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Saturday, November 8, 2025

हिसार का जवान असम में शहीद: सिविलियन को बचाने के लिए भराली नदी में कूदा था, एक दिन बाद मिला पार्थिव शरीर


शहीद सचिन रोहिल की फाइल फोटो

शहीद जवान को नदी से निकालने के लिए ITBP के जवान सर्च ऑपरेशन चलाते हुए।

 

हिसार का जवान असम में शहीद: सिविलियन को बचाने के लिए भराली नदी में कूदा था, एक दिन बाद मिला पार्थिव शरीर

( Sahil Kasoon )| हिसार, हरियाणा

हरियाणा के हिसार जिले के गांव भिवानी रोहिल्ला के निवासी, 25 वर्षीय वायुसेना के जवान सचिन रोहिल की असम में ड्यूटी के दौरान शहादत हो गई। सचिन असम के तेजपुर जिले में तैनात थे और सोमवार को सोनितपुर जिले के भालुकपोंग क्षेत्र में भराली नदी में डूबने के बाद लापता हो गए थे। बताया जा रहा है कि वह किसी सिविलियन को बचाने के लिए नदी में कूदे थे।

ITBP (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) की 59वीं बटालियन ने मंगलवार सुबह सर्च ऑपरेशन के दौरान सचिन का पार्थिव शरीर बरामद किया। यह सर्च ऑपरेशन सहायक कमांडेंट गंभीर सिंह चौहान के नेतृत्व में किया गया था।

शहीद की अंतिम यात्रा आज पैतृक गांव तक

शहीद जवान का पार्थिव शरीर गुरुवार सुबह 10 बजे उनके पैतृक गांव भिवानी रोहिल्ला पहुंचेगा, जहां राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी। उनके अंतिम दर्शन के लिए गांव और आसपास के क्षेत्रों से भारी संख्या में लोगों के पहुंचने की संभावना है।

शहादत से पहले हुई थी घरवालों से बात

शहादत से कुछ घंटे पहले ही सचिन की परिजनों से बातचीत हुई थी, जिसमें उन्होंने अगले महीने घर आने का वादा किया था। उन्होंने सभी परिजनों से हालचाल पूछा था। यह सूचना मिलने के बाद परिवार सदमे में है।

निजी जीवन की झलक: 2019 में हुए थे भर्ती, इस साल होनी थी शादी

  • सेवा में शुरुआत: सचिन रोहिल 2019 में भारतीय वायुसेना में भर्ती हुए थे और पिछले पांच वर्षों से ड्यूटी पर तैनात थे।
  • कमांडो कोर्स: उन्होंने सेवा के दौरान छह महीने पहले कमांडो कोर्स भी सफलतापूर्वक पूरा किया था।
  • परिवार की स्थिति: पिता का देहांत 8 वर्ष पहले सड़क दुर्घटना में हुआ था। उनकी मां कमलेश गृहिणी हैं और भाई सागर निजी नौकरी करते हैं।
  • शादी की तैयारी: इसी साल दिसंबर तक उनकी शादी की योजना थी और परिजन लड़की की तलाश में थे।

जींद में रहा परिवार, लेकिन जड़ें भिवानी रोहिल्ला में

सचिन का परिवार करीब 20 वर्ष पहले जींद शहर में आकर बस गया था, जहां उनके पिता पोल्ट्री फार्म चलाते थे। पिता की मृत्यु के बाद मां ने दोनों बेटों की परवरिश की। हालांकि, उनके दादा, चाचा और अन्य परिजन अभी भी गांव में ही रहते हैं।

ITBP ने कैसे चलाया सर्च ऑपरेशन?

ITBP ने जैसे ही सूचना प्राप्त की, सहायक कमांडेंट गंभीर सिंह चौहान की अगुवाई में एक विशेष टीम गठित की गई। इस टीम में शामिल थे:

  • इंस्पेक्टर (जीडी) चंदर मणि
  • हवलदार एच. मनलुन
  • कॉन्स्टेबल माचांग सांगचो, ताबा निगलर, ज्ञाति तसंग
  • एसटी रेम्बो, निंग्वा लिम्बु, बोगिन नितिक और पुरा यामिंग

इन सभी जवानों ने कठिन परिस्थितियों में नदी के अंदर उतरकर पार्थिव शरीर को खोजा और अधिकारियों को सौंपा। ITBP को उनके असाधारण आपदा राहत अभियानों के लिए जाना जाता है।

दृश्य जो भावुक कर दें

  • आईटीबीपी जवान रस्सी के सहारे नदी में उतरे और सचिन के पार्थिव शरीर तक पहुंचे।
  • सर्च ऑपरेशन पूरे दिन चला और अंततः सफलता मिली।
  • जवानों के साहस और समर्पण ने एक शहीद को सम्मान दिलाया।

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