बेटी के जन्मदिन पर रिलीज की फिल्म आधे घंटे में डिलीट: हरियाणवी एक्टर विजय वर्मा की व्यथा, बोले- “मैंने कभी किसी का बुरा नहीं किया”
The Airnews | रिपोर्टर: यश | स्थान: जींद, हरियाणा
हरियाणवी फिल्म इंडस्ट्री के चर्चित अभिनेता और मॉडल विजय वर्मा इन दिनों अपने साथ हुई एक अप्रत्याशित घटना से भावुक और आहत नजर आ रहे हैं। विजय वर्मा की बहुप्रतीक्षित फिल्म “मेरी लाडो”, जिसे उन्होंने अपनी बेटी के जन्मदिन पर यूट्यूब पर रिलीज किया था, महज 30 मिनट के भीतर ही कॉपीराइट शिकायत के चलते डिलीट कर दी गई। इस घटना ने न केवल विजय को हिला कर रख दिया बल्कि हरियाणवी मनोरंजन जगत में भी एक नई बहस छेड़ दी है।
फिल्म की पृष्ठभूमि: बेटी के लिए समर्पित ‘मेरी लाडो’
विजय वर्मा की यह फिल्म ‘मेरी लाडो’ न केवल एक पारिवारिक फिल्म थी बल्कि इसके माध्यम से “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश को भी उजागर किया गया था। विजय ने इसे अपनी बेटी के जन्मदिन पर समर्पित करते हुए रिलीज किया था, ताकि यह दिन उनके लिए हमेशा यादगार बन सके। फिल्म का ट्रेलर पहले ही यूट्यूब पर रिलीज किया जा चुका था, जिसे दर्शकों का भरपूर समर्थन भी मिला।
कॉपीराइट विवाद: फिल्म की टाइटल पर आपत्ति
विजय ने बताया कि जब उन्होंने फिल्म रिलीज की, तब अचानक से यूट्यूब द्वारा उन्हें सूचना दी गई कि फिल्म को कॉपीराइट उल्लंघन के तहत हटा दिया गया है। यह सुनकर विजय हतप्रभ रह गए क्योंकि उन्हें यह जानकारी तक नहीं थी कि उनके द्वारा चुना गया टाइटल किसी और के कॉपीराइट के अंतर्गत आता है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब ट्रेलर रिलीज हुआ था, तब किसी ने आपत्ति क्यों नहीं जताई?
“मैंने कभी किसी का गाना नहीं कॉपी किया, न ही कोई कॉन्ट्रोवर्सी की। फिर भी मेरी मेहनत पर पानी फेर दिया गया,” – विजय वर्मा (सोशल मीडिया लाइव से)
भावुक अपील: “मैंने कभी किसी का बुरा नहीं किया”
फिल्म के डिलीट होने के बाद विजय वर्मा ने फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लाइव आकर अपनी पीड़ा व्यक्त की। उन्होंने भावुक होते हुए कहा—
“मैंने कभी कोई अश्लीलता नहीं दिखाई, न ही ऐसा कंटेंट बनाया जो परिवार के साथ न देखा जा सके। फिर मेरी फिल्म को इस तरह हटा दिया गया? मैंने 20 सालों तक इस इंडस्ट्री में काम किया है। क्या इतनी मेहनत का यही सिला है?”
पारिवारिक समर्थन: पत्नी ने भी निभाई अहम भूमिका
विजय वर्मा की पत्नी, जो खुद एक कलाकार हैं, ने इस फिल्म के निर्माण में उनकी भरपूर मदद की। विजय के अनुसार, यह फिल्म सिर्फ एक पेशेवर प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि एक पारिवारिक सपना थी, जिसे उन्होंने साकार किया था। फिल्म को साफ-सुथरे अंदाज़ में बनाया गया था ताकि पूरा परिवार मिलकर देख सके।
एक फिल्म नहीं, मेहनत का मकान जला दिया गया
विजय वर्मा ने स्पष्ट कहा कि—
“लोग एक गाने के लिए कितनी मेहनत करते हैं, सोचिए एक फिल्म बनाने में कितनी मेहनत लगी होगी। एक-एक दृश्य की शूटिंग, एडिटिंग, म्यूजिक, डबिंग और फाइन कटिंग – ये सब मैं और मेरी टीम ने खुद की सीमित संसाधनों से किया।”
हरियाणवी इंडस्ट्री में कॉपीराइट और बैन की राजनीति?
विजय की यह आपबीती अकेली नहीं है। इससे पहले भी सिंगर अंकित बालियान और मासूम शर्मा जैसे कलाकारों को गानों के बैन और ब्लॉक का सामना करना पड़ा है। अंकित बालियान के ‘भरी कोर्ट में गोली मारेंगे’ और ‘112-NE’ जैसे गाने बैन हुए। उन्होंने सोशल मीडिया पर इस पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा—
“अब लगता है हरियाणवी नहीं, भोजपुरी गाने गाने पड़ेंगे। नुकसान कौन भरेगा?”
इसी प्रकार, मासूम शर्मा ने भी कहा था कि हरियाणा में आर्टिस्ट्स को बेवजह टारगेट किया जा रहा है, जबकि पंजाब की इंडस्ट्री में गन कल्चर के बावजूद कलाकारों को बढ़ावा दिया गया।
सवाल उठते हैं—क्या यह इंडस्ट्री के अंदर की राजनीति है?
कई कलाकारों और दर्शकों का मानना है कि यह सब केवल कॉपीराइट मुद्दा नहीं, बल्कि एक किस्म की प्रतिस्पर्धात्मक राजनीति है, जिसमें एक कलाकार के उभरते काम को नीचे गिराने के लिए हथकंडे अपनाए जाते हैं। विजय वर्मा का दर्द भी यही कहता है कि—
“जिस फिल्म को मैंने अपनी आत्मा से बनाया, उसी को कुछ मिनटों में खत्म कर दिया गया, क्योंकि शायद किसी को मेरी खुशी रास नहीं आई।”
‘मेरी लाडो’ से हरियाणा को मिल सकता था एक मजबूत संदेश
यह फिल्म केवल एक कलाकार की अभिव्यक्ति नहीं थी, बल्कि हरियाणा जैसे राज्य में बेटियों को लेकर सोच बदलने की एक कोशिश भी थी। फिल्म का संदेश था कि—
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बेटियां अभिशाप नहीं, वरदान हैं।
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परिवारों को बेटियों की शिक्षा और स्वतंत्रता के लिए खड़ा होना चाहिए।
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समाज में बेटियों के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता होनी चाहिए।