विनेश फोगाट ने की जली फसल के मुआवजे की मांग ?

विनेश फोगाट ने की जली फसल के मुआवजे की मांग: किसानों की मेहनत और उम्मीदें जलकर हुईं राख, सरकार से की तत्काल सर्वे और मुआवजे की अपील
The Airnews | Jind | Edited by: Yash
हरियाणा के जींद जिले के जुलाना विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक और अंतरराष्ट्रीय स्तर की रेसलर विनेश फोगाट ने हाल ही में किसानों के समर्थन में बड़ा बयान दिया है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि खेतों में लगी आग से जिन किसानों की गेहूं की खड़ी फसल जलकर राख हो गई है, उनका तुरंत सर्वे करवाया जाए और प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए।
फेसबुक पर जारी अपने पोस्ट में विनेश फोगाट ने लिखा, “हरियाणा में सैकड़ों एकड़ गेहूं की फसल आग की भेंट चढ़ गई है। किसानों की मेहनत, सपने और परिवार की उम्मीदें पल भर में राख हो गई हैं। सरकार तुरंत संज्ञान लेकर सर्वे कराए और किसानों को मुआवजा दे।”
यह मुद्दा तब और भी गंभीर हो गया जब यह सामने आया कि इस सीजन में अब तक 300 एकड़ से ज्यादा गेहूं की फसल आग में स्वाहा हो चुकी है। किसानों की इस आपदा पर विनेश फोगाट ने संवेदनशीलता दिखाते हुए प्रशासन को आड़े हाथों लिया और सरकार से शीघ्र राहत प्रदान करने की अपील की।
कौन-कौन से गांव प्रभावित हुए?
जुलाना विधानसभा क्षेत्र के कई गांवों में आग लगने की घटनाएं सामने आई हैं। इनमें प्रमुख गांव हैं:
- ईंटल कलां
- ईंटल खुर्द
- राजपुरा भैण
- शामलो कलां
- गतौली
- करेला
- झमौला
- श्रीरागखेड़ा (जींद)
- दालमवाला
- शाहपुर
- अहिरका
- अमरेहड़ी
- रोहतक रोड गुरुद्वारा के खेत
- दुर्जनपुर (उचाना)
- नचार खेड़ा
- काकड़ौद
- नरवाना के कई गांव
इन सभी क्षेत्रों में अचानक आग लगने की घटनाएं सामने आई हैं। कई जगहों पर शॉर्ट सर्किट को आग का कारण बताया जा रहा है, जबकि कुछ मामलों में आग लगने के कारण अज्ञात हैं।
किसानों की व्यथा: मेहनत राख में बदल गई
आग लगने की घटनाओं में किसानों की वर्षों की मेहनत कुछ ही पलों में राख हो गई। किसान जो ठेके पर जमीन लेकर फसल उगाते हैं, वे इस त्रासदी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
- राजपुरा गांव के किसान भीष्म की 4.5 एकड़ गेहूं की खड़ी फसल जल गई।
- ईंटल खुर्द में रामकिशन की लगभग 2 एकड़ फसल स्वाहा हो गई।
- बलबीर की गेहूं की पूरी फसल भी जलकर नष्ट हो गई।
- नरेंद्र ने 6 एकड़ जमीन ठेके पर लेकर गेहूं बोई थी, लेकिन आग ने सबकुछ तबाह कर दिया।
इन सभी किसानों ने मुआवजे की मांग करते हुए प्रशासन से अपील की है कि उनकी पीड़ा को समझा जाए और त्वरित कार्रवाई की जाए।
विनेश फोगाट की अपील और सरकार से मांग
विनेश फोगाट ने साफ शब्दों में कहा कि सरकार को तुरंत सर्वे करवाना चाहिए और प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों की मेहनत और उम्मीदों को यूं जलते हुए देखना अत्यंत पीड़ादायक है।
उन्होंने राज्य सरकार को चेताते हुए यह भी कहा कि यदि सरकार इस विषय पर त्वरित कार्रवाई नहीं करती है, तो वह स्वयं किसानों के साथ मिलकर विरोध प्रदर्शन करेंगी।
प्रभावित किसानों की ज़ुबानी
भीष्म, राजपुरा: “हमने कर्ज लेकर बीज, खाद और सिंचाई की व्यवस्था की थी। अब सबकुछ खत्म हो गया। उम्मीद थी कि अच्छी फसल से बच्चों की फीस और कर्ज चुकाया जाएगा, लेकिन आग ने सब लूट लिया।”
रामकिशन, ईंटल खुर्द: “रात को आग लग गई। जब तक पता चला, तब तक फसल राख हो चुकी थी। किसी ने मदद नहीं की। अब सरकार से उम्मीद है।”
नरेंद्र, राजपुरा: “6 एकड़ जमीन ठेके पर लेकर खेती की थी। दिन-रात मेहनत की। अब मुआवजा ही एकमात्र सहारा है।”
प्रशासन की भूमिका और लापरवाही
कई किसानों ने यह आरोप भी लगाया कि प्रशासन को बार-बार सूचना देने के बावजूद समय पर फायर ब्रिगेड नहीं पहुंची। आग लगने के बाद कई घंटे तक दमकल वाहन नहीं आए जिससे फसल को बचाया नहीं जा सका।
यह प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है और इससे यह सवाल उठता है कि क्या हर गांव के पास अग्निशमन सुविधाएं पर्याप्त हैं? क्या इन क्षेत्रों में आपातकालीन सेवाओं की समीक्षा होनी चाहिए?
राजनीतिक प्रतिक्रिया और समर्थन
विनेश फोगाट के बयान के बाद विपक्ष के कई नेताओं ने भी किसानों के समर्थन में आवाज उठाई है। कांग्रेस पार्टी ने राज्य सरकार को किसानों की अनदेखी का दोषी ठहराया है। वहीं सोशल मीडिया पर भी लोगों ने विनेश फोगाट की प्रशंसा की और सरकार से तत्काल मुआवजे की मांग की।
सांख्यिकीय दृष्टिकोण
- अब तक कुल 300 एकड़ से अधिक फसल आग से प्रभावित
- 20 से अधिक गांवों में घटनाएं दर्ज
- औसतन 1.5 लाख रुपये प्रति एकड़ का नुकसान
यह आँकड़े साफ दर्शाते हैं कि किसानों को करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है, जो उनकी आजीविका पर सीधा प्रहार है।
सरकारी प्रतिक्रिया अब तक क्या है?
प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस घोषणा नहीं की गई है। स्थानीय पटवारियों को मौखिक रूप से निर्देश दिए गए हैं कि वे प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे करें, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है।




