हरियाणा के खेतों में मंडरा रहा आग का खतरा: सरकार ने सभी DC को जारी किया अलर्ट, किसानों को किया सतर्क”
हरियाणा के किसानों के लिए बड़ा अलर्ट: खेतों में आग की घटनाओं पर सरकार सतर्क, सभी जिलों के उपायुक्तों को जारी किए विशेष निर्देश
The Airnews | हरियाणा डेस्क | अपडेटेड: 21 अप्रैल 2025
हरियाणा में इस समय गेहूं की कटाई का सीजन अपने चरम पर है। फसल कटने के बाद खेतों में बचे डंठलों (पराली) को जलाने की घटनाएं और लगातार बढ़ते तापमान ने एक नई समस्या को जन्म दे दिया है — खेतों में अचानक आग लगने की घटनाएं। यह न केवल किसानों की सालभर की मेहनत को राख कर सकती हैं, बल्कि पर्यावरणीय खतरे और जनसुरक्षा पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े कर रही हैं।
इन्हीं आशंकाओं को देखते हुए हरियाणा सरकार ने त्वरित संज्ञान लेते हुए सभी जिलों के उपायुक्तों (DC) को सतर्कता के निर्देश दिए हैं। साथ ही राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से विशेष पत्र जारी कर एक प्रभावी एक्शन प्लान लागू करने को कहा गया है।
गेहूं की कटाई और खेतों में आग की आशंका
हरियाणा के खेतों में इस समय गेहूं की कटाई जोरों पर चल रही है। जहां एक ओर किसान तेजी से फसल को काट रहे हैं, वहीं कटाई के बाद बचे डंठलों को जलाने की परंपरा अब भी कई इलाकों में जारी है। गर्मी के इस मौसम में जब तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच चुका है, तब थोड़ी सी चिंगारी भी भारी तबाही का कारण बन सकती है।
कई जिलों से ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं जहां पराली जलाने के बाद आग ने विकराल रूप धारण कर लिया और आसपास के खेतों को भी अपनी चपेट में ले लिया।
सरकारी पत्र का मुख्य उद्देश्य
राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से जारी इस पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि:
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हर जिले में अग्नि सुरक्षा तैयारियों को मजबूत किया जाए।
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फील्ड अफसरों की निगरानी और प्रतिक्रिया प्रणाली को सक्रिय रखा जाए।
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अग्निशमन वाहनों को परिचालन के लिए तैयार रखा जाए।
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अतिरिक्त संसाधनों (जैसे पानी टैंकर, फायर सेफ्टी उपकरण) की व्यवस्था की जाए।
यह पत्र इस बात की ओर इशारा करता है कि प्रशासन किसी भी आग की घटना को नजरअंदाज नहीं करना चाहता और समय रहते हुए सभी जरूरी कदम उठाना चाहता है।
गांव स्तर तक पहुंचे चेतावनी और जागरूकता
हरियाणा सरकार ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि पंचायत स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जाएं। इसमें फील्ड अफसरों की जिम्मेदारी तय की गई है कि वे गांव-गांव जाकर किसानों को समझाएं:
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खेतों में आग लगाना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि बेहद खतरनाक भी है।
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इससे पर्यावरण को नुकसान, मृदा की गुणवत्ता में गिरावट और हवा में प्रदूषण फैलता है।
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किसानों को पराली जलाने के बजाय अन्य वैकल्पिक तरीकों को अपनाना चाहिए जैसे – मल्चर, सुपर सीडर या बायो-डीकंपोजर।
फील्ड अफसरों को नियमित निरीक्षण का आदेश
पत्र में यह निर्देश भी दिया गया है कि सभी फील्ड अफसर:
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रोजाना अपने क्षेत्र में दौरे करें।
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किसानों की गतिविधियों की निगरानी करें।
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आगजनी की घटनाओं पर त्वरित कार्रवाई करें।
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स्थानीय प्रशासन के साथ तालमेल बनाकर सुरक्षा सुनिश्चित करें।
इस निगरानी तंत्र का उद्देश्य है कि घटनाओं से पहले ही उन्हें रोका जा सके, बजाय इसके कि बाद में नुकसान की भरपाई के लिए जूझना पड़े।
फायर ब्रिगेड सिस्टम होगा अपडेट
राज्य सरकार ने सभी जिलों में अग्निशमन व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए निर्देश दिए हैं:
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पुराने फायर टेंडरों को ठीक कर चालू अवस्था में लाया जाए।
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नई मशीनों की जरूरत हो तो तुरंत मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी जाए।
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बड़े गांवों और फायर-संवेदनशील इलाकों में फायर स्टेशनों की संख्या बढ़ाई जाए।
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आपदा प्रबंधन कोष से फंड का उपयोग त्वरित समाधान के लिए किया जाए।
किसानों को चेतावनी: नियम तोड़े तो होगी कार्रवाई
प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर कोई किसान पराली जलाते हुए पकड़ा जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके तहत:
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पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत चालान किया जा सकता है।
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खेत मालिक पर जुर्माना लगाया जाएगा।
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सरकारी योजनाओं के लाभ को रोका जा सकता है।
केंद्र सरकार की नज़र भी हरियाणा पर
चूंकि हरियाणा दिल्ली-एनसीआर से सटा हुआ राज्य है, इसलिए यहां की पर्यावरणीय घटनाएं पूरे क्षेत्र को प्रभावित करती हैं। केंद्र सरकार पहले ही हर साल पराली जलाने को लेकर सख्त निर्देश देती है। इसलिए अब राज्य सरकार भी इस बार समय से कदम उठा रही है।