
The Air News | सोनीपत
हरियाणा के सोनीपत जिले में बिजली दरों में की गई वृद्धि के खिलाफ लोगों का गुस्सा अब सड़कों पर दिखाई देने लगा है। नागरिक अधिकार मंच के बैनर तले सैकड़ों की संख्या में कर्मचारी, मजदूर संगठन और आम नागरिक एकत्रित हुए और सरकार के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन किया।
इस प्रदर्शन में सीआईटीयू (CITU) और सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा सहित कई अन्य सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने भाग लिया। प्रदर्शनकारियों ने न केवल बिजली दरों की आलोचना की, बल्कि सरकार पर चुनावी वादों से मुकरने का आरोप भी लगाया। उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर बिजली की दरों में की गई वृद्धि को तुरंत प्रभाव से वापस लेने की मांग की।
बिजली दरों में वृद्धि के विरोध में सड़क पर उतरे लोग
प्रदर्शन स्थल पर एकत्रित लोगों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में पूरे प्रदेश में असहयोग आंदोलन चलाया जाएगा। नागरिक अधिकार मंच के कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह वृद्धि जनता के हितों के खिलाफ है और यह सीधे तौर पर आम आदमी की जेब पर चोट है।
सुनीता देवी, प्रधान, सीटू (CITU), ने कहा:
“सरकार ने चुनाव से पहले वादा किया था कि बिजली के रेट कम किए जाएंगे। लेकिन सत्ता में आते ही दरों में भारी बढ़ोतरी कर दी गई। यह जनता के साथ सीधा धोखा है। आज जब बिजली की खपत अपने उच्चतम स्तर पर है, तब रेट बढ़ाना जनता की कमर तोड़ने जैसा है।”
क्या हैं प्रदर्शनकारियों की मुख्य आपत्तियां
- चुनावी वादों के विपरीत निर्णय: प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार ने चुनाव के समय बिजली दरें कम करने की बात की थी, लेकिन अब उल्टा रेट बढ़ा दिए गए हैं।
- आर्थिक बोझ में वृद्धि: बढ़े हुए रेट से हर घर का बिजली बिल कई सौ रुपये तक बढ़ गया है, जिससे मध्यमवर्गीय और गरीब परिवारों की आर्थिक स्थिति पर असर पड़ा है।
- अलग-अलग स्लैब बनाकर भ्रम की स्थिति: बिजली के स्लैब सिस्टम में बदलाव करके उपभोक्ताओं को भ्रमित किया जा रहा है। अब उपभोक्ताओं को यह समझना मुश्किल हो गया है कि उन्हें किस स्लैब के अंतर्गत कितना भुगतान करना होगा।
- महंगी बिजली की खरीद: आरोप लगाया गया कि सरकार गुजरात जैसे राज्यों से महंगे दामों पर बिजली खरीद रही है और उसका सीधा बोझ आम उपभोक्ता पर डाल रही है।
सिलक राम, नागरिक अधिकार मंच के सदस्य, ने कहा:
“1.10 रुपये प्रति यूनिट की वृद्धि कोई मामूली बात नहीं है। यह सीधा-सीधा जनता की जेब काटने जैसा है। पहले भी थोड़ी-बहुत बढ़ोतरी होती थी, लेकिन इस बार यह हद पार कर गई है।”
प्रदर्शन की रणनीति और चेतावनी
प्रदर्शनकारियों ने बताया कि यह केवल एक प्रारंभिक विरोध प्रदर्शन है। अगर सरकार ने उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया तो आगे चलकर:
- गांव-गांव जाकर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
- जिले स्तर पर धरने और जुलूस निकाले जाएंगे।
- विधानसभा और बिजली निगम के दफ्तरों का घेराव किया जाएगा।
- असहयोग आंदोलन की शुरुआत की जाएगी, जिसमें बिजली बिलों का बहिष्कार किया जाएगा।
बिजली दरों में कितनी बढ़ोतरी हुई है?
हरियाणा बिजली विनियामक आयोग (HERC) की तरफ से जारी नए टैरिफ के मुताबिक:
- घरेलू उपभोक्ताओं के लिए: 20 से 40 पैसे प्रति यूनिट तक की बढ़ोतरी की गई है।
- 300 यूनिट तक खपत वाले उपभोक्ताओं पर पहले जो 125 से 135 रुपये का फिक्स्ड चार्ज लगता था, उसे खत्म कर दिया गया है।
- इंडस्ट्रील उपभोक्ताओं के लिए:
- हाई टेंशन सप्लाई: 30 से 35 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी।
- एलटी सप्लाई: 10 से 15 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी।
- बल्क सप्लाई: 40 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि।
यह बढ़ोतरी अप्रैल 2025 से लागू की गई है।
सरकार की दलील और आम जनता का विरोध
सरकार का तर्क है कि बिजली उत्पादन की लागत बढ़ने के कारण दरों में बदलाव आवश्यक था। इसके अलावा, हरियाणा में बिजली वितरण कंपनियों को घाटे से उबारने के लिए यह कदम उठाया गया है। लेकिन आम जनता और सामाजिक संगठनों का कहना है कि यह फैसला पूरी तरह से आमजन के हितों के खिलाफ है।
एक महिला प्रदर्शनकारी ने बताया:
“हमने चुनाव में विश्वास करके वोट दिया था, लेकिन अब हमें ही सजा मिल रही है। बढ़ती महंगाई में जहां एक तरफ रसोई गैस महंगी हो रही है, वहीं दूसरी तरफ अब बिजली भी महंगी कर दी गई है। गरीब कहां जाए?”