रियाणा में बड़ा वर्क स्लिप घोटाला: 3 लेबर इंस्पेक्टर सस्पेंड, मंत्री विज ने लगाई DBT पेमेंट पर रोक

हरियाणा (Sahil Kasoon The Airnews) हरियाणा के श्रम विभाग में सामने आए करोड़ों रुपये के वर्क स्लिप घोटाले में बड़ी कार्रवाई की गई है। जांच में फर्जी वर्क स्लिप वेरिफिकेशन के मामले में हरियाणा के गृह व श्रम मंत्री अनिल विज ने 3 लेबर इंस्पेक्टर को निलंबित करने के आदेश दिए हैं। साथ ही सभी DBT पेमेंट्स पर रोक लगा दी गई है।
तीन महीने चली गहन जांच के बाद हिसार, कैथल, जींद, सिरसा, फरीदाबाद और भिवानी जिलों में वर्क-स्लिप वेरिफिकेशन में गंभीर गड़बड़ियां सामने आईं। श्रम विभाग और विकास एवं पंचायत विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से 12 लाख से अधिक फर्जी वर्क स्लिप सत्यापित की गईं।
बहादुरगढ़ (झज्जर) सर्कल-2 के लेबर इंस्पेक्टर राज कुमार ने 44168, सोनीपत सर्कल-2 के रोशन लाल ने 51748 और फरीदाबाद सर्कल-12 के धनराज ने 35128 फर्जी सर्टिफिकेट जारी किए। इन तीनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
यह मामला 21 अप्रैल 2025 को मंत्री अनिल विज की अध्यक्षता में कर्मकार कल्याण बोर्ड की बैठक के दौरान सामने आया। इसमें बताया गया कि अगस्त 2023 से मार्च 2025 तक करीब 11.96 लाख वर्क स्लिप वेरिफाई की गईं, जिनमें से एक ग्राम सचिव ने अकेले 84 हजार से अधिक वेरिफिकेशन कर दिए और कई दिनों में हजारों स्लिप एक ही दिन में सत्यापित की गईं।
मंत्री विज को शक हुआ कि यह कार्य मानवीय रूप से संभव नहीं है, जिसके बाद अजमेर सिंह देसवाल, सुनील ढिल्लों और भूपिंदर शर्मा की एक जांच कमेटी गठित की गई। इस कमेटी ने पाया कि ज्यादातर वर्क स्लिप फर्जी मजदूरों की हैं, जिनका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है और फिर भी ये श्रमिक सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। इससे विभाग को सैकड़ों करोड़ का नुकसान हुआ है।
मंत्री विज ने महाधिवक्ता (AG) से कानूनी राय लेकर दोषियों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की तैयारी शुरू करने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही सभी जिलों के डीसी को नई तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर फिजिकल वेरिफिकेशन कराने को कहा गया है। यह कमेटियां प्रत्येक गांव और शहर में जाकर जांच करेंगी और तीन महीने में रिपोर्ट देंगी।




