हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा पर ₹1 करोड़ का मानहानि केस: वकील संजीव तक्षक बोले- मंत्री ने कहा ‘तू गुंडा है क्या’, अब मिलेगा कानूनी जवाब”
स्थान: चरखी दादरी | दिनांक: 16 अप्रैल 2025
स्रोत: The Airnews
प्रस्तावना: जब जनप्रतिनिधि और नागरिक आमने-सामने हो जाएं
हरियाणा की राजनीति में एक बार फिर गर्माहट आ गई है। कारण है – एक ऐसी बहस जो सरकारी मीटिंग के दौरान शुरू हुई और अब अदालत के गलियारों तक जा पहुंची है। चरखी दादरी में आयोजित जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक के दौरान एक वकील ने अवैध खनन और ओवरलोडिंग पर सवाल उठाए, और उसके जवाब में मंत्री की प्रतिक्रिया ने पूरे प्रदेश में विवाद खड़ा कर दिया। वकील ने इसे सार्वजनिक अपमान मानते हुए हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा पर ₹1 करोड़ का मानहानि केस दायर कर दिया है।
विवाद की शुरुआत: एक गंभीर मुद्दे पर उठे गंभीर सवाल
15 अप्रैल को जिला कष्ट निवारण समिति की मासिक बैठक चरखी दादरी में आयोजित की गई थी, जिसमें हरियाणा सरकार के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा बतौर अध्यक्ष मौजूद थे। इस बैठक में जिले भर से नागरिक, प्रतिनिधि और अधिकारी आम समस्याएं लेकर पहुंचे थे। इन्हीं में शामिल थे चरखी दादरी के निवासी और वरिष्ठ वकील संजीव तक्षक, जिन्होंने जिले में ओवरलोडिंग और अवैध खनन को लेकर सवाल उठाए।
वकील ने ना केवल पिछली बैठकों में किए गए वादों की याद दिलाई, बल्कि कहा कि इन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उनका आरोप था कि पूरा सिस्टम “ऊपर तक सेट” है और अधिकारी केवल खानापूर्ति कर रहे हैं। उन्होंने बीती रात के वीडियो साक्ष्य का भी हवाला दिया, जिसमें कथित रूप से ओवरलोडेड ट्रक गुजरते हुए दिखाई दे रहे हैं।
मंत्री की प्रतिक्रिया: “तू गुंडा है क्या?”
वकील की तीखी आलोचना और अधिकारियों पर सीधा हमला शायद मंत्री को नागवार गुज़रा। मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा, “जो समझना है, समझो” और इसके बाद उन्होंने कथित रूप से कहा – “बाहर करो इसे, तू गुंडा है क्या।” यह बयान ना केवल वकील को अपमानजनक लगा, बल्कि वहां मौजूद अन्य लोगों में भी खलबली मच गई। मौके पर मौजूद DC मुनीश शर्मा ने स्थिति को शांत करने की कोशिश की, लेकिन मामला और बिगड़ता चला गया।
वकील संजीव तक्षक को सुरक्षाकर्मियों की मदद से मीटिंग हॉल से बाहर निकाल दिया गया। वकील बार-बार कहते रहे कि यह तरीका गलत है और इससे समस्या का समाधान नहीं निकलेगा।
कानूनी जवाब: ₹1 करोड़ का मानहानि नोटिस
इस घटना के अगले ही दिन वकील संजीव तक्षक ने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत गहलावत के माध्यम से कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा को ₹1 करोड़ का मानहानि नोटिस भेजा। नोटिस में साफ तौर पर लिखा गया है कि:
“मैं पिछले 15 वर्षों से वकालत से जुड़ा हूं और सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हूं। मंत्री द्वारा सार्वजनिक रूप से मुझे ‘गुंडा’ कहना मेरे सम्मान के खिलाफ है। इस तरह के शब्दों से मेरी सामाजिक छवि को ठेस पहुंची है।”
नोटिस में यह भी उल्लेख किया गया है कि अगर 15 दिनों के भीतर मंत्री माफी नहीं मांगते और अपना बयान सार्वजनिक रूप से वापस नहीं लेते, तो उन्हें अदालत में घसीटा जाएगा।
मंत्री का जवाब: “जिसकी समझ में जो आएगा, वो करेगा”
जब इस बारे में मंत्री श्याम सिंह राणा से झज्जर में पूछा गया तो उन्होंने कहा:
“जिसकी समझ में जो आएगा, वो करेगा।”
यह बयान भी राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। आलोचकों का कहना है कि मंत्री को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और जनता के सवालों को गंभीरता से लेना चाहिए, जबकि समर्थक इसे एक “सक्रिय विरोधी की ड्रामा” करार दे रहे हैं।
क्या था वकील की शिकायत का असली मुद्दा?
वकील संजीव तक्षक का कहना है कि:
“मैं सिर्फ जनता की समस्या लेकर आया था। जिले में ओवरलोडिंग और अवैध खनन का धंधा खुलेआम चल रहा है। पिछले महीने भी इस मुद्दे को उठाया गया था, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। मंत्री ने मेरी बात सुनने की बजाय मुझे मीटिंग से बाहर निकालने का आदेश दे दिया।”
उनका यह भी दावा है कि यह लड़ाई उनकी निजी नहीं, बल्कि सामाजिक सरोकारों से जुड़ी है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और जनभावनाएं
इस मुद्दे ने विपक्ष को भी बोलने का मौका दे दिया है। कांग्रेस और INLD के कुछ स्थानीय नेताओं ने इसे “लोकतंत्र का अपमान” करार दिया है। कुछ सामाजिक संगठनों ने भी वकील के समर्थन में बयान दिए हैं। सोशल मीडिया पर भी मंत्री के खिलाफ नाराजगी जताई जा रही है। ट्विटर पर #ShyamSinghRana और #SanjiTakshak ट्रेंड कर रहे हैं।