घटना का विवरण:
3 अप्रैल की रात, रेवाड़ी जिले के एक गांव में एक परिवार पर घातक लूट का हमला हुआ। पीड़ित परिवार के अनुसार, लगभग 7-8 लुटेरे हथियारों से लैस होकर उनके घर में घुसे। उन्होंने परिवार के सदस्यों को गन प्वाइंट पर धमकाया और उन्हें डराया। इन लुटेरों ने परिवार की ननद और भाभी के कपड़े उतरवाए, छाती दबाई और प्राइवेट पार्ट से छेड़छाड़ की। इसके बाद, उन्होंने इस पूरी घटना का वीडियो बना लिया और उन महिलाओं की नग्न स्थिति में फोटो और वीडियो भी खींची। इसके अलावा, लुटेरे परिवार से 18 तोले सोने के गहने लेकर फरार हो गए।
घटना के बाद, पीड़ित परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई, लेकिन पुलिस का कहना है कि इस मामले में कई पहलू संदिग्ध हैं।
पुलिस का बयान:
पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू की है, और उनके अनुसार, इस घटना के दौरान कोई बाहरी फिंगर प्रिंट नहीं मिले हैं। पुलिस का यह भी कहना है कि पीड़ित युवक के बयान में बार-बार बदलाव आ रहे हैं। उनका कहना है कि परिवार के बयान में स्पष्टता नहीं है और यह घटना संदिग्ध प्रतीत हो रही है। पुलिस ने यह भी कहा कि मोबाइल से कोई अश्लील वीडियो रिट्रीव नहीं हो पाई, जबकि पीड़ित परिवार का दावा था कि बदमाशों ने उनका मोबाइल इस्तेमाल कर अश्लील वीडियो बनाई थी और उसे अपने फोन में ट्रांसफर कर लिया था।
पुलिस का कहना है कि परिवार के बयान में विभिन्न बदलावों और तथ्यात्मक भिन्नताओं के कारण इस मामले में जांच जारी है और पूरी सच्चाई सामने लाने के लिए हर पहलू की जांच की जा रही है।
पीड़ित परिवार के दावे:
-
पुलिस का दबाव: पीड़ित परिवार का कहना है कि शिकायत दर्ज करवाने के बाद, पुलिस ने लुटेरों को पकड़ने के बजाय, उन्हें ही प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। परिवार का कहना है कि पुलिस ने बयान बदलने का दबाव डाला और यदि वे ऐसा नहीं करते तो पुलिस ने उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाने की धमकी दी।
-
टॉर्चर और डर: परिवार के युवक का कहना है कि लूट के अगले दिन, पुलिस ने उसे चोर समझकर टॉर्चर किया और CIA (क्राइम इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) ऑफिस में ले जाकर उसे डराया। पानी और बिजली की तारों से धमकी दी गई और उसे डराया गया कि वह किसी भी हाल में बयान बदल दे।
-
पुलिस का पक्षपाती रवैया: पीड़ित परिवार का कहना है कि पुलिस ने एक संदिग्ध युवक को छुपाया हुआ है, जिसे वे अपना मुखबिर मानते हैं। परिवार का कहना है कि वह युवक पहले भी उनके घर के पास देखा गया था और कुछ समय पहले उनके घर से एक मोबाइल और चप्पल भी बरामद हुई थी, लेकिन पुलिस उस युवक के बारे में कुछ नहीं बता रही है।
-
सर्जिकल ग्लव्स का उपयोग: पीड़ित परिवार का कहना है कि लुटेरों ने सर्जिकल ग्लव्स पहने हुए थे ताकि उनके फिंगर प्रिंट ना मिलें और पुलिस की जांच में वे पकड़े न जाएं। लूटपाट के दौरान, लुटेरों ने घर का फर्श भी खोद दिया था ताकि वे सोने के गहने ढूंढ सकें।
पुलिस की जांच में सामने आईं चिंताएँ:
-
बयानों में अंतर: पुलिस का कहना है कि घटना के बाद परिवार के हर सदस्य के बयान में अंतर था। एसपी ने मौके पर तीन घंटे तक परिवार से बात की और सभी के बयान दर्ज किए, लेकिन सभी के बयानों में बदलाव पाया गया। यह स्थिति पुलिस के लिए संदिग्ध बनी हुई है।
-
अश्लील वीडियो का ना मिलना: पुलिस के अनुसार, पीड़ित परिवार ने दावा किया था कि लुटेरों ने उनके मोबाइल से अश्लील वीडियो बनाई और फिर उसे अपने मोबाइल में ट्रांसफर किया। लेकिन जब पुलिस ने मोबाइल की जांच की, तो कोई भी अश्लील वीडियो रिट्रीव नहीं हुई, जिससे यह बात संदिग्ध हो गई कि क्या वाकई वीडियो बनाई गई थी।
-
फिंगर प्रिंट्स और अन्य सुराग: पुलिस ने मौके पर फिंगर प्रिंट्स की जांच की, लेकिन कोई बाहरी व्यक्ति का फिंगर प्रिंट नहीं मिला। केवल परिवार के सदस्यों के ही फिंगर प्रिंट्स पाए गए, जो मामले को और अधिक संदिग्ध बना रहे हैं।
SP का बयान:
रेवाड़ी के SP मयंक गुप्ता ने इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पुलिस मामले की जांच कर रही है और बहुत जल्दी मामले का खुलासा कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जांच में कुछ तथ्य सामने आए हैं, जिनकी वजह से यह मामला थोड़ा संदिग्ध दिख रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस ने किसी को टॉर्चर नहीं किया, लेकिन परिवार से पूछताछ की गई थी ताकि मामले की सच्चाई सामने आ सके।