महिलाओं को मिलेगा हर महीने 2100 रुपये का आर्थिक सहारा: हरियाणा की ‘लाडो लक्ष्मी योजना’ को लेकर आई बड़ी अपडेट
प्रस्तावना: हरियाणा सरकार महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण को लेकर लगातार नई योजनाएं ला रही है। इसी क्रम में 2025 के बजट सत्र के दौरान राज्य सरकार द्वारा एक अत्यंत महत्वपूर्ण योजना ‘लाडो लक्ष्मी योजना’ की घोषणा की गई है। इस योजना के तहत राज्य की पात्र महिलाओं को हर महीने 2100 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इस पोस्ट में हम इस योजना की पूरी जानकारी, पात्रता, उद्देश्य और इसके लाभों की गहराई से जानकारी देंगे।
क्या है लाडो लक्ष्मी योजना?
हरियाणा सरकार की ‘लाडो लक्ष्मी योजना’ राज्य की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की एक बड़ी पहल है। इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को हर महीने 2100 रुपये की राशि सरकार द्वारा सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की जाएगी। इसके लिए बजट में 5000 करोड़ रुपये का भारी-भरकम प्रावधान किया गया है।
योजना का उद्देश्य:
- महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना।
- घरेलू खर्चों में उनका सहयोग बढ़ाना।
- महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर सामाजिक बराबरी की ओर बढ़ाना।
- राज्य में महिला कल्याण को बढ़ावा देना।
किसे मिलेगा योजना का लाभ?
वर्तमान में सरकार दो श्रेणियों पर मंथन कर रही है:
- बीपीएल श्रेणी की महिलाएं – यानी वे महिलाएं जिनका नाम बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) सूची में है।
- ऐसी महिलाएं जिनके पति-पत्नी की कुल सालाना आय तीन लाख रुपये से कम है।
सरकार का मानना है कि इस योजना का लाभ सिर्फ जरूरतमंद महिलाओं को मिलना चाहिए। इसलिए परिवार पहचान पत्र (PPP) के माध्यम से आय की पुष्टि की जाएगी।
पात्रता की शर्तें (संभावित):
- महिला हरियाणा की स्थायी निवासी हो।
- महिला की आय या पति-पत्नी की संयुक्त वार्षिक आय तीन लाख रुपये से कम हो।
- महिला बीपीएल परिवार से संबंध रखती हो (यदि इस विकल्प को प्राथमिकता दी गई)।
- महिला की उम्र 18 वर्ष या उससे अधिक हो।
- परिवार पहचान पत्र अपडेट हो।
- आधार कार्ड, बैंक खाता और मोबाइल नंबर से लिंक हो।
योजना की विशेषताएं:
- हर महीने 2100 रुपये सीधे बैंक खाते में डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से ट्रांसफर होंगे।
- पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए योजना में PPP डेटा का प्रयोग किया जाएगा।
- इस योजना से लाखों महिलाओं को सीधा लाभ मिलेगा।
- राज्य सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी।
सरकार की तैयारियां:
वर्तमान में सरकार योजना के क्रियान्वयन को लेकर तेजी से काम कर रही है। आय की पुष्टि और पात्रता निर्धारण के लिए PPP डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है। साथ ही यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि योजना का लाभ वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुंचे और फर्जी लाभार्थी इससे बाहर रहें।
बीपीएल की दोबारा जांच:
लाडो लक्ष्मी योजना को लागू करने से पहले बीपीएल सूची की जांच को भी सरकार ने प्राथमिकता दी है। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि बीपीएल सूची में केवल वास्तविक पात्र लोग ही शामिल हों।
इसलिए जिन लोगों ने गलत तरीके से अपने आप को बीपीएल में शामिल करवाया है, उन्हें पहले ही योजना से बाहर किया जा रहा है। इससे सरकारी सहायता सही लोगों तक पहुंचेगी।
परिवार पहचान पत्र की भूमिका:
परिवार पहचान पत्र (PPP) योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। PPP के माध्यम से:
- परिवार की आय की पुष्टि होगी।
- लाभार्थी की पहचान स्पष्ट होगी।
- फर्जीवाड़े को रोका जाएगा।
- योजना की निगरानी और रिपोर्टिंग आसान होगी।
योजना कब से शुरू होगी?
हालांकि योजना की घोषणा हो चुकी है और बजट में इसके लिए धन भी आवंटित कर दिया गया है, लेकिन लागू करने की तिथि अभी तय नहीं हुई है। सूत्रों के अनुसार, इस योजना को जल्द ही हरियाणा में लागू किया जा सकता है और इसके लिए पोर्टल भी बनाया जा रहा है।
महिलाओं के लिए बड़ा अवसर:
हरियाणा सरकार की यह योजना राज्य की महिलाओं के लिए एक सुनहरा अवसर है। यह न केवल महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार लाएगी, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम भी है।
2100 रुपये भले ही देखने में छोटी राशि लगे, लेकिन इससे महिला को अपने निजी खर्चों के लिए स्वतंत्रता मिलेगी और वह अपने परिवार की आर्थिक मदद भी कर सकेगी।
पूर्व की योजनाओं से तुलना:
हरियाणा सरकार पहले भी ‘लाड़ली योजना’, ‘सुकन्या समृद्धि योजना’, ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ जैसे अभियानों के माध्यम से महिलाओं और बालिकाओं के लिए योजनाएं चला चुकी है।
लाडो लक्ष्मी योजना उन सभी पहलों का विस्तार मानी जा सकती है, जो सीधे तौर पर महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए लाई गई हैं।
जनता की प्रतिक्रिया:
राज्य की महिलाओं में इस योजना को लेकर खासा उत्साह है। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों की महिलाओं ने इस योजना का स्वागत किया है। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इसे महिला सशक्तिकरण की दिशा में सकारात्मक कदम बताया है।