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Saturday, November 8, 2025

राकेश टिकैत पर जानलेवा हमला या साजिश? 

जन आक्रोश रैली” में पगड़ी उछाल कांड: राकेश टिकैत पर जानलेवा हमला या साजिश? 

The Airnews | मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश | 2 मई 2025

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में आयोजित “जन आक्रोश रैली” उस वक्त विवादों और सनसनी का केंद्र बन गई जब देश के चर्चित किसान नेता राकेश टिकैत पर हमला हुआ। मंच पर पगड़ी उछाल दी गई, नारेबाज़ी हुई, और उन्हें जान बचाकर भागना पड़ा। क्या यह केवल एक भीड़ का आक्रोश था या एक पूर्व-नियोजित साजिश? सवाल अब पुलिस, राजनीति और जनता—तीनों के बीच गूंज रहा है।


घटना की पृष्ठभूमि: रैली क्यों हुई थी?

1 मई, 2025 को मुजफ्फरनगर के टाउन हॉल ग्राउंड में यह रैली आयोजित की गई थी।
इसका उद्देश्य था:

  • पहलगाम आतंकी हमले का विरोध,

  • पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा,

  • और हिंदुओं के कथित पलायन के खिलाफ आवाज़ उठाना।

इस रैली में कुल 168 हिंदू संगठनों की भागीदारी थी। स्थानीय बाजार बंद कराए गए थे और रैली स्थल पर हजारों लोग पहुंचे थे।


राकेश टिकैत के मंच पर आते ही फूटा गुस्सा

शाम करीब 5:30 बजे, जैसे ही राकेश टिकैत मंच पर पहुंचे,
भीड़ के कुछ हिस्से ने ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।

  • राकेश टिकैत वापस जाओ” के नारे लगे।

  • भगवा और तिरंगे झंडे हवा में लहराए।

  • मंच के नीचे माहौल उत्तेजनात्मक बन गया।

विरोध की प्रमुख वजह थी राकेश टिकैत के भाई, नरेश टिकैत का हालिया बयान:

भारत और पाकिस्तान के किसान एक जैसे हैं, पाकिस्तान का पानी रोकना ठीक नहीं।”

इस बयान से वहां मौजूद कुछ संगठनों और भीड़ के हिस्से की भावनाएं आहत हुईं।


हमला: झंडे से प्रहार और पगड़ी का अपमान

स्थिति बेकाबू होते देख राकेश टिकैत मंच से नीचे उतरे और भीड़ को शांत करने की कोशिश की।
लेकिन तभी एक युवक ने झंडे की डंडी से उनके सिर पर प्रहार कर दिया।

  • इस अचानक हमले से धक्का-मुक्की शुरू हो गई।

  • राकेश टिकैत की पगड़ी गिर गई, जो उनके लिए सम्मान और अस्मिता का प्रतीक है।

  • सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत मोर्चा संभाला और उन्हें वहां से सुरक्षित बाहर निकाला


राकेश टिकैत का बयान: “हमें मारने की पूरी साजिश थी”

हमले के बाद मीडिया से बात करते हुए राकेश टिकैत ने इसे पूर्व-नियोजित हमला करार दिया:

यह एक सोची-समझी साजिश थी। अगर सुरक्षा न होती, तो शायद हमें मार दिया जाता। भीड़ में नशे में धुत लोग थे। प्रशासन ऐसे तत्वों की पहचान कर कड़ी कार्रवाई करे।

उन्होंने ये भी कहा कि किसी भी मुद्दे पर चर्चा का हक सभी को है, लेकिन हमला करना लोकतंत्र की हत्या है।


क्या थी प्रशासन की तैयारी?

  • रैली के आयोजन से पहले काफी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था।

  • सिविल लाइन थाना क्षेत्र के टाउन हॉल में पुलिस की मौजूदगी थी, लेकिन भीड़ की संख्या और आक्रोश के आगे सुरक्षा इंतज़ाम अपर्याप्त साबित हुए।

अब सवाल उठ रहा है कि क्या प्रशासन को हमले की आशंका पहले से थी?
अगर थी, तो पर्याप्त रोकथाम क्यों नहीं की गई?


राजनीतिक समीकरण और साजिश की गूंज

इस घटना के बाद सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं:

  1. क्या रैली आयोजकों को पता था कि भीड़ के एक हिस्से में टिकैत के विरोधी मौजूद हैं?

  2. क्या यह हमला केवल नरेश टिकैत के बयान की प्रतिक्रिया थी या राजनीतिक बदले की आग?

  3. क्या किसान आंदोलन में प्रमुख चेहरा बनने के कारण राकेश टिकैत को टारगेट किया जा रहा है?


पुलिस जांच और कार्रवाई की मांग

घटना के बाद FIR दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
पुलिस का कहना है कि:

  • घटनास्थल के वीडियो फुटेज खंगाले जा रहे हैं।

  • हमलावर की पहचान के लिए चश्मदीदों से पूछताछ की जा रही है।

  • सुरक्षा चूक को लेकर संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई है।


विरोधियों की प्रतिक्रिया

घटना के बाद तमाम किसान संगठनों ने इसे अपमानजनक और शर्मनाक बताया।
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) और अन्य संगठनों ने मांग की कि:

  • हमलावरों की पहचान कर तत्काल गिरफ्तारी हो।

  • राकेश टिकैत की सुरक्षा को बढ़ाया जाए।

  • ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं।


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