हरियाणा में ‘लड्डू गोपाल’ बने क्लास टॉपर: एक श्रद्धा, एक समाजसेवा और शिक्षा के प्रति अनोखी पहल
The Airnews | Edit by : Yash
हरियाणा के कैथल जिले में एक अद्वितीय और प्रेरणादायक घटना ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है। यहां भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप ‘लड्डू गोपाल’ को एक निजी स्कूल में प्रतीकात्मक रूप से दाखिला दिलाया गया। यह दाखिला केवल धार्मिक आस्था की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि समाजसेवा और जरूरतमंदों की मदद का माध्यम भी बना है। लड्डू गोपाल के नाम पर एक जरूरतमंद छात्र को शिक्षा का अधिकार मिला और वह छात्र अब निरंतर पढ़ाई कर रहा है। यह अनूठी पहल डॉक्टर संजीव वशिष्ठ द्वारा की गई, जिन्होंने श्रद्धा और सेवा का संगम प्रस्तुत किया।
मेरीगोल्ड पब्लिक स्कूल में टॉप करने वाले ‘लड्डू गोपाल’
कैथल शहर के मेरीगोल्ड पब्लिक स्कूल में इस बार जब परीक्षा परिणाम घोषित हुए तो सबसे ज्यादा चर्चा एक ऐसे छात्र की रही, जो न तो नियमित स्कूल आता है और न ही बोलता है, लेकिन फिर भी उसने हर विषय में 100 में से 100 अंक प्राप्त कर कक्षा 5 में टॉप किया। वह और कोई नहीं, बल्कि भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप ‘लड्डू गोपाल’ हैं, जिनका प्रतीकात्मक रूप से दाखिला इस स्कूल में करवाया गया है।
इस पहल की शुरुआत साल 2019 में हुई थी और अब लड्डू गोपाल कक्षा 6 में पहुंच चुके हैं। इस दौरान उनकी स्कूल फीस, यूनिफॉर्म और अन्य खर्चे डॉ. संजीव वशिष्ठ द्वारा वहन किए जा रहे हैं। मगर वास्तव में उनकी जगह जिस जरूरतमंद छात्र को पढ़ाया जा रहा है, वह है माधव — एक प्रतिभाशाली लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर बच्चा, जिसे अब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अधिकार मिल चुका है।
कैसे हुआ यह अद्वितीय दाखिला?
डॉ. संजीव वशिष्ठ, जो कि शहर के सीवन गेट क्षेत्र के निवासी हैं, ने बताया कि उनका परिवार भगवान श्रीकृष्ण में गहरी आस्था रखता है। वर्ष 2013 में वे एक कीर्तन से लड्डू गोपाल की मूर्ति लेकर आए और तब से उन्हें एक पारिवारिक सदस्य की तरह पाला। उन्होंने उन्हें बच्चों जैसा भोजन दिया, कपड़े पहनाए और हर धार्मिक अनुष्ठान में शामिल किया।
जब ‘लड्डू गोपाल’ की उम्र प्रतीकात्मक रूप से स्कूल जाने योग्य हुई, तो डॉ. संजीव ने वर्ष 2019 में मेरीगोल्ड पब्लिक स्कूल में उनका एडमिशन फॉर्म भर दिया। यह कदम स्कूल प्रशासन के लिए पहले तो असमंजस का विषय बना, क्योंकि पहले कभी इस प्रकार का दाखिला नहीं हुआ था।
शिक्षा विशेषज्ञों से मिली सहमति
स्कूल के प्रबंधक सुरेंद्र अरोड़ा ने जब यह फॉर्म देखा, तो पहले वह चौंक गए। उन्होंने डॉक्टर संजीव से पूछा कि भगवान का एडमिशन कैसे किया जा सकता है? इस पर डॉक्टर संजीव ने बताया कि भारत के कई अन्य हिस्सों में भी लड्डू गोपाल का प्रतीकात्मक रूप से दाखिला कराया गया है।
इसके बाद स्कूल प्रशासन ने शिक्षा विशेषज्ञों से विचार-विमर्श किया और यह प्रस्ताव रखा कि यदि किसी जरूरतमंद बच्चे को लड्डू गोपाल के नाम पर पढ़ाया जाए, तो यह एक सकारात्मक पहल मानी जाएगी। डॉक्टर संजीव इस प्रस्ताव से सहमत हो गए और उन्होंने कहा कि जो भी खर्च होगा, वह वहन करेंगे। इस प्रकार ‘लड्डू गोपाल’ का दाखिला हो गया।
लड्डू गोपाल के नाम पर पढ़ता है ‘माधव’
प्रिंसिपल सरोज अरोड़ा ने बताया कि दाखिले के तुरंत बाद एक जरूरतमंद छात्र माधव को चुना गया, जिसे स्कूल में दाखिल किया गया। तत्कालीन डिप्टी डीईओ शमशेर सिंह सिरोही स्वयं इस दाखिले के साक्षी बने। तब से लेकर आज तक माधव निरंतर पढ़ाई कर रहा है और अब वह कक्षा 6 में पहुंच गया है।
माधव का पढ़ाई में प्रदर्शन अच्छा रहा है, लेकिन लड्डू गोपाल के नाम पर परीक्षा परिणाम घोषित होते हैं। स्कूल में जब भी रिजल्ट घोषित होता है, तो लड्डू गोपाल को स्कूल लाया जाता है, उन्हें कक्षा में बच्चों के साथ टेबल पर बैठाया जाता है और उन्हें लंच बॉक्स तक दिया जाता है। यह संकल्पित परंपरा एक सांस्कृतिक और भावनात्मक अनुभव बन चुकी है।
800 रुपए मासिक फीस और पूरे परिवार की भागीदारी
डॉ. संजीव वशिष्ठ हर माह ₹800 फीस भरते हैं, और उनकी पत्नी व अन्य परिवारजन भी इस पूरे कार्य में भागीदार हैं। वे समय-समय पर लड्डू गोपाल को स्कूल भी लेकर जाते हैं, उनके लिए विशेष रूप से यूनिफॉर्म बनवाते हैं और यहां तक कि रिपोर्ट कार्ड लेने के समय भी स्कूल पहुंचते हैं।
जब हाल ही में परीक्षा परिणाम घोषित हुए और लड्डू गोपाल के हर विषय में 100% अंक आए, तो पूरा परिवार स्कूल पहुंचा। टीचर ने जब लड्डू गोपाल का रिपोर्ट कार्ड पढ़कर सुनाया तो पूरा माहौल तालियों से गूंज उठा। यह केवल अंक प्राप्त करने की खुशी नहीं थी, बल्कि एक भावनात्मक क्षण था, जिसमें श्रद्धा, शिक्षा और समाजसेवा एक साथ समाहित थीं।