मंडियों में खुले में पड़े 12 लाख टन गेहूं पर दीपेंद्र हुड्डा की चिंता ?

मंडियों में खुले में पड़े 12 लाख टन गेहूं पर दीपेंद्र हुड्डा की चिंता, सैनी सरकार से की बड़ी मांग

The Airnews | Updated: 19 April, 2025

प्रस्तावना: हरियाणा की मंडियों में इस समय एक गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई है। किसानों की मेहनत की कमाई खुले में पड़ी हुई है और सरकारी व्यवस्थाएं लापरवाही की मिसाल बन चुकी हैं। ऐसे में राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा की सैनी सरकार और खरीद एजेंसियों को आड़े हाथों लेते हुए किसानों की व्यथा को आवाज दी है। उन्होंने प्रदेशभर की मंडियों में फैली अव्यवस्थाओं पर चिंता जताई और तुरंत प्रभाव से ठोस कदम उठाने की मांग की।

मंडियों की हालात और सरकार की निष्क्रियता: सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने एक प्रेस बयान के जरिए कहा कि हरियाणा की मंडियों में इस समय लगभग 12 लाख टन गेहूं खुले में पड़ा है। इस गेहूं की न तो समय पर खरीद हुई, न ही उसका सुरक्षित भंडारण सुनिश्चित किया गया। उन्होंने कहा कि यदि आने वाले दिनों में मौसम खराब होता है और बारिश होती है, तो इस गेहूं को गंभीर नुक्सान हो सकता है। इसके लिए पूरी तरह से हरियाणा सरकार और उसकी खरीद एजेंसियां जिम्मेदार होंगी।

उन्होंने कहा कि भारतीय मौसम विभाग ने आने वाले 1-2 दिनों में बारिश की संभावना जताई है और इसके बावजूद सरकार अब तक किसानों की उपज को संरक्षित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा पाई है। मंडियों में न तो पर्याप्त तिरपाल हैं और न ही अनाज को कवर करने की व्यवस्था। किसानों को अपनी फसल के नुकसान का डर सता रहा है और प्रशासन मौन है।

खरीद एजेंसियों की अव्यवस्था: दीपेंद्र हुड्डा ने आरोप लगाया कि खरीद एजेंसियों की ओर से खरीद में देरी करना और उसके बाद मंडियों में लचर प्रबंधन किसानों की परेशानी का कारण बना हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि कई मंडियों में खरीदी प्रक्रिया शुरू तो हुई लेकिन उसमें पारदर्शिता का अभाव है। वजन, ग्रेडिंग, भुगतान जैसी प्रक्रियाओं में देरी हो रही है और किसानों को बार-बार चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

12 प्रतिशत नमी की शर्त पर सवाल: हुड्डा ने सरकार की ओर से निर्धारित 12 प्रतिशत नमी की सीमा पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि यह शर्त किसानों के लिए भारी पड़ रही है क्योंकि फसल काटने के बाद उसे तुरंत मंडी में लाने पर नमी का स्तर स्वाभाविक रूप से थोड़ा अधिक होता है। ऐसे में किसान मजबूर होकर मंडी परिसर में ही अपनी फसल को सुखाने लगते हैं जिससे अव्यवस्था और भी बढ़ जाती है। उन्होंने मांग की कि नमी की सीमा को 14 प्रतिशत किया जाए ताकि किसानों को राहत मिल सके।

मंत्रियों की गैरमौजूदगी पर कटाक्ष: दीपेंद्र हुड्डा ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मंत्री सिर्फ बयानों में मंडियों का दौरा करने की बात कर रहे हैं लेकिन हकीकत में कोई मंत्री जमीन पर नजर नहीं आया। उन्होंने कहा कि अगर मंत्री खुद जाकर हालात का जायजा लें तो उन्हें किसानों की पीड़ा का अहसास होगा।

जांच एजेंसियों के दुरुपयोग पर सवाल: दीपेंद्र हुड्डा ने अपने बयान में भाजपा सरकार की जांच एजेंसियों के राजनीतिक दुरुपयोग पर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि देशभर में भाजपा विपक्षी नेताओं को डराने के लिए जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने बताया कि कई नेताओं पर पहले भ्रष्टाचार के मामले दर्ज हुए, लेकिन जैसे ही उन्होंने भाजपा जॉइन की, उन्हें राहत मिल गई।

हुड्डा ने आरोप लगाया कि जांच एजेंसियां अब निष्पक्ष नहीं रहीं, बल्कि एक राजनीतिक हथियार बन चुकी हैं। उन्होंने हरियाणा, महाराष्ट्र, असम, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के उदाहरण दिए, जहां विपक्षी नेताओं को परेशान किया गया और भाजपा में आने पर उन पर मेहरबानी दिखा दी गई।

किसानों की समस्याओं की अनदेखी: हुड्डा ने कहा कि सैनी सरकार की प्राथमिकता किसान नहीं हैं। सरकार सिर्फ दिखावे के कामों में व्यस्त है। जब किसानों को समर्थन मूल्य देने, फसल खरीदने और भंडारण की व्यवस्था करने की बात आती है तो अधिकारी और मंत्री एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते हैं। किसानों को हफ्तों तक भुगतान नहीं मिल रहा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और भी खराब हो रही है।

बारिश से नुकसान हुआ तो सरकार जिम्मेदार: दीपेंद्र हुड्डा ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर बारिश से खुले में पड़े गेहूं को नुकसान होता है, तो इसके लिए पूरी जिम्मेदारी हरियाणा सरकार और उसकी एजेंसियों की होगी। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि तुरंत प्रभाव से सभी मंडियों में पड़े गेहूं को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए, तिरपाल और कवर की व्यवस्था हो और खरीद प्रक्रिया को गति दी जाए।

सरकार से की प्रमुख मांगें:

  1. 12 प्रतिशत नमी की शर्त में राहत देते हुए इसे 14 प्रतिशत किया जाए।
  2. सभी मंडियों में तिरपाल व कवर की पर्याप्त व्यवस्था की जाए।
  3. खरीद प्रक्रिया को तेज किया जाए और सभी किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
  4. मंडियों में अव्यवस्था को खत्म करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो।
  5. अगर मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुसार बारिश होती है तो उसकी पूर्व तैयारी की जाए।
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