हांसी के उमरा PHC में विधायक विनोद भयाना का औचक निरीक्षण: 6 कर्मचारी मिले नदारद, नोटिस जारी
हांसी ( Sahil Kasoon )
हरियाणा के हांसी क्षेत्र के गांव उमरा स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) में शुक्रवार को एक विशेष दृश्य देखने को मिला जब क्षेत्रीय विधायक विनोद भयाना ने वहां औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान पीएचसी की कार्यप्रणाली, हाजिरी रजिस्टर, डॉक्टरों की उपस्थिति और स्वच्छता की स्थिति की गहन जांच की गई। इस दौरान कई खामियां सामने आईं, जिनमें सबसे गंभीर बात यह रही कि छह कर्मचारी अपनी ड्यूटी से नदारद पाए गए। इसके चलते स्वास्थ्य विभाग ने उन सभी कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है।
निरीक्षण का कारण: जनता की शिकायतें
विधायक विनोद भयाना गांव उमरा में विकास परियोजनाओं के उद्घाटन के सिलसिले में पहुंचे थे। वहां उन्हें ग्रामीणों द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की लचर सेवाओं की शिकायत मिली। ग्रामीणों ने बताया कि अस्पताल में समय पर डॉक्टर या स्टाफ नहीं मिलते, दवाइयों की उपलब्धता सीमित है और साफ-सफाई भी पर्याप्त नहीं होती।
विधायक ने इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए तत्काल अस्पताल पहुंचने का निर्णय लिया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने खुद हाजिरी रजिस्टर चेक किया और स्टाफ की मौजूदगी की पुष्टि की।
निरीक्षण में सामने आईं खामियां
- कर्मचारी नदारद: निरीक्षण के दौरान छह कर्मचारी अपनी ड्यूटी पर मौजूद नहीं थे। इनमें से दो कर्मचारी ऐसे थे जो रात्रि ड्यूटी पर आने वाले थे, दो दूसरे स्थानों पर कैंप में गए थे लेकिन मूवमेंट रजिस्टर में उन्होंने एंट्री नहीं की थी, जबकि दो कर्मचारी बिना किसी सूचना के अनुपस्थित थे।
- मूवमेंट रजिस्टर की अनदेखी: कैंप पर गए कर्मचारियों ने मूवमेंट रजिस्टर में एंट्री नहीं की, जो एक गंभीर लापरवाही मानी जाती है। यह दिखाता है कि संस्थान में अनुशासन का अभाव है।
- साफ-सफाई में लापरवाही: अस्पताल परिसर में कई स्थानों पर गंदगी देखी गई। विशेष रूप से मरीजों के बैठने वाले स्थान और टॉयलेट्स में साफ-सफाई की स्थिति बेहद खराब पाई गई।
- दवाइयों की कमी: ग्रामीणों ने विधायक को बताया कि अस्पताल में अक्सर जरूरी दवाइयां उपलब्ध नहीं होतीं। जिससे उन्हें निजी मेडिकल स्टोर से महंगे दामों पर दवाएं खरीदनी पड़ती हैं।
विधायक का बयान: “यह स्थिति बहुत निराशाजनक है”
निरीक्षण के बाद मीडिया से बात करते हुए विधायक विनोद भयाना ने कहा, “यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जनता की सेवा के लिए स्थापित संस्थानों में इस तरह की लापरवाही हो रही है। मैंने खुद देखा कि स्टाफ गायब है और मूवमेंट रजिस्टर का सही उपयोग नहीं हो रहा। साफ-सफाई की हालत भी खराब है। यह अच्छा नहीं लगा। मैं इस मामले की शिकायत उच्च अधिकारियों से करूंगा।”
स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई
विधायक के निरीक्षण के तुरंत बाद SMO डॉ. कामिंद मोगा ने जांच शुरू की और छह कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो आगे की कार्रवाई की जाएगी जिसमें सस्पेंशन और अनुशासनात्मक कार्रवाई भी शामिल हो सकती है।
ग्रामीणों की राय
गांव उमरा के निवासी इस औचक निरीक्षण से काफी संतुष्ट नजर आए। ग्रामीण राजपाल सिंह ने कहा, “हमने कई बार शिकायत की थी लेकिन आज पहली बार किसी जनप्रतिनिधि ने खुद आकर स्थिति देखी। उम्मीद है अब कुछ सुधार होगा।”
सामाजिक और प्रशासनिक पहलू
- जनता की जागरूकता जरूरी: यह घटना बताती है कि यदि नागरिक अपनी समस्याओं को एकजुट होकर उठाएं तो प्रशासन को जवाबदेह बनाया जा सकता है।
- स्थानीय प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी: जनप्रतिनिधियों का क्षेत्र में सक्रिय रहना और संस्थानों का निरीक्षण करना जरूरी है ताकि सरकारी सेवाएं प्रभावी बन सकें।
- निगरानी तंत्र की जरूरत: इस तरह की लापरवाही रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग को निगरानी के लिए नियमित ऑडिट और विजिट्स करने चाहिए।
क्या इस कार्रवाई से बदलाव आएगा?
विधायक भयाना के निरीक्षण और उसके बाद हुई कार्रवाई ने एक संदेश तो दे ही दिया है कि लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। लेकिन यह देखना बाकी है कि क्या यह एक स्थायी बदलाव का संकेत है या फिर कुछ दिनों बाद हालात फिर वैसे ही हो जाएंगे।