“शहादत के सात दिन बाद पहुंचे राहुल: हिमांशी बोलीं- हमें बदला नहीं, इंसाफ चाहिए… विनय की बहन ने कहा- मुझे मेरे भाई के कातिल मुर्दा चाहिए”
📰 The Airnews Special Coverage | 6 मई 2025 | रिपोर्टर: Sahil Kasoon
📍स्थान: करनाल, हरियाणा
🕯️ घटना पृष्ठभूमि:
22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में मारे गए नेवी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के घर 6 मई को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पहुंचे। यह मुलाकात केवल संवेदना प्रकट करने की नहीं, बल्कि उस आवाज़ को सुनने की थी जो हिंसा, असहायता और शहीद के परिवार की चुप चीख में दब गई है।
🔴 शहादत की वो दोपहर: हिमांशी की आंखों से देखिए
शादी के सातवें दिन, जब विनय और उनकी पत्नी हिमांशी पहलगाम में घूम रहे थे, तभी गोलियों की आवाज़ गूंजती है। आतंकी पूछते हैं – “क्या ये मुस्लिम है?” और पहचान न होने पर तीन गोलियां चला दी जाती हैं। विनय गिरते हैं, और हिमांशी की दुनिया उसी पल उजड़ जाती है। उन्होंने बताया, “कोई मदद के लिए नहीं आया, डेढ़ घंटे तक सिर्फ मैं और विनय थे।”
💔 बहन सृष्टि की चित्कार: “मुझे इंसाफ चाहिए, कातिलों को मुर्दा देखना है”
23 अप्रैल को अंतिम संस्कार में, बहन सृष्टि ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी से सवाल किया – “अगर आसपास सेना होती तो मेरा भाई आज जिंदा होता।”
पगड़ी रस्म पर उन्होंने कहा – “जो भाई मुझे पटाखों के डर से बचाता था, उसे आज आग में विदा किया… मुझे आज भी यकीन नहीं हो रहा कि विनय अब नहीं है।”
👨✈️ लेफ्टिनेंट विनय नरवाल: एक प्रेरणादायक जीवन
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गांव: भुसली, जिला करनाल
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शिक्षा: B.Tech दिल्ली से
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परिवार की सैन्य विरासत: दादा बीएसएफ, ताऊ और नाना आर्मी में
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सेवा: नेवी लेफ्टिनेंट, पोस्टिंग कोच्चि
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शादी: 16 अप्रैल को मसूरी में हिमांशी से
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प्लान: यूरोप हनीमून, जो कभी नहीं हो सका
🗣️ हिमांशी की स्पष्ट आवाज: “मुस्लिम और कश्मीरियों के खिलाफ नफरत नहीं चाहिए”
हिमांशी ने बयान दिया कि आतंकियों को सजा मिले, लेकिन किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ नफरत न फैले। यह बयान देशभर में वायरल हुआ और एकता की मिसाल बन गया।
🇮🇳 राहुल गांधी का आगमन: संवेदना के साथ सियासत का संतुलन
करीब एक घंटे तक राहुल गांधी परिवार के साथ रहे। उनके साथ दीपेंद्र हुड्डा और प्रदेश अध्यक्ष उदयभान भी थे।
यह दौरा राजनीतिक हो सकता है, पर वह पल एक पिता, पति, भाई और देश के सपूत के सम्मान में था।
🏛️ हरियाणा सरकार का ऐलान:
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₹50 लाख की आर्थिक सहायता
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परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी