढ़ के एक निजी अस्पताल ले गया। वहां प्राथमिक जांच के बाद डॉक्टरों ने बच्चे को तुरंत नागरिक अस्पताल ले जाने की सलाह दी। नागरिक अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने आरव को मृत घोषित कर दिया।


परिवार के आरोप: अधिक डोज या लापरवाही से हुई मासूम की मौत

बच्चे के दादा बलबीर का आरोप है कि आरव की मौत या तो टीके की अधिक मात्रा दिए जाने या गलत ढंग से टीका लगाने के कारण हुई है। उन्होंने कहा कि घर लौटने के कुछ ही देर बाद बच्चा एकदम सुस्त हो गया और फिर बेहोश हो गया। पूरी रात कोशिश करने के बाद भी वह होश में नहीं आया।

बलबीर का कहना है कि यह स्पष्ट रूप से चिकित्सा लापरवाही का मामला है। उनका आरोप है कि जिस एएनएम ने टीका लगाया, उसने संभवतः डोज़ की मात्रा का ध्यान नहीं रखा या फिर टीका लगाने की प्रक्रिया में गंभीर चूक की।


पुलिस व स्वास्थ्य विभाग ने शुरू की जांच

परिवार की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है और बच्चे के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्यवाही की जाएगी।

वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने भी आंतरिक जांच के आदेश दिए हैं। जिला चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि एक जांच समिति बनाई गई है जो पीएचसी सेंटर के स्टाफ, वैक्सीन की स्टोरेज प्रक्रिया, वैक्सीन की वैधता और टीकाकरण के मानकों का विश्लेषण करेगी।


क्या पोलियो वैक्सीन से मौत संभव है? विशेषज्ञों की राय

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि पोलियो की ओरल वैक्सीन आमतौर पर सुरक्षित होती है, लेकिन यदि वैक्सीन को स्टोर करने के निर्धारित तापमान का पालन न किया जाए या यदि एक्सपायरी डेट की अनदेखी हो जाए तो गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं।

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विवेक मलिक का कहना है कि ओरल पोलियो वैक्सीन एक जीवित लेकिन कमजोर वायरस से बनी होती है। अगर बच्चा किसी अन्य गंभीर बीमारी से ग्रस्त हो या उसका इम्यून सिस्टम बेहद कमजोर हो तो इससे प्रतिक्रिया हो सकती है।

हालांकि, वैक्सीन से मौत होने की संभावना बहुत कम होती है, लेकिन यदि वैक्सीन दूषित हो या ओवरडोज़ दी जाए तो जानलेवा प्रतिक्रिया संभव है।


जनता में आक्रोश, गांव में मातम का माहौल

गांव देवास में इस घटना के बाद शोक का वातावरण है। लोग दुखी हैं और प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि दोषियों को सख्त से सख्त सजा दी जाए। ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में लापरवाही आम हो गई है और इसका खामियाजा निर्दोष बच्चों को भुगतना पड़ रहा है।

परिवार ने यह भी मांग की है कि टीका लगाने वाली एएनएम को निलंबित किया जाए और पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।


प्रशासनिक प्रतिक्रिया: दोषी पाए जाने पर होगी कड़ी कार्रवाई

महेंद्रगढ़ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने स्पष्ट किया है कि अगर जांच में किसी प्रकार की लापरवाही या गाइडलाइनों का उल्लंघन पाया गया तो दोषियों के विरुद्ध कड़ी प्रशासनिक व कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि पूरे जिले में वैक्सीन की हैंडलिंग, स्टोरेज और डोज प्रक्रिया की दोबारा समीक्षा की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।


कानूनी दृष्टिकोण: क्या मेडिकल नेग्लिजेंस का मामला बनता है?

यदि जांच में यह साबित हो जाता है कि बच्चे को टीका गलत तरीके से लगाया गया या वैक्सीन की गुणवत्ता में कमी थी, तो यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 304A (लापरवाही से मृत्यु) के अंतर्गत मेडिकल नेग्लिजेंस माना जाएगा। इसके तहत आरोपी स्वास्थ्यकर्मी पर कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।


स्वास्थ्य व्यवस्था पर गहराते सवाल

इस घटना ने एक बार फिर से सरकारी स्वास्थ्य तंत्र की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है। गांवों में वैक्सीन वितरण की प्रक्रिया, स्टाफ की ट्रेनिंग, दवाओं का रख-रखाव और संवेदनशीलता जैसे मुद्दों पर नए सिरे से विचार करने की जरूरत है।

सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि गांव के सबसे अंतिम व्यक्ति तक सही और सुरक्षित स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचें।

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