भारत ने वोक्सवैगन को दी चेतावनी: 1.4 बिलियन डॉलर के कर बिल को खत्म करना ‘विनाशकारी’
नई दिल्ली, 25 मार्च: भारत सरकार ने वोक्सवैगन समूह द्वारा 1.4 बिलियन डॉलर (11,847 करोड़ रुपये) के कर बिल को खत्म करने की मांग को लेकर सख्त रुख अपनाया है। भारतीय कर अधिकारियों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में कहा कि अगर यह मांग स्वीकार की गई, तो इससे कंपनियों को कर चोरी करने और जांच में देरी करने का प्रोत्साहन मिलेगा।
मामला क्या है?
- वोक्सवैगन पर आरोप है कि उसने ऑडी, वीडब्ल्यू और स्कोडा कारों के ऑटो पार्ट्स पर कम आयात शुल्क देकर कर चोरी की।
- यह मामला पिछले 12 सालों से चल रहा है और भारत में आयात शुल्क से संबंधित अब तक की सबसे बड़ी कर दंड मांग है।
- वोक्सवैगन ने बॉम्बे हाईकोर्ट में इस मांग को चुनौती दी है और इसे अपने भारतीय कारोबार के लिए ‘जीवन और मृत्यु’ का मामला बताया है।
भारतीय कर अधिकारियों का पक्ष
- राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने बॉम्बे हाईकोर्ट में 78 पन्नों का जवाब दाखिल किया है।
- DRI का कहना है कि वोक्सवैगन ने जानबूझकर अपने आयात की जानकारी छिपाई और कर बचाने के लिए अलग-अलग शिपमेंट में ऑटो पार्ट्स मंगवाए।
- भारत सरकार ने अदालत से वोक्सवैगन को कर कानूनों का पालन करने का निर्देश देने की मांग की है।
- यदि मामला वोक्सवैगन के खिलाफ जाता है, तो उसे 2.4 बिलियन डॉलर (लगभग 24,000 करोड़ रुपये) का भुगतान करना पड़ सकता है।
विदेशी निवेशकों की चिंता
इस मामले ने भारत में विदेशी निवेशकों के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। अगर वोक्सवैगन को इतनी भारी राशि का भुगतान करना पड़ता है, तो यह कंपनी के भारत में भविष्य को प्रभावित कर सकता है।
क्या होगा आगे?
- कोर्ट में सुनवाई जारी है और भारतीय सरकार किसी भी तरह की कर चोरी के खिलाफ कड़े कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है।
- वोक्सवैगन का तर्क है कि भारतीय कर अधिकारियों ने जानबूझकर देरी की, जिससे उनके खिलाफ यह कर मांग बढ़ी।
- आने वाले दिनों में अदालत का फैसला भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर और विदेशी कंपनियों के लिए अहम साबित हो सकता है।