रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया कंप्यूटर ऑपरेटर ?

computer operator caught on bribe charges confessed his crime on interrogation

रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया कंप्यूटर ऑपरेटर: विजिलेंस टीम की कार्रवाई ने मचाई खलबली

हरियाणा राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम के तहत एक और बड़ा खुलासा सामने आया है। स्टेट विजिलेंस टीम ने फरीदाबाद जिले के होडल क्षेत्र के ब्लॉक पंचायत कार्यालय में तैनात कंप्यूटर ऑपरेटर धर्मेंद्र को रिश्वत लेते रंगे हाथों धर दबोचा है। धर्मेंद्र को उसके सहायक सहित गिरफ्तार किया गया है और पूछताछ में उसने अपना गुनाह भी कबूल कर लिया है।

इस घटना से न केवल सरकारी महकमे में हलचल मच गई है, बल्कि आम जनता में भी सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं।


घटना का पूरा घटनाक्रम: शिकायत से गिरफ्तारी तक

जानकारी के अनुसार धर्मेंद्र, जो कि ब्लॉक पंचायत कार्यालय, होडल में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर कार्यरत है, इन दिनों गेहूं खरीद सीजन के चलते हसनपुर अनाज मंडी में ड्यूटी पर तैनात था। इसी दौरान एक ग्राम पंचायत सरपंच ने स्टेट विजिलेंस को शिकायत की कि धर्मेंद्र उसके कार्य को आगे बढ़ाने के लिए 3,000 रुपए की रिश्वत की मांग कर रहा है।

विजिलेंस टीम ने शिकायत की सत्यता की जांच करने के लिए एक सुनियोजित योजना बनाई। जैसे ही सरपंच ने पहले से चिह्नित नोटों के साथ रिश्वत की रकम धर्मेंद्र को सौंपी, टीम ने मौके पर पहुंचकर उसे रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।


पूछताछ में कबूल किया अपराध

गिरफ्तारी के तुरंत बाद धर्मेंद्र से मौके पर ही पूछताछ की गई। विजिलेंस अधिकारियों के अनुसार, प्रारंभिक पूछताछ में धर्मेंद्र ने स्वीकार किया कि उसने रिश्वत मांगी और ली। उसके सहायक की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है और दोनों को विजिलेंस टीम अपने साथ ले गई है।

यह गिरफ्तारी न केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ एक कड़ा संदेश देती है, बल्कि यह संकेत भी देती है कि राज्य में सरकारी अधिकारियों के भ्रष्टाचार पर अब निगरानी और भी कड़ी हो चुकी है।


होडल में सरकारी कार्यालयों पर बढ़ी निगरानी

इस कार्रवाई के बाद होडल क्षेत्र के अन्य सरकारी विभागों में खलबली मच गई है। अफसरों और कर्मचारियों में डर का माहौल है कि कहीं उन पर भी कार्रवाई न हो जाए।

ब्लॉक पंचायत कार्यालय जैसे छोटे स्तर के सरकारी दफ्तरों में भी भ्रष्टाचार किस हद तक फैल चुका है, यह घटना उसका जीवंत उदाहरण बन गई है। इससे साफ जाहिर है कि निचले स्तर के अधिकारी व कर्मचारी भी आम नागरिकों से काम के बदले में पैसे वसूलने से पीछे नहीं हटते।


पिछले घोटाले की परछाई में आया नया मामला

यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इससे पहले भी हसनपुर ब्लॉक पंचायत कार्यालय में करीब 50 करोड़ रुपये के बड़े घोटाले का खुलासा हो चुका है। विजिलेंस विभाग ने उस मामले में भी छापेमारी की थी और कई दस्तावेज जब्त किए थे।

उस पुराने मामले की जांच अभी भी जारी है और अब नया रिश्वत कांड सामने आने से पूरे सिस्टम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।

क्या यह सिर्फ एक व्यक्ति की करतूत है या इसके पीछे एक पूरी संगठित भ्रष्ट तंत्र काम कर रहा है? यही सवाल अब उठने लगे हैं और विजिलेंस टीम इन दोनों आरोपियों से गहराई से पूछताछ कर रही है ताकि उन अधिकारियों के नाम सामने लाए जा सकें जो इस भ्रष्टाचार चक्र में शामिल हो सकते हैं।


सरकारी अधिकारियों पर टूटेगा शिकंजा?

विजिलेंस की शुरुआती जांच में यह साफ हो चुका है कि रिश्वत की मांग सिर्फ एक isolated incident नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक प्रक्रिया और योजना है।

सूत्रों के मुताबिक, कंप्यूटर ऑपरेटर धर्मेंद्र से यह पूछताछ की जा रही है कि:

  • किस-किस अधिकारी के कहने पर वह पैसा मांगता था?

  • क्या इसके पीछे कोई उच्चाधिकारी भी शामिल है?

  • क्या ऐसे काम पहले भी किए गए हैं?

इन सवालों के जवाब से कई और नामों का खुलासा हो सकता है। यदि धर्मेंद्र और उसके सहयोगी के बयान सटीक साबित होते हैं तो निकट भविष्य में होडल ब्लॉक कार्यालय में कई और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।


विजिलेंस की कार्रवाई: एक चेतावनी या शुरुआत?

यह कार्रवाई एक चेतावनी है उन सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए जो अपनी कुर्सी का गलत फायदा उठाकर जनता का शोषण कर रहे हैं।

हरियाणा राज्य सरकार व स्टेट विजिलेंस की संयुक्त निगरानी और पारदर्शिता की पहल का यह हिस्सा है जिसमें लगातार सरकारी दफ्तरों की गहन जांच की जा रही है।

हाल ही में फरीदाबाद, हिसार, पानीपत और सिरसा जैसे जिलों में भी विजिलेंस ने कई अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की है।


जनता में बढ़ा विश्वास, पर सवाल भी कायम

जहां एक ओर इस प्रकार की कार्रवाई से आम जनता को राहत की सांस मिलती है, वहीं दूसरी ओर यह चिंता भी बढ़ जाती है कि भ्रष्टाचार आखिरकार कितने गहरे स्तर तक फैला है?

क्या हर बार शिकायत करना जरूरी है, या फिर सिस्टम को इतना मजबूत बनाया जाएगा कि कोई अधिकारी रिश्वत मांगने की हिम्मत ही न कर सके?

इन सवालों का जवाब आने वाले समय में सरकार और प्रशासनिक तंत्र की कार्यप्रणाली तय करेगी।

 

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