हरियाणा और यूपी के बीच नई हाई स्पीड रेलवे लाइन: कनेक्टिविटी में क्रांतिकारी बदलाव की तैयारी
The Airnews | Edited By Yash | Updated: 20 April, 2025
नई दिल्ली/चंडीगढ़: हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीच अब सफर और भी तेज, सुगम और आरामदायक होने जा रहा है। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत दोनों राज्यों को जोड़ने के लिए एक नई हाई स्पीड रेलवे लाइन बिछाने की योजना को मंजूरी दे दी गई है। इस परियोजना से न केवल आम जनता को बेहतर यात्रा सुविधा मिलेगी, बल्कि लॉजिस्टिक्स सेक्टर, क्षेत्रीय विकास और औद्योगिक कनेक्टिविटी को भी नई रफ्तार मिलेगी।
परियोजना का खाका: कहाँ से कहाँ तक
केंद्र सरकार के इस EORC (Eastern Outer Regional Corridor) रेल परियोजना के तहत कुल 135 किलोमीटर लंबाई की रेलवे लाइन बिछाई जाएगी। इसमें हरियाणा में 48 किलोमीटर और उत्तर प्रदेश में 87 किलोमीटर का ट्रैक शामिल है। यह रूट पलवल से शुरू होकर सोनीपत तक जाएगा, जिसमें गाजियाबाद, बागपत, गौतमबुद्धनगर, फरीदाबाद और सोनीपत जैसे प्रमुख जिले शामिल होंगे।
किसे क्या फायदा?
इस हाई स्पीड रेल कॉरिडोर से दोनों राज्यों के यात्रियों को तेज और सुरक्षित सफर का विकल्प मिलेगा। दिल्ली-NCR की भीड़ से राहत मिलेगी, माल ढुलाई की क्षमता में बढ़ोतरी होगी और क्षेत्रीय व्यापार को बल मिलेगा। इससे हरियाणा और यूपी के बीच दैनिक आवागमन करने वाले लाखों लोगों को राहत मिलेगी।
15 नए स्टेशन: हरियाणा और यूपी दोनों को मिलेगा लाभ
इस रूट पर कुल 15 रेलवे स्टेशन प्रस्तावित हैं। इनमें से 6-6 स्टेशन उत्तर प्रदेश और हरियाणा में होंगे, जबकि शेष 3 जंक्शन अथवा इंटरचेंज पॉइंट होंगे। हरियाणा के जिन स्थानों पर स्टेशन बनेंगे, वे हैं:
- मल्हा मजारा
- जाथेरी
- भैएरा बाकीपुर
- छांयसा
- जवान
- फतेहपुर बिलौच
इन स्टेशनों के माध्यम से फरीदाबाद, सोनीपत, पलवल जैसे क्षेत्रों को नोएडा, गाजियाबाद और बागपत से सीधी तेज कनेक्टिविटी मिलेगी। इससे रोजगार, शिक्षा और व्यापार के नए अवसर खुलेंगे।
शहरी क्षेत्र से बाहर बनेगा रूट
प्रारंभ में इस रेलवे लाइन को गाजियाबाद शहर के अंदर से ले जाने की योजना थी, लेकिन बाद में इसे ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (EPE) के बाहर ले जाने का निर्णय लिया गया। इसका उद्देश्य शहरी ट्रैफिक और निर्माण में आने वाली बाधाओं को दूर करना है। इसके अलावा, इससे निर्माण लागत और समय में भी बचत होगी।
तकनीकी विशेषताएँ और निर्माण
रेलवे मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार यह रेल लाइन पूरी तरह से हाई स्पीड तकनीक पर आधारित होगी, जो लगभग 160 से 200 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेनें चला सकेगी। लाइन को डबल ट्रैक के रूप में बिछाया जाएगा और इलेक्ट्रिफाइड किया जाएगा। सभी स्टेशन मॉडर्न फैसिलिटी से युक्त होंगे और यात्रियों को वाई-फाई, एस्केलेटर, कैफेटेरिया, सुरक्षा उपकरण आदि की सुविधा दी जाएगी।
पर्यावरण और भूमि अधिग्रहण की तैयारी
इस रेल प्रोजेक्ट को लेकर लखनऊ में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में सभी पहलुओं पर चर्चा की गई। परियोजना को पर्यावरणीय स्वीकृति, भूमि अधिग्रहण, और वित्तीय मॉडल को लेकर राज्य सरकारों का पूर्ण सहयोग प्राप्त हो चुका है। अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि भूमि अधिग्रहण में किसी भी प्रकार की जबरदस्ती नहीं की जाएगी और मुआवजा तय समय में भुगतान किया जाएगा।
लॉजिस्टिक्स और औद्योगिक ग्रोथ को मिलेगा बल
यह रेल परियोजना सिर्फ यात्रियों के लिए नहीं, बल्कि औद्योगिक और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के लिए भी वरदान साबित होगी। इससे दिल्ली-NCR के बाहर के औद्योगिक क्लस्टर सीधे तौर पर इस रेल नेटवर्क से जुड़ेंगे। इससे ट्रांसपोर्टेशन का खर्च कम होगा और समय की भी बचत होगी।
भविष्य की योजनाएँ: इंटरकनेक्टिव नेटवर्क की तैयारी
रेल मंत्रालय इस प्रोजेक्ट को दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और अन्य हाई स्पीड कॉरिडोर से जोड़ने की योजना बना रहा है। इसका उद्देश्य एक ऐसा रेल नेटवर्क तैयार करना है जो देश के विभिन्न औद्योगिक हब को एक साथ जोड़े।
राजनीतिक और प्रशासनिक समर्थन
हरियाणा और यूपी सरकारों ने इस परियोजना को लेकर पूरी तत्परता दिखाई है। मुख्यमंत्री स्तर पर हुई बैठक में इस प्रोजेक्ट को प्राथमिकता दी गई है। रेलवे मंत्रालय और दोनों राज्यों के साझा प्रयास से ही इसे संभव बनाया जा सका है। स्थानीय सांसदों और विधायकों ने भी परियोजना को लेकर जनसमर्थन जुटाने का कार्य किया है।