The AirNews | Amit Dalal
हरियाणा सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे (BPL) जीवन यापन करने वाले लोगों को सरकारी योजनाओं का सही लाभ दिलाने की दिशा में सख्त कदम उठाया है। खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा जून माह से जिला स्तर पर बीपीएल और अंत्योदय अन्न योजना (AAY) कार्डों की गहन जांच शुरू की गई थी। इस अभियान के तहत अब तक 70,000 से अधिक अपात्र लाभार्थियों को बीपीएल सूची से बाहर कर दिया गया है।
जांच में यह सामने आया कि अनेक ऐसे लोग भी बीपीएल कार्ड का लाभ ले रहे थे, जिनके पास पर्याप्त आय और संसाधन मौजूद थे।
इनमें से कई परिवार ऐसे पाए गए, जिनकी वार्षिक आय ₹1.80 लाख से अधिक है या उनके पास निजी वाहन, कृषि भूमि, पक्का मकान या अन्य सुविधाएं हैं। ऐसे लोगों को बीपीएल कार्ड जारी होना सरकारी नियमों के खिलाफ है।
यह निर्णय इसलिए लिया गया ताकि वाकई ज़रूरतमंद परिवारों को सरकार की योजनाओं का वास्तविक लाभ मिल सके और कोई अपात्र व्यक्ति गलत तरीके से सुविधा प्राप्त न कर सके।
हरियाणा सरकार के अनुसार, बीपीएल राशन कार्ड के लिए निम्नलिखित मापदंड तय किए गए हैं:
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परिवार की वार्षिक आय ₹1.80 लाख से कम होनी चाहिए।
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कोई निजी वाहन परिवार के पास नहीं होना चाहिए।
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परिवार का कोई सदस्य आयकरदाता नहीं होना चाहिए।
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लाभार्थी को हरियाणा का स्थायी निवासी होना चाहिए।
जो भी व्यक्ति इन मापदंडों को पूरा नहीं करता, वह बीपीएल सूची में शामिल नहीं रह सकता।
हरियाणा सरकार का यह कदम पारदर्शिता और सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा प्रयास है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि बीपीएल व AAY कार्डों की जांच अभियान को पूरी गंभीरता और निष्पक्षता से लागू किया जाए, ताकि हर गरीब परिवार को उसका वाजिब हक मिले।
इसके साथ ही, भविष्य में ऑनलाइन सत्यापन प्रणाली को और सख्त बनाया जाएगा ताकि अपात्र व्यक्ति सूची में न आ सकें और पात्र लोगों को बिना किसी अड़चन के सरकारी लाभ मिलते रहें।
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