
सिरसा के सैलून संचालक को 37 करोड़ रुपये का टैक्स नोटिस: फर्जी फर्म के नाम पर हुआ घोटाला, अब पांच साल बाद आयकर विभाग ने फिर भेजा नोटिस
स्रोत: The Airnews
संपादन: Yash
हरियाणा के सिरसा जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक आम सैलून संचालक को 37.87 करोड़ रुपए के आयकर बकाया का नोटिस थमा दिया गया है। यह मामला जितना गंभीर है, उतना ही हैरान करने वाला भी है क्योंकि पीड़ित राकेश कुमार का जीवन स्तर और आय का स्रोत इस प्रकार के भारी-भरकम टैक्स के बिल्कुल अनुकूल नहीं है। आइए जानते हैं पूरे मामले की पृष्ठभूमि, जांच और मौजूदा स्थिति विस्तार से।
मामले की शुरुआत: गुरुग्राम में फर्जी फर्म के नाम पर टैक्स फ्रॉड
साल 2020 में आयकर विभाग की टीम गुरुग्राम से सिरसा के गांव अली मोहम्मद पहुंची थी। टीम का निशाना बना था राकेश कुमार, जो एक साधारण सैलून चलाता है और मुश्किल से 500 रुपए रोजाना कमाता है। विभाग ने एक सर्च वारंट के साथ उसके घर पर दबिश दी। जांच में टीम को पता चला कि राकेश के नाम पर गुरुग्राम में “हिमांशु फर्म” नाम की कंपनी रजिस्टर्ड है, जो बड़े पैमाने पर व्यवसाय कर रही है और जिस पर 37.87 करोड़ रुपये का टैक्स बकाया है।
जब टीम ने मौके पर राकेश की स्थिति देखी—खस्ताहाल दो कमरे का मकान, पंचायती जमीन पर बना हुआ और बेहद सीमित संसाधनों वाला जीवन—तो उन्हें शक हुआ कि कुछ गड़बड़ है। बावजूद इसके, टीम ने राकेश को कागजी कार्रवाई के बहाने गुरुग्राम बुला लिया। वहां उससे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाए गए और बयान दर्ज कर उसे रात में वापस भेज दिया गया।
चार साल बाद फिर से नोटिस, इस बार सिरसा से जारी
चार-पांच साल तक मामला शांत रहने के बाद अब आयकर विभाग ने दोबारा नोटिस भेज दिया है। यह नोटिस इस बार गुरुग्राम की बजाय सिरसा से जारी किया गया है, जिससे परिवार और ज्यादा परेशान हो गया है। 9 अप्रैल तक जवाब देने की अंतिम तारीख है, जिससे पहले राकेश और उसका परिवार लगातार थाने व अधिकारियों के चक्कर काट रहा है।
धनी एप से लिए लोन के बाद लीक हुए दस्तावेज?
राकेश ने 2020-21 में सिरसा स्थित धनी एप नामक फाइनेंस कंपनी से ₹10,000 का लोन लिया था, जिसे समय रहते चुका भी दिया। हाल ही में उसने जब आयकर विभाग का नोटिस देखा तो सीधे धनी एप कार्यालय पहुंचा और अपने दस्तावेजों की जानकारी जुटाई। वहां पता चला कि किसी कर्मचारी ने उसके दस्तावेज लीक कर दिए थे, और इन्हीं के आधार पर फर्जी फर्म बनाई गई।
पुलिस ने लिया संज्ञान, जांच की प्रक्रिया शुरू
मीडिया में मामला आने के बाद नाथूसरी चौपटा थाना पुलिस ने राकेश से संपर्क किया और उसे थाने बुलाया। राकेश सोमवार सुबह अपने परिवार के साथ थाने पहुंचा है, जहां से पूरी जांच प्रक्रिया शुरू की गई है। अब पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि दस्तावेज लीक किसने किए और फर्जी फर्म के पीछे कौन लोग हैं।
घर की हालत और पारिवारिक पृष्ठभूमि
राकेश का घर सिरसा के गांव अली मोहम्मद में पंचायती जमीन पर बना है, जिसमें सिर्फ दो कमरे हैं और बाकी निर्माण अधूरा व कच्चा है। उनके पिता नरसी राम सिलाई का काम करते हैं और माता मेवा देवी व पत्नी सुनीता गृहिणी हैं। परिवार की आय सीमित है और दिन का गुजारा मुश्किल से होता है।
राकेश की व्यथा: “मैं तो मुश्किल से घर चला पा रहा हूं”
राकेश ने मीडिया से बात करते हुए बताया, “मैं पिछले 10 साल से सैलून चला रहा हूं, मेरा सैलून डेरा सच्चा सौदा के पास है। 29 मार्च को मैं दुकान पर नहीं था, तभी डाकिया मेरे नाम का एक लिफाफा पास की दुकान में दे गया। जब वापस लौटा तो दुकानदार ने लिफाफा दिया। उसमें 37.87 करोड़ का टैक्स नोटिस देखकर मेरे होश उड़ गए।”
नोटिस मिलने के बाद फैला तनाव, परिवार मानसिक दबाव में
राकेश का कहना है कि वह अपनी सामान्य कमाई से केवल परिवार की जरूरतें ही पूरी कर पाता है। टैक्स नोटिस की खबर सुनते ही उसकी पत्नी, माता-पिता और दो छोटे बच्चे बुरी तरह घबरा गए। परिवार अब हर समय मानसिक दबाव में है कि कहीं कोई कानूनी कार्रवाई न हो जाए।
कानूनी और प्रशासनिक पक्ष
राकेश ने अब पुलिस और प्रशासन से अपील की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और जिन लोगों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर फर्म खोलकर करोड़ों का व्यापार किया है, उन्हें सजा दिलाई जाए। साथ ही यह भी मांग की है कि भविष्य में आम जनता के दस्तावेजों का इस तरह गलत उपयोग न हो, इसके लिए कड़े कानून बनाए जाएं।